Gwalior Railway Station Accident: छत से गिरे मजदूर के पेट में घुस गए 3 फीट मोटे सरिए, डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान

MP News: ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर काम करने वाला एक मजदूर की जान बालबाल बची. दूसरी मंजिल से गिरने के बाद मजदूर के पेट में तीन फीट लंबा सरिया घुस गया था. इसके बाद डॉक्टरों ने बहुत मुश्किल से किसी तरह उसकी जान बचाई.

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बड़े हादसे का शिकार हुए मजदूर को तत्काल असप्ताल लेकर पहुंचे

Gwalior Railway Station Labour Accident: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर चल रहे कंस्ट्रक्शन के दौरान एक मजदूर बड़े हादसे का शिकार (Labour Accident) हो गया. दूसरी मंजिल से गिरने से मजदूर के पेट और सीने में लोहे के दो से तीन फीट लंबे तीन सरिये घुसकर आर-पार हो गए. गंभीर हालत में मजदूर को जेएच अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर (Trauma Centre, JH Hospital) में भर्ती कराया गया. यहां तीन डॉक्टरों की टीम ने घंटे ऑपरेशन के बाद उसकी जान बचाई. बताया गया कि मजदूर के पेट में घुसे सरिये को निकालने के लिए ग्राइंडर की मदद ली गई. फिलहाल, मजदूर पूरी तरह खतरे से बाहर है.

काम करने वाले साथी लेकर पहुंचे अस्पताल

ग्वालियर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर निर्माणाधीन कर्मचारी आवास की दूसरी मंजिल पर काम कर रहा मजदूर छोटू जाटव का संतुलन अचानक बिगड़ गया और वह सीधे नीचे गिर गया. उसके पेट और सीने में लोहे के सरिए घुस गए. बुरी तरह घायल छोटू को आनन-फानन में उसके साथी और स्टेशन के कर्मचारी जेएच अस्पताल लेकर पहुंचे. बताया गया कि यहां के डॉक्टर ने देखा कि उसे तत्काल इलाज की जरूरत है. तब तक सीनियर सर्जन भी वहां पहुंचे. परेशानी की बात ये थी कि दो से तीन फीट की लंबाई वाले तीन मोटे लोहे के सरिया छाती और पेट में आरपार निकले हुए थे.

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ऐसे निकाले गए सरिये

प्रो. डॉक्टर हिमांशु चंदेल ने तत्काल वर्कशॉप प्रभारी को बुलाया और ग्राइंडर से तीन फीट लंबे सरिए को कटवाया. इसके बाद मजदूर का सीटी स्कैन करने पर पता चला कि एक सरिया किडनी को छूता हुआ और दूसरा लीवर के नजदीक से निकला है. इससे छोटी आंत भी चार जगह फट गई है. इसके बाद घायल के ऑपरेशन की प्लानिंग की गई. यहां निश्चेतना के डॉक्टर प्रो. जितेंद्र अग्रवाल, सर्जरी की डॉ. प्रो अंजलि जलज और यूरो सर्जन डॉ. संजय पाराशर की टीम ने सर्जरी प्लान की. घायल को शाम 6 बजे ओटी में लिया गया. डॉक्टर बताते हैं कि उनके सामने सरिया निकालते समय हार्ट, लिवर और किडनी को डैमेज होने से बचाने की कठिन चुनौती थी. छाती में छेद होने से सांस लेने में दिक्कत न हो जाये इसलिए दो ट्युब लगाए गए.

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हालत गंभीर लेकिन खतरे से बाहर

डॉक्टरों ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान पहले छोटी आंत के टुकड़े निकालकर बाहर किए गए, फिर दो यूनिट खून चढ़ाया गया, किडनी के क्षतिग्रस्त हिस्से को बाहर निकाला और ढाई से तीन घण्टे चले ऑपरेशन के बाद पेशेंट को ओटी से बाहर निकाला गया. रात एक बजे उसे आईसीयू में शिफ्ट किया गया. जेएएच के अधीक्षक डॉ सुधीर सक्सेना ने बताया कि मरीज की हालत गंभीर, लेकिन स्थिर है. 

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