Madhya Pradesh News: इंसानों के पैसे तो लोगों द्वारा हजम करने के मामले आपने सुने होंगे, लेकिन मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें बेजुबान कुत्तों के नाम पर भी पैसs डकार लिए गए. वह भी उनकी फर्जी नसबंदी के नाम पर. जी हां ग्वालियऱ नगर निगम मे इस घोटाले का खुलासा हुआ है.
डॉग बाइट के केस कम करने के लिए नगर निगम द्वारा संचालित डॉग नसबन्दी सेंटर में जिन कुत्तों की नसबंदी करके पैसे हड़पे गए उसने ऑपरेशन के बाद भी बच्चे को जन्म दे दिया.
कुत्तों की नसबंदी का काम करने वाली संस्था उपमन्यु पशु कल्याण समिति और उसकी निगरानी करने वाले निगम के जिम्मेदार अधिकारी फिलहाल सवालों के घेरे में हैं. आरोप हैं कि इस समिति ने जिन कुत्तों की नसबंदी करने का दावा किया, उनमें से कई कुत्ते ऐसे भी रहे जिनका केवल कान कटा हुआ था, उनके शरीर पर ऑपरेशन के कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं थे. यही कारण रहा कि कुत्तों ने फिर से बच्चों को जन्म दिया.
एक पशु प्रेमी की शिकायत व दिए गए साक्ष्य की जांच में ये भी खुलासा हुआ कि जिन कुत्तों को रिकॉर्ड जिस दिन पकड़ना बताया, उनका ऑपरेशन और पोस्ट ऑपरेटिव अवधि पूरी करने के बाद पकड़े गए स्थान पर छोड़ना भी उसी तिथि का बताया गया.इससे साफ हैं कि ऑपरेशन की बात फर्जी हैं.
इस खुलासे के बाद नगर निगम कह रही हैं कि इस संस्था को काम से हटा दिया गया हैं. हालांकि, पहले तो समिति को प्रति नसबंदी 860 रुपए की दर से लाखों रुपए का भुगतान किया जा चुका था लेकिन शिकायत के बाद में पशु प्रेमियों की शिकायतों के दबाव में काफी भुगतान रोक भी लिया गया.
पशु प्रेमियों ने दिए साक्ष्य, तब जागा निगम
कुत्तों की नसबंदी का काम कर रही तत्कालीन उपमन्यु पशु कल्याण समिति ने जो फर्जीवाड़ा किया उसके संबंध में साक्ष्य जुटाने का काम पशु प्रेमियों ने किया. आकृति मारवाह ने निगम से की शिकायत में यह आरोप लगाया कि जिन कुत्तों को नसबंदी के लिए भेजा उनकी केवल शेविंग कर उन्हें छोड़ दिया गया.
प्रभारी मंत्री से भी हुई शिकायत
नसबंदी की इस घटना को लेकर जब मामला प्रभारी मंत्री के पास पहुंचा तो उन्होंने इसको गंभीर बताते हुए जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही है. प्रभारी मंत्री का कहना है कि यह मुद्दा बेहद गंभीर है जिसको लेकर उन्होंने नगर निगम कमिश्नर से इस विषय में बात की है और खड़े शब्दों में उन्हें निर्देश दिए हैं कि इस पूरे मामले में जो भी दोषी है उसे बख्शा नहीं जाए ,क्योंकि जिस तरीके से इस मुद्दें की जानकारी निकाली है तो उसमें चौकानें वाले खुलासे हुए.
ये भी पढ़ें कलेक्ट्रेट ऑफिस को RDX IED से आज 2:30 बजे उड़ा देंगे... कलेक्टर के पास आया धमकी भरा मेल, मचा हड़कंप
नगर निगम आयुक्त संघप्रिय का कहना हैं कि इस मामले की फिर से जांच की जा रही हैं.
निगम कैसे करती है कुत्तों की नसबंदी का काम...
- नगर निगम ने उपमन्यु पशु कल्याण समिति को साल 2023 में कुत्तों की नसबंदी का ठेका दिया था. प्रत्येक नसबंदी पर 860 रूपए दिए गए थे.
- जनवरी 2023 से अक्टूबर तक 5864 कुत्तों की नसबंदी, जिसके एवज में संस्था ने 50,43040 राशि वसूली. जबकि इसी साल कुत्तों 80,562 कुत्तों को काटा.
- नगर निगम ने उपमन्यु पशु कल्याण समिति को एक साल का एक करोड़ रूपए का ठेका दिया था. लेकिन फर्जीवाड़े के चलते बीच में अनुंबध खत्म कर दिया.
- ग्वालियर में वर्तमान में 50 हजार से ज्यादा कुत्तें है.
जांच के हुए थे आदेश
नगर निगम का दावा हैं कि शिकायत मिलते ही तत्काल तत्कालीन निगम आयुक्त हर्ष सिंह ने जांच के आदेश दिए. इसमें ये बात सामने आई कि कुत्तों की नसबंदी में संस्था उपमन्यु पशु कल्याण समिति ने निगम के ही अफसरों के साथ मिलकर बड़े स्तर पर घोटाला किया है. जो संस्था रोज कुत्तों की हर रोज 40 से 50 नसबंदी बता रही थी, उसके डॉक्टर जांच कमेटी में केवल हर रोज 6-7 नसंबदी की बात स्वीकर कर रहे हैं. आनन-फानन में कंपनी को हटा दिया गया है, लेकिन दोषी निगम के अफसरों पर कार्रवाई नही की गयी है। लेकिन जांच रिपोर्ट दबा दी गई
अफसर भी सवालों के घेरे में
अब ऐसे में कुत्तों की नसबंदी का काम करने वाली संस्था उपमन्यु पशु कल्याण समिति और उसकी निगरानी करने वाले निगम के जिम्मेदार अधिकारी फिलहाल सवालों के घेरे में हैं. समिति ने जिन कुत्तों की नसबंदी करने का दावा किया, उनमें से कई कुत्ते ऐसे भी रहे, जिनका केवल कान कटा हुआ था, उनके शरीर पर ऑपरेशन के कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं थे, यही कारण रहा कि कुत्तों ने फिर से बच्चों को जन्म दिया, इस मामले को हाल ही मे प्रभारी मंत्री तुलसी राम सिलावट के सामने उठाया गया तो उन्होंने अफसरों से इस मामले की जांच करने को कहा.
ये भी पढ़ें मां का दूध पी रहे डॉग के पिल्ले को पति ने लात मारकर गेंद की तरह उछाला, पत्नी ने पीट-पीटकर मार डाला