छिंदवाड़ा : गोटमार मेले का हुआ समापन, 1 की मौत... पत्थरबाजी में करीब 200 घायल

देर शाम तक हुई पत्थरबाजी के बीच पांढुरना के लोग पताका नहीं निकाल पाए. जिसके बाद दोनों पक्षों में आम सहमति बनाकर पताका और पलाश को ले जाकर चांदी माता को अर्पित किया गया.

विज्ञापन
Read Time: 16 mins
गोटमार मेले में दो सौ पुलिस कर्मी सुरक्षा में लगाए गए थे वहीं SDRF की टीम भी स्थिति पर नजर बनाए हुए थी..
छिंदवाड़ा:

छिंदवाड़ा में हुए गोटमार मेले में दोनों ओर से हुई पत्थरबाजी में करीब दो सौ लोग घायल हो गए हैं. वहीं दो लोगों की हालत गंभीर है, जिसके चलते उन्हें नागपुर रेफर किया गया है. इसके अलावा एक युवक के लापता होने की भी खबर है, जिसका शव SDRF ने बरामद कर लिया गया है. मृतक की पहचान बीजेपी मंडल अध्यक्ष विष्णु के भाई सुदामा के रूप में हुई है. बारिश के कारण गोटमार बाधित हुआ है, जिसके बाद दोपहर 2 बजे से गोटमार ने जोर पकड़ा.

चंडी माता की पूजा के साथ समाप्त हुआ गोटमार मेला

परंपरा के अनुसार प्रातःकाल चंडीमाता मंदिर में हवन पूजन किया गया, जिसमें पांढुरना और साबरगांव के लोग शामिल हुए. इसके बाद सुबह आठ बजे जाम नदी के दोनों ओर से पलाश की शाखा उखाड़ने के लिए पत्थरबाजी हुई, लेकिन बारिश के कारण पत्थर बाजी नहीं हो पाई. इसके बाद दोपहर 2 बजे दोबारा पत्थरबाजी शुरू हुई, जो देर शाम तक हुई. इस दौरान पांढुरना के लोग पताका नहीं निकाल पाए. जिसके बाद दोनों पक्षों में आम सहमति बनने के बाद पूजन पाठ होने के बाद पताका और पलाश को ले जाकर चांदी माता को अर्पित किया.

Advertisement

प्रशासन की चुस्त व्यवस्था

कलेक्टर मनोज पुष्प ने बताया कि गोटमार मेले को देखते हुए चुस्त व्यवस्था बनाई गई है. प्रशासन और नगरपालिका के लोग नजर रखे हुए हैं. वहीं एसपी विनायक वर्मा का कहना है कि दो सौ पुलिस कर्मी सुरक्षा में लगाए गए हैं और SDRF की टीम नजर रखे हुए है.

Advertisement

ये भी पढ़ें - सिवनी : 950 करोड़ में बने अंडरपास में आई दरार, 2 साल पहले हुआ था उद्घाटन

Advertisement

ये है किवदंती

बताया जाता है कि करीब ढाई सौ साल पहले पांढुरना का लड़का और साबरगांव की लड़की एक दूसरे से प्रेम करते थे. दोनों शादी करने के लिए भाग रहे थे, इसी दौरान दोनों जाम नदी पार कर रहे होते हैं तभी दोनों को नदी के बीचों-बीच एक तरफ पांडुरना के लोग और दूसरी ओर साबरगांव के लोगों ने रोककर दोनों तरफ से पत्थरों की बारिश करने लगते हैं. जिसमें प्रेमिका की मौत हो जाती है. इसके बाद दोनों पक्षों के लोग प्रेमिका को मृत अवस्था में चंडी माता मंदिर ले जाते हैं, जहां माता की पूजन के बाद प्रेमिका पुन: जीवित हो जाती है. तब से लेकर आज तक यह परंपरा अनवरत जारी है.

पलाश वृक्ष का महत्व

पोला पर्व के दूसरे दिन पांढुरना और साबरगांव के पटेल लोग पलाश की शाखा लेकर मंदिर पहुंचते हैं, जहां माता की पूजन आरती करते हैं. सुबह पांच बजे नदी के बीचों बीच पलाश की शाखा को गाड़ दिया जाता है, जिसके ऊपर लाल पटका भी लगाते हैं. यहां के लोग पलाश को प्रेमिका का स्वरूप मानते हैं.

ये भी पढ़ें - सीहोर : भारी बारिश के चलते तवा डैम के 13 गेट खुले, नर्मदा नदी उफान पर