MP Viral News: यहां शादी से पहले लड़के को ससुराल में रहकर करनी पड़ती है सेवा, करना होता है साबित... उठाने पड़ते हैं सबके खर्चे

Madhya Pradesh viral news: इस समुदाय में लड़के को अपने ससुराल पक्ष के खर्चे भी उठाने होते हैं. ससुराल पक्ष में खाने - पीने की व्यवस्था सास - ससुर और होने वाली पत्नी के अतिरिक्त खर्चे की व्यवस्था लड़के को स्वयं ससुराल में रहकर करनी पड़ती है.

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Madhya Pradesh: अगर आपसे कहा जाए कि देश में एक परंपरा है जिसमें शादी से पहले लड़के को ससुराल जाकर रहना पड़ेगा. जी हां चौंक गए ना आप, लेकिन ऐसा होता है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के नाथ- सपेरा समाज में इस परंपरा का पालन किया जाता है. यहां शादी से पहले लड़के को अपने होने वाली ससुराल में जाकर रहना पड़ता है और अपनी कार्यशैली, चाल- चलन, काबिलियत दिखानी होती हैं. तब जाकर कहीं लड़के की शादी हो पाती है या यूं कहें शादी से पहले लड़के को ससुराल जाकर अपनी योग्यता साबित करनी पड़ती है. इस अग्नि परीक्षा में पास होने के बाद ही लड़के को लड़की का हाथ दिया जाता है. इस दौरान ससुराल वाले लड़के का चाल -चलन और कार्यशैली को देखते हैं.

साथ ही लड़के को यहां अपने ससुराल पक्ष के खर्चे भी उठाने होते हैं. ससुराल पक्ष में खाने - पीने की व्यवस्था सास - ससुर और होने वाली पत्नी के अतिरिक्त खर्चे की व्यवस्था लड़के को स्वयं ससुराल में रहकर करनी पड़ती है.

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तीन चरणों में होती है शादी

नाथ - सपेरा समाज की संगीता नाथ बताती हैं कि हमारे समाज में शादी तीन चरणों में होती है. पहले टप्पा बांधते हैं जिसका मतलब है लड़के - लड़की के परिवार एक - दूसरे के कानों तक बात पहुंचाते हैं कि हम रिश्ता लेकर आने वाले हैं. फिर बोल बांधते हैं. बोल बांधने में समाज के लोग- पंच बैठकर शादी की बातचीत करते हैं. इसके बाद सगाई  होती है और लड़के को सगाई के कुछ दिन बाद ससुराल जाकर अपनी योग्यता  सिद्ध करनी पड़ती है.

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बड़ी अनोखी है नाथ सपेरा समुदाय की परंपरा

हिंदुस्तान में कई हजार जातियां और उपजातियां है. हर जाति, उपजाति की अपनी एक अलग परंपरा वेशभूषा और संस्कार होते हैं. हर समाज, हर जाति - धर्म में शादी की भी एक अपनी अलग ही परंपरा होती है लेकिन सभी परंपराओं में एक बात सामान्य होती है कि लड़के और लड़की का रिश्ता तय होने के बाद विवाह करना होता है. लेकिन इन सबके विपरीत नाथ सपेरा समुदाय में लड़के को परखने के लिए पहले सुसराल में रखते हैं. उसका चाल चलन कैसा है, कुछ गलत खाता- पीता तो नहीं, उसका व्यवहार कैसा है, कितनी काबिलियत है. इन सबकी जांच होती है. तब जाकर कहीं शादी होती है.

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जब तक योग्यता सिद्ध नहीं तब तक लड़की का हाथ नहीं

इसी समुदाय के संतोष नाथ बताते हैं कि उनकी शादी में दस साल का समय लगा. वो 2001 में ससुराल गए थे और 2011 में उनकी शादी हुई. दस साल वह ससुराल में रहे और भिक्षा मांगी, जानवर- पशु की देखभाल की, राशन का इंतज़ाम किया, मज़दूरी की. ये सब दस साल तक करने के बाद उनकी शादी हुई. इस परंपरा में कई बार लड़का 6 महीने में अपनी योग्यता सिद्ध नहीं कर पाता तो उसे और अवसर दिए जाते हैं. लेकिन जब तक लड़का अपनी योग्यता सिद्ध नहीं करता उसे लड़की का हाथ नहीं दिया जाता. 

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