Hawala: हवाला क्या है? कैसे होता है इस कारोबार में लेनदेन, भारत में कैसे शुरू हुआ ये धंधा

Hawala Business: इंदौर के राजा रघुवंशी हत्याकांड में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. इस बीच पुलिस जांच में सामने आया है कि सोनम का परिवार हवाला कारोबार से जुड़ा था. यह जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली है. ऐसे में जानते हैं क्या होता है हवाला और इस कारोबार के जरिए कैसे एक जगह से दूसरी जगह तक रुपये पहुंचता है.

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What is Hawala Business: राजा रघुवंशी हत्याकांड की साजिश रचने वाली सोनम की कहानी हर दिन एक नया मोड़ ले रही है. अभी तक इस केस को लव ट्रायंगल से जोड़ा जा रहा था, लेकिन अब इस केस में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं, जिससे यह केस बेहद पेचीदा बन गया है. अब इस केस में हवाला कारोबार का कनेक्शन भी जुड़ता जा रहा है. ऐसे में यहां जानते हैं क्या होता है हवाला? कैसे शुरू हुआ ये कारोबार, किस तरह होता है इसका लेनदेन. 

हवाला के जरिए लाखों-करोड़ों रुपये कैश के माध्यम से एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाया जाता है और एक नोट दिखाने से किसी दूसरे देश में करोड़ों रुपये मिल जाता है.

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हवाला क्या है?

हवाला (Hawala) एक अनौपचारिक और गैर-कानूनी धन ट्रांसफर (Illegal money transfer) प्रणाली है, जो पारंपरिक बैंकिंग या वित्तीय संस्थानों के बाहर संचालित होती है. इसमें रुपये को कैश के माध्यम से दुनिया की एक जगह से दूसरी जगह बिना किसी आधिकारिक रिकॉर्ड के ट्रांसफर किया जाता है. ये अवैध और सरल प्रक्रिया है. इसका उपयोग काले धन को सफेद करने, गैर कानूनी लेनदेन और टैक्स चोरी के रूप में किया जाता है. साफतौर पर हवाला धन हस्तांतरण की एक गुमनाम प्रणाली है.

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दरअसल, रुपये को दुनिया की एक जगह से दूसरे पर गैरकानूनी रूप से हस्तांतरण करना हवाला है. इस कारोबार में सबसे अहम भूमिका बिचौलिए यानी एजेंट का होता है. हवाला का अर्थ है 'के एवज में' या 'के बदले में'. वहीं इस कारोबार के लिए किसी भी दस्तावेजीकरण की आवश्यकता नहीं होती है और ये पूरा काम सिर्फ विश्वास पर होता है.

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कैसे होता है हवाला कारोबार में लेनदेन?

बता दें कि हवाला कारोबार में रुपयों को हस्तांतरण बैंक और जांच एजेंसियों को धोखा देकर किया जाता है. दरअसल, हवाला का रुपये भेजने वाला हवाला एजेंट (Hawala agent) से संपर्क करता है और उसे पैसे देता है. इसके अलावा वो कमीशन भी उसे देता है. इसके बाद एजेंट अपने नेटवर्क में मौजूद दूसरे हवाला एजेंटों को जो दूसरे देश में हैं उनको सूचित करता है. इसके बाद दूसरे शहर या देश में मौजूद एजेंट उस राशि को बिना किसी औपचारिक रिकॉर्ड के प्राप्तकर्ता को दे देता है.

कैसे आया हवाला?

ऐसा माना जाता है कि हवाला की शुरुआत 8वीं शताब्दी के दौरान सिल्क रूट (Silk Route) के तहत भारत आया. दरअसल, सिल्क रूट को प्राचीन चीनी सभ्यता के व्यापारिक मार्ग के रूप में जाना जाता है. वहीं दो सौ साल ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी के बीच हन राजवंश के शासन काल में रेशम का व्यापार बढ़ा. पहले ये व्यापार मध्य एशिया में पहुंचा और फिर ईरान, इराक और सीरिया से होते हुए रोम तक पहुंचा. भारत भी इसी रास्ते से व्यापार करता था. 

उस दौर में व्यापारी ऊंटों पर सवार होकर एक-स्थान से दूसरे स्थान तक जाते थे. हालांकि ये इतना आसान नहीं था. इस दौरान रास्ते में उन्हें चोर-डाकुओं का सामना करना पड़ता था, जिससे उन्हें रुपयों का नुकसान उठाना पड़ता था. ऐसे में एक जगह से दूसरे जगह रुपये का इंतजाम करने के लिए व्यापारी हवाला तरीके का इस्तेमाल करने लगे.

हवाला कारोबार में पासवर्ड का होता है इस्तेमाल

हवाला कारोबार में व्यापारी एक पासवर्ड का इस्तेमाल करते थे, जो कोई वस्तु, शब्द या कोई इशारा होता था. उसी तरह सामान या वस्तु लेने वाले व्यक्ति को भी शब्द या पासवर्ड प्राप्तकर्ता को बताना होता था. इस तरह वो सुनिश्चित करते थे कि रुपयों या सामानों की लेन देन सही हाथों तक पहुंच रहा है या नहीं.

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