कड़कड़ाती ठंड में गरीब बच्चों को पहनाए गर्म सूट, पुलिस अधिकारी का अनूठा न्यू ईयर सेलिब्रेशन

जब बच्चों से विश्व सुंदरी का नाम पूछा तो उन्होंने कहा- झांसी की रानी. जब उससे पूछा कि क्यों? तो उन्होंने मासूमियत से जवाब दिया 'क्योंकि उन्होंने भारत को आज़ाद कराया था'.

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ग्वालियर के पुलिस अधिकारी का अनूठा न्यू ईयर सेलिब्रेशन

Gwalior New Year News: आज पूरी दुनिया 2023 को विदाई देने और नए साल (New Year 2024) की अगवानी की तैयारी में जुटी है. नव वर्ष का जश्न मनाने के लिए जगह-जगह तैयारियां चल रही हैं लेकिन ग्वालियर (Gwalior) में पदस्थ एक युवा पुलिस अफसर ने अनूठे ही अंदाज़ में नए साल का जश्न मनाया. उन्होंने दूरस्थ गांव में रहने वाले आदिवासी और अनाथ बच्चों के बीच पहुंचकर उनसे सामान्य ज्ञान के सवाल पूछे. फिर सर्दी से ठिठुरते उन बच्चों को जब उन्होंने ट्रैक सूट गिफ्ट किए तो उनके चेहरे खुशी से खिल पड़े.

ग्वालियर में पदस्थ युवा पुलिस अफसर एसडीओपी संतोष पटेल खुद भी गरीब और ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं. अक्सर वह नए-नए प्रयोग करने की वजह से सुर्खियों में रहते हैं. इस बार उन्होंने अनूठे अंदाज में नया साल मनाया. वह कहते हैं कि स्कूल जाते वक्त या स्कूल से लौटते वक्त कोई टॉफी या बिस्कुट दे और यह कह दे कि स्कूल जाओ तो हम लोग दौड़ लगाकर जाते थे. उन्होंने कहा, 'मैं जब हस्तिनापुर इलाके के दौरे पर था तो पता चला कि यहां आदिवासियों का एक मजरा है. हमने उनके बीच जाने की सोची कि नया साल उनके बीच जाकर मनाएं. पता चला कि वे ठंड से सिकुड़ते हुए स्कूल जाते हैं.' पटेल ने बाजार से कुछ छोटे बच्चों वाले ट्रैक सूट मंगवाए और गाड़ी में रखकर थाना प्रभारी और मुख्तयार पुरा के रामू शर्मा को लेकर उस बस्ती की तरफ गए.

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रास्ते में मिले बच्चे तो शुरू किया कम्पटीशन

पटेल जब गांव की ओर जा रहे थे तो उन्हें कड़कड़ाती ठंड में सिकुड़ते हुए बच्चे स्कूल से अपने घर जाते मिले. पटेल ने जब उन्हें रोका तो पहले तो वे पुलिस को देखकर सहम गए लेकिन जब पटेल ने उनसे यह कहकर सवाल-जवाब करना शुरू किया कि अच्छे जवाब देने वालों को गिफ्ट दिए जाएंगे तो यह सुनकर बच्चों के चेहरे खिल उठे. उन्होंने आदिवासी मज़दूरों के बेटे-बेटियों से सवाल जवाब किए. आसान सवाल के सही और रोचक जवाब सुनकर पटेल भी खुश हो गए.

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जब बच्चों से विश्व सुंदरी का नाम पूछा तो उन्होंने कहा- झांसी की रानी. जब उससे पूछा कि क्यों? तो उन्होंने मासूमियत से जवाब दिया 'क्योंकि उन्होंने भारत को आज़ाद कराया था'. लड़कियों ने पढ़ाई के साथ खाना बनाने की विधि भी बताई तो वहीं एक ऐसी नन्ही स्टूडेंट भी मिली जो अनाथ है. जब वह महज तीन साल की थी तब उसके माता और पिता दोनों की मौत हो गई. अब गांव वाले ही उसे पाल रहे हैं और वह सब बच्चों के साथ पढ़ने स्कूल भी जाती है. जब पटेल ने सबको अपने हाथों से गर्म ट्रैक सूट पहनाए तब बच्चों की आंखें चमक उठीं और उनके चेहरे पर खुशी छा गई.

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'26 जनवरी के गिफ्ट ने बदली मेरी ज़िंदगी'

पटेल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मुझे याद है पहली बार मुझे 26 जनवरी पर एक स्टील का टिफिन और दो रुपए वाला पेन मिला था. उसी गिफ्ट ने मुझे किताबों से जोड़ दिया और रुकी हुई ज़िंदगी चलने लगी थी. डीएसपी पटेल कहते है कि बच्चों में अनेक अनाथ बच्चियां भी थीं जिन्हें देखकर मन भर आया लेकिन गांव वाले बड़ी शिद्दत से उनका पालन पोषण कर रहे हैं. यह देखकर बहुत अच्छा भी लगा. पटेल कहते हैं कि वहां बच्चों की संख्या ज्यादा हो गई. कइयों को आज ट्रैक सूट नहीं मिला तो मैं उन्हें ऑफर देकर आया हूं कि आप लोग भी मन लगाकर पढ़ाई करो. अगली बार उनसे भी सवाल पूछेंगे और सवालों के सही उत्तर देने पर उनको भी ट्रैक सूट गिफ्ट में मिलेगा.