विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनिया की 36 फीसदी और दक्षिण-पूर्व एशिया की 65 फीसदी रेबीज से होने वाली मौतें भारत में होती हैं. वहीं देश में आए दिन डॉग बाइट्स के मामले सामने आते हैं. इधर, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में डॉग्स के आतंक के बढ़टे मामले के बीच अब ग्वालियर से भी डॉग बाइट्स के चौंकाने वाला मामला सामने आया है. बता दें कि यहां बीते साल 80 हजार लोग डॉग बाइट के शिकार हुए हैं.
हर दिन 200 से अधिक मरीज पहुंचते अस्पताल
ग्वालियर में भी आमलोग आवारा कुत्तों के कहर से काफी परेशान हैं. वहीं यहां से आए डॉग बाइट्स के आंकड़ों ने लोगों के साथ-साथ प्रशासन को भी चिंता में डाल दिया है. दरअसल, यहां एक साल में डॉग ने 80 हजार से ज्यादा सड़क पर चलते लोगों को अपना शिकार बनाया है. इतना ही नहीं हर दिन जिले में आज भी लगभग 200-250 डॉग बाइट के शिकार मरीज अस्पताल पहुंचते हैं. वहीं सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि इनकी रोकथाम के लिए न तो कोई कारगर व्यवस्था है और न ही इसको लेकर भविष्य की कोई प्लानिंग.
सड़कों पर 50 हजार स्ट्रीट डॉग, हर सात मिनट में एक शिकार
ग्वालियर शहर में आवारा स्ट्रीट डॉग का आतंक इतना ज्यादा है कि सड़कों पर चलना लोगों को दूभर पड़ रहा है, क्योंकि मोटे अनुमान के अनुसार इस समय ग्वालियर की सड़कों पर 50 हजार से ज्यादा आवारा कुते हैं और ये औसतन हर सात मिनट में एक राहगीर को अपना शिकार बनाते हैं. दरअसल, पिछले साल के एक आंकड़े के अनुसार, साल 2023 में ग्वालियर में 80562 लोग डॉग बाइट के शिकार हुए हैं. बता दें कि ये वो आंकड़े हैं जो एंटी रेबीज लगवाने अस्पताल तक पहुंचते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में लोग सिर्फ नीम हकीम के सहारे ही इलाज कराते हैं.
हर दिन पहुंचती है 20 शिकायतें
निगम सूत्र बताते हैं कि उनके पास रोजाना लगभग 20 से 25 शिकायतें आवारा स्ट्रीट डॉग के आतंक की आती हैं. हालांकि शिकायत आने के बाद हमारी गाड़ी उन्हें पकड़ने भी जाती है, लेकिन जब तक हम पहुंचते है वो भाग जाते हैं. डॉग तो इतने चालाक है कि हमारी गाड़ी भी पहचानते है और उसे आते देख ही भाग निकलते हैं.
बन्द पड़ा है एबीसी सेंटर
बता दें कि स्ट्रीट डॉग की संख्या पर नियंत्रण के लिए बर्थ कंट्रोल योजना शुरू किया गया था, लेकिन पिछले छह महीने से ग्वालियर निगम का एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोजेक्ट (एबीसी) सेंटर बंद पड़ा है. इसके कारण शहर में श्वान की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसकी चिंता नगर निगम को नहीं है. यही कारण है कि छह महीने में नगर निगम एबीसी सेंटर चालू नहीं करा सका. हालांकि अब निगम का कहना है कि डॉग की बढ़ती आक्रामकता को देखते हुए उनकी धर पकड़ शुरू की जाएगी और उन्हें उसी स्थान पर रखा जाएगा जहां पर एबीसी सेंटर संचालित होता था.
इतना ही नहीं लोग सीएम हेल्पलाइन नंबर पर भी शिकायतें दर्ज करा रहे हैं, लेकिन इन शिकायतों का निराकरण नहीं हो रहा है. इस कारण से लोगों में असंतोष बढ़ता जा रहा है.
400 के करीब डॉग बाइट के मामले आए सामने
ग्वालियर जेएएच के अधीक्षक आरकेएस धाकड़ का कहना है कि जिले में डॉग बाइट की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. आमतौर पर रोजाना करीबन 100 लोग डॉग बाइट का शिकार होते हैं, लेकिन पिछले दिन तो यह संख्या और अधिक बढ़ गई है. जे एच सहित शहर के अन्य अस्पतालों को मिलाकर प्रतिदिन 400 के करीब डॉग बाइट के मामले सामने आए हैं. इसके साथ ही देहात इलाकों में भी डेढ़ सैकड़ा के करीब लोग डॉग बाइट का शिकार हुए हैं. यह काफी बड़ी संख्या है.
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डॉ धाकड़ कहते हैं कि इससे दो तरह का नुकसान है. एक तो मरीज को शारीरिक नुकसान होता है तो वहीं दूसरी ओर अस्पताल पर भी फाइनेंशियल दबाव बढ़ता है, क्योंकि डॉग बाइट के मरीज के इलाज पूरी तरह नि:शुल्क है और इसका इलाज काफी महंगा भी है, जिसके चलते अन्य मरीजों के इलाज के लिए दवाओं के कोटे में कमी होती है.
डॉग बाइट्स के शिकार से दो लोगों की हो चुकी मौत
अधीक्षक आरकेएस धाकड़ ने कहा कि अभी तक दो मरीजो की मौत रेबीज का शिकार की वजह से हुई है. रेबीज बीमारी का आज भी सही तरीके से इलाज नहीं है और जिसमें रेबीज के लक्षण आ जाते हैं और उसे बचा पाना मुश्किल होता है.
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