Heart attack wreaks in Vidisha: मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में सर्दी के साथ दिल की बीमारियों ने अचानक भयावह रूप ले लिया है. पिछले 10 दिनों में 50 से अधिक हार्ट अटैक मरीज अस्पतालों में भर्ती हो चुके हैं. जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी वार्ड इन दिनों लगभग रोज़ ही भारी संख्या में हार्ट मरीजों से भरा रहता है.
डॉक्टरों की मानें तो प्रति दिन दो से तीन मरीज हार्ट अटैक के लक्षणों के साथ इमरजेंसी में पहुंच रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच सबसे चौंकाने वाली घटना है- 21 साल के युवक की चलती ट्रेन में हार्ट अटैक से मौत, जिसने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया है. यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि विदिशा की स्वास्थ्य प्रणाली और आज की युवा पीढ़ी पर मंडराते गंभीर खतरे की ओर इशारा है.
सर्दी का असर या बदलती जीवनशैली ? डॉक्टरों का चेतावनी भरा बयान
विशेषज्ञ बताते हैं कि ठंड में शरीर की नसें सिकुड़ जाती हैं, जिससे हार्ट पर अचानक दबाव बढ़ता है. यह स्थिति खासतौर पर सुबह के समय अधिक खतरनाक हो जाती है. डॉक्टरों के अनुसार, विदिशा में बढ़ते मामलों के पीछे ये कारण प्रमुख हैं-
- अचानक बढ़ती ठंड
- असंतुलित दिनचर्या व तनाव
- हाई ब्लड प्रेशर का अनियंत्रण
- समय पर जांच न कराना
- हार्ट के लिए न्यूनतम सुविधाओं का अभाव
मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञों ने बताया कि ब्लड वेसल्स के सिकुड़ने से सीने में दर्द, सांस फूलना और बेचैनी जैसे लक्षण तेजी से बढ़ते हैं, जिन्हें लोग अक्सर सामान्य दर्द समझकर टाल देते हैं और यही लापरवाही कई बार मौत का कारण बन जाती है.
इमरजेंसी वार्ड की सीमाएं: बढ़ते मरीज, घटती सुविधाएं
- विदिशा मेडिकल कॉलेज में हार्ट मरीजों के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद नहीं हैं.
- आधुनिक कार्डियक इक्विपमेंट की कमी
- ऐंजियोप्लास्टी जैसी ज़रूरी सुविधा का अभाव
- अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट की सीमित उपलब्धता
- ICU में सीमित बेड
परिणामस्वरूप, कई मरीजों को भोपाल रेफर करना पड़ता है, जिनमें से कई रास्ते में ही अपनी जान गंवा देते हैं. यह स्थिति जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की वास्तविक तस्वीर सामने रखती है.
21 साल के यश शर्मा की दर्दनाक कहानी: सीने में दर्द उठा, ट्रेन में ही टूट गई सांसें
विदिशा के रीटा फाटक निवासी 21 वर्षीय यश शर्मा की मौत ने हर किसी को झकझोर दिया है. यश सुबह राजधानी ट्रेन से भोपाल अपने कार्यालय जा रहे थे. ट्रेन के स्टेशन के करीब पहुंचते ही उसने अचानक सीने में तेज़ दर्द की शिकायत की. साथी यात्रियों ने उन्हें संभाला, लेकिन कुछ ही क्षणों में वह बेहोश होकर गिर पड़े.
ट्रेन जैसे ही स्टेशन पहुंची... यश ने दम तोड़ दिया. डॉक्टरों ने जांच के बाद हार्ट अटैक को मौत का कारण बताया.
21 साल की उम्र में हार्ट अटैक से मौत… यह सिर्फ एक समाचार नहीं, बल्कि आज की युवा पीढ़ी के सामने खड़े बड़े खतरे का संकेत है.
परिवार का बुरा हाल, अधूरी जिम्मेदारियां… टूटा हुआ भविष्य
यश वन विभाग में कार्यरत था और पिता की दो साल पहले कोरोना काल में मृत्यु के बाद घर की बड़ी जिम्मेदारी उसी पर थी. रोज की तरह वह अपने ऑफिस के लिए निकला था, लेकिन कुछ ही घंटों में उसकी मौत की खबर ने परिवार को बुरी तरह तोड़ दिया. मां, बहनें और रिश्तेदार लगातार बेहोश हो रहे हैं.
रिश्तेदारों ने बताया कि यश पिछले दो दिन से सीने में हल्का दर्द बता रहा था, लेकिन उसे खुद भी अंदाजा नहीं था कि यह दर्द उसकी जिंदगी छीन लेगा.
क्या यह सिर्फ प्राकृतिक घटना है या सिस्टम की विफलता?
विदिशा में हार्ट मरीजों की बढ़ती संख्या और एक युवा की अचानक मौत कई सवाल खड़े करती है-
- क्या स्वास्थ्य व्यवस्था इस बढ़ते खतरे के लिए तैयार है?
- क्या जिला प्रशासन ने ठंड के दौरान कोई विशेष अलर्ट जारी किया?
- क्यों हार्ट मरीजों के लिए प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं?
- क्या समय पर जांच और उपचार होता तो यश की जान बच सकती थी?
- इन सवालों का जवाब अभी तो सिर्फ सिस्टम की चुप्पी दे रही है.
- जरूरत अब सिर्फ जागरूकता की नहीं—बल्कि तेज़ कार्रवाई की है
विशेषज्ञों और स्थानीय नागरिकों की मांग
विशेषज्ञों और स्थानीय नागरिकों की मांग है कि विदिशा में तुरंत- 24×7 कार्डियक केयर यूनिट, मॉडर्न CPR और इमरजेंसी उपकरण, ऐंजियोप्लास्टी सुविधा, मोबाइल कार्डियक एंबुलेंस, अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट की स्थायी नियुक्ति की व्यवस्था की जाए, ताकि बढ़ते मामलों पर नियंत्रण पाया जा सके और किसी परिवार को यश जैसी दर्दनाक घटना का सामना न करना पड़े.
अब नहीं संभले तो देर हो जाएगी
विदिशा के लिए यह संकट सिर्फ ठंड का असर नहीं, बल्कि चेतावनी है कि युवा से बुजुर्ग, हर किसी पर हार्ट अटैक का खतरा मंडरा रहा है. 10 दिनों में 50 मरीज… और 21 साल के युवक की मौत… ये आंकड़े नहीं, बल्कि जागने का आखिरी मौका है.
विदिशा को अब अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था को अधिक मजबूत बनाना होगा, क्योंकि हर मिनट की देरी किसी घर की खुशियां छीन सकती है.
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