
CDS General: भारत के प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल अनिल चौहान ने सोमवार को ग्वालियर थे. सीडीएस जनरल चौहान ने सिंधिया स्कूल के 128वें स्थापना दिवस पर छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि मई में पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर' ने निर्णय लेने और युद्ध का समय तय करने को लेकर एक नए विचार को आकार दिया.
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छात्रों को संबोधित करते हुए सीडीएस जनरल चौहान ने कहा कि, सशस्त्र बलों का काम देश में एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करा है, जबकि राष्ट्र निर्माण नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी है. सीडीएस ने आगे कहा, ‘‘भविष्य भारत का है और आने वाला युग भारत का है और हम इस देश के 140 करोड़ लोग मिलकर इसे हासिल कर सकते हैं.
सिंधिया स्कूल के इतिहास के बारे में बात करते हुए सीडीएस जनरल चौहान ने कहा, ‘‘यह दिन सिर्फ एक तारीख नहीं है, यह हमें 128 साल पहले शुरू हुई यात्रा की याद दिलाता है। यह स्वर्गीय माधव महाराज की दृष्टि थी, जो एक ऐसी अकादमी बनाना चाहते थे जो अनुशासन और चरित्र को बढ़ावा दे, यह परंपरा आज भी जारी है.
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जनरल चौहान ने आगे कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने विकसित भारत के लिए 2047 का लक्ष्य रखा है. आने वाले वर्षों में देश मजबूत और अधिक सुरक्षित होगा। हम देश को बदल देंगे. उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के बाद बातचीत में एक नई सामान्य स्थिति उभरी है कि बात और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकता.
बकौल सीडीएस, ‘न्यू नॉर्मल' का असर पाकिस्तान पर दिख रहा था, हमने खेल सहित हर क्षेत्र में उसे पछाड़ दिया है. हमारे सशस्त्र बल दिन में 24 घंटे, साल में 365 दिन काम करते हैं. युद्ध अब वायु रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और ड्रोन जैसी नई तकनीकों का उपयोग करके लड़े जाते हैं.
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वर्तमान दौर को ‘अमृत काल' बताते हुए, जनरल चौहान ने युवाओं से 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में योगदान देने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश ने दुनिया को दशमलव और शून्य की अवधारणाएं दीं. भारतीय दिमाग हमेशा मजबूत याददाश्त और तर्क के साथ रचनात्मक रहे हैं.
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने छात्रों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि ‘‘सेना की वर्दी की वजह से 140 करोड़ भारतीय रात में चैन की नींद सोते हैं. एक राष्ट्र दृष्टि और मूल्यों के माध्यम से महान बनता है. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं था, बल्कि साहस का संदेश था, जो भारत की संस्कृति और मूल्यों का प्रतीक है.
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सिंधिया नेकहा, ‘‘जनरल चौहान के नेतृत्व में प्रौद्योगिकी और ‘टीम वर्क' की बदौलत दुश्मन के कई ठिकानों को बिना किसी नागरिक के नुकसान के नष्ट कर दिया गया. वर्ष 1977 से 1981 के बीच स्कूल में पढ़ने वाले और भारतीय विदेश सेवा के 1989 बैच के अधिकारी विदेश सचिव मिसरी ने प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान में अपने दिनों को याद किया.
इस मौके पर विदेश सचिव विक्रम मिसरी को माधव पुरस्कार से सम्मानित किया. मिसरी, पाकिस्तान के साथ चार दिवसीय संघर्ष (सात से 10 मई तक चले) के दौरान सशस्त्र बलों के अधिकारियों के साथ नियमित रूप से मीडिया को जानकारी देने वाले टीम का नेतृत्व कर रहे थे.