Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर की समृद्ध शिल्प विरासत को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी पहचान मिली है. ग्वालियर की दो पारंपरिक शिल्प कलाओं “ग्वालियर स्टोन क्राफ्ट” (पत्थर नक्काशी) और “ग्वालियर पेपरमेशी क्राफ्ट को अधिकारिक रूप से जीआई टैग (जियोग्राफिकल इंडीकेशन) मिल गया है. इससे स्थानीय शिल्पियों को नए आर्थिक अवसर प्राप्त होंगे. इस सुखद खबर के मिलते ही ग्वालियर के शिल्पकारों में खुशी की लहर फ़ैल गई है.

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहचान मिलेगी
जीआई टैग मिल जाने से ग्वालियर की पारंपरिक पत्थर नक्काशी और पेपरमेशी शिल्पकला को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहचान मिलेगी. साथ ही औद्योगिक संरक्षण, ब्राण्ड वैल्यू और बाजार विस्तार के नए द्वार खुलेंगे. सरकार की कला हितैषी नीति की बदौलत ग्वालियर की इन समृद्ध शिल्प कलाओं को जीआई टैग मिला है. जीआई टैग के लिये आवेदन करने के लिये वित्तीय सहयोग नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक) द्वारा प्रदान किया गया. नाबार्ड ने जिला प्रशासन एवं स्थानीय संस्थाओं के सहयोग से जीआई टैग के लिए आवेदन कराया था.
नाबार्ड ने स्थानीय संस्थाओं पद्मजा फाउण्डेशन सोसायटी से “ग्वालियर स्टोन पार्क” एवं हैरीटेज फाउण्डेशन से “ग्वालियर पेपरमेशी क्रॉफ्ट” को जीआई टैग दिलाने के लिए आवेदन कराए गए थे. इन शिल्प कलाओं को जीआई टैग दिलाने में जीआई मेन ऑफ इंडिया के नाम से विख्यात कला मर्मज्ञ पद्मश्री डॉ. रजनीकांत का तकनीकी मार्गदर्शन मिला है.
पद्मश्री डॉ. रजनीकांत ने जीआई रजिस्ट्री चेन्नई की वेबसाइइट पर जीआई टैग के रूप में ग्वालियर की पत्थर नक्काशी कला व पेपरमेशी कला रजिस्टर्ड होने पर खुशी जताई है. साथ ही कहा कि ग्वालियर की शिल्प कलाओं के लिए यह ऐतिहासिक क्षण है. इससे ग्वालियर की शिल्प कलायें और विकसित होंगी. साथ ही स्थानीय शिल्पियों की समृद्धि के नए दरवाजे खुलेंगे.
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