Govardhan Puja: ग्वालियर के इस मंदिर में 500 वर्षों से हो रही है गोवर्धन पूजा, लक्ष्मीबाई से है ये कनेक्शन

Govardhan Puja: ग्वालियर में एक ऐसा मंदिर है जहां के साधुओं ने रानी लक्ष्मीबाई का साथ दिया था, इस वजह से उनको अंग्रेजों ने यहां बेदखल कर दिया था. लेकिन बाद में सिंधिया शासकों ने ससम्मान संतों की वापसी करायी. इस मंदिर में वर्षों से गोवर्धन पूजा होती आ रही है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

Govardhan Puja in MP: आज पूरे देश में गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की धूम है. मध्यप्रदेश सरकार हर जिले की गौशाला (Gaushala) में गोवर्धन पूजा का आयोजन कर रही है. वैसे तो हर मंदिर में गोवर्धन पूजा हमेशा से होती है, लेकिन ग्वालियर के एक मंदिर की पूजा खास है. यहां की पूजा का संबंध भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम 1857 से है. इसी मंदिर के साधुओं ने उस आंदोलन की नायिका रानी झांसी वीरांगना लक्ष्मी बाई के समर्थन में न केवल आंदोलन किया बल्कि सैकड़ों साधुओं ने शहादत भी दी थी. साधुओं ने वीरांगना की अंतिम इच्छा के अनुसार अपने मठ के समीप ही उनका अंतिम संस्कार किया था.

ऐसा रहा है इतिहास

यह मंदिर है गंगा दास की बड़ी शाला, फूलबाग के समीप लक्ष्मीबाई कॉलोनी में स्थित रामजानकी मन्दिर लगभग पांच सौ साल पहले वनखंड में साधुओं की साधना स्थली थी. लेकिन 1857 में लक्ष्मीबाई का साथ देने से नाराज अंग्रेजो ने इस मंदिर से साधुओं को बेदखल कर दिया था. गंगादास महाराज यहां से हरिद्वार चले गए. बाद में जब ग्वालियर में सिंधिया शासकों की वापसी हुई तब महाराज स्वयं संतों को मनाने हरिद्वार गए. उन्हें सम्मानपूर्वक यहां लाये और मठ में विराजमान किया. तब से यहां गोवर्धन पूजा शुरू हुई जो अब तक हो रही है.

इस मंदिर की गोवर्धन पूजा की खास बात ये है कि यहां शुरू से ही गोबर के गोवर्धन बनाने के लिए वृंदावन से ही साध्वी परम्परा की महिलाएं आती हैं. इस बार वृंदावन से दीदी हरिदासी आईं हैं. डॉ सरोज मृणाल ब्रजवासी दीदी हरिदास के नेतृत्व में आई टीम बीते दो रोज से यहां तैयारियों में जुटी है. दीदी कहती है कि मैं स्वामी श्री श्री हरिदास जी महाराज के सम्प्रदाय से हूं. वे कहती है कि 'गाय हमारे जीवन की रक्षा करती है और गोवर्धन पर्वत उन्हें अपनी खास, पेड़ पत्तियों से पालता है हम उसका अभिनंदन कर गिरधारी का आभार जताते हैं'.

मठ के प्रमुख संत रामसेवक दास जी महाराज बताते हैं कि इस बार गोवर्धन बनाने गोवर्धन से ही कथा वाचक और साधक दीदी हरदास आईं हैं. वे देश मे चुनिंदा विद्वानों में हैं, जो भक्तमाल की कथा सुनाती हैं. उन्होंने गोवर्धन की दुर्लभ और अनूठी झांकी का निर्माण किया है.

यह भी पढ़ें : Govardhan Puja: पूजा से पहले 'मोहन' ने किया गौ-वंशों का श्रृंगार, CM हाउस में हैं गायों की ये प्रजातियां

Advertisement

यह भी पढ़ें : इस बार 'सलमान' व 'शाहरुख' से मंहगा निकला 'लॉरेंस' , मुगलकाल से Chitrakoot में लग रहा है गधों का मेला

यह भी पढ़ें : Dindori News: डिंडौरी ट्रिपल मर्डर केस को लेकर मचा बवाल, भारी पुलिस बल तैनात, जानिए क्या है मामला?

Advertisement

यह भी पढ़ें : Budhni Election: बुधनी में BJP लगा पाएगी हैट्रिक! जानिए इसी सीट में कैसी है उपचुनाव की हिस्ट्री?