Harsiddhi Mata Mandir Ujjain: मध्यप्रदेश के उज्जैन में ऐसे तो कई प्रसिद्ध देवी मंदिर है. सभी जगह नवरात्रि की धूम मची हुई हैं, लेकिन विशेष मान्यताओं के चलते नवरात्रि लगते ही हरसिद्धि मंदिर में देश भर से श्रद्धालु आना शूरू हो गए. यहां का खास आकर्षण 51 फीट ऊंची दीपमाला भी है, जिसे प्रज्वलित करने की श्रद्धालुओं में होड़ मची हुई है. महाकाल मंदिर से 200 मीटर पीछे ही 51 शक्तिपीठ में से एक हरसिद्धि माता मंदिर है. सम्राट विक्रमादित्य की कुल देवी माने जाने वाला यह माता मंदिर करीब 2 हजार साल पूर्व परमार कालीन बताया जाता. यहां 51 फिट ऊंची दो दीपमाला हैं. मंदिर में देश विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. श्रद्धालु माता का आशीर्वाद लेकर दीपमाला जलाने के लिए भी प्रयास करते नजर आए. स्थिति यह है कि प्रशासन अधिक श्रृद्धालुओं को इसका लाभ मिल सके इसलिए समूह में रसीद काट कर दीप प्रज्वलित करवा रहा है. वहीं शक्तिपीठ होने के कारण इस मंदिर का तांत्रिक महत्व भी है.
क्यों जलाते हैं दीपमाला?
हरसिद्धि मंदिर में सबसे आकर्षण का केंद्र सम्राट विक्रमादित्य द्वारा स्थापित 2 दीपमाला हैं. करीब 51 फीट ऊंचे इन दोनों दीप स्तंभ पर 1 हजार 11 दीपक हैं. पहले इन्हें सिर्फ नवरात्री में जलाया जाता था. श्रद्धालुओं की बुकिंग के कारण अब ये साल भर रोशन रहते है. मान्यता है कि जब संध्याकालीन पूजा के दौरान दीप प्रज्जवलित किए जाते वक्त माता के समक्ष कोई मनोकामना की जाती हैं तो वह पूर्ण हो जाती है. यही वजह है कि नवरात्रि में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दीपमाला जलाने आ रहे है.
सदियों से एक परिवार को जिम्मेदारी
हरसिद्धि स्थित दीपमाला को प्रचलित करने वाले अर्पित जोशी ने बताया कि उनका परिवार पीढ़ियों से दीप माला प्रज्वलित कर रहा है. परिवार के 67 लोग मिलकर तीन घंटे में दीप माला प्रज्वलित कर पाते है. दीपमाला में 75 लीटर तेल 4 किलो कपूर और 4 किलो रुई लगती है नवरात्रि में 3100 रुपये की रसीद कटवा कर श्रद्धालु इसमें भागीदारी कर सकते है.वहीं कोई अकेला दीपमाला प्रजुलते करना चाहे तो करीब 16000 रुपये खर्च आता है.
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