मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराने की पहल करने वाले मध्यप्रदेश ने एक और अच्छी पहल की है. हिंदी दिवस के मौके पर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने मशहूर मेडिकल रिसर्च जर्नल The Lancet के साउथ एशिया एडिशन को हिंदी में प्रकाशित करने का ऐलान किया. ये अपने आप में अहम ऐलान है क्योंकि 'द लैंसेंट' मैगजीन को दुनिया भर में चिकित्सा के क्षेत्र में बड़े ही सम्मान से देखा जाता है इसमें छपने वाले रिसर्च स्टूडेंट्स के साथ-साथ उन्हें पढ़ाने वाले प्रोफेसर्स के लिए भी अहम होते हैं. इस पत्रिका की अहमियत इतनी है कि दुनिया के कई देशों की सरकार इसमें छपे शोध के आधार पर एक्शन भी लेती हैं.मैगजीन का हिंदी अनुवाद राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग का "हिंदी चिकित्सा प्रकोष्ठ मंदार" करेगा.
गुरुवार को 'द लैंसेट' की डिप्टी पब्लिशिंग हेड फियोना मेकलेब और एल्जेवीयर पब्लिकेशन के प्रमुख शंकर कौल ने हिंदी चिकित्सा प्रकोष्ठ मंदार का दौरा किया और वहां के काम को समझा. खुद चिकित्सा शिक्षा मंत्री सारंग ने दोनों अधिकारियों को मंदार का दौरा कराया और बताया कि यहां किस तरीक से काम होता है. दोनों अधिकारियों ने हिंदी में MBBS की पढ़ाई कराने के कदम की सराहना भी की. इस दौरान विश्वास सारंग ने बताया कि द लैंसेंट का अंग्रेजी के अलावा अब तक केवल और तीन भाषाओं में ही प्रकाशन होता था. हिंदी चौथी भाषा होगी जिसमें इसका प्रकाशन होगा. विश्वास सारंग ने कहा कि यह हिंदी, हिंदुस्तान और हिंदी मीडियम के चिकित्सा विद्यार्थियों के लिये बेहद खास दिन है.
द लैंसेट को जानिए
द लैंसेट एक साप्ताहिक मेडिकल जर्नल है. इस मैगजीन का संपादकीय कार्यालय लंदन, न्यूयॉर्क शहर और बीजिंग में मौजूद है. इसकी स्थापना 1823 में इंग्लैंड में हुई थी. लैंसेट कई विशेष पत्रिकाएँ भी प्रकाशित करता है. मसलन-द लैंसेट न्यूरोलॉजी,द लैंसेट ऑन्कोलॉजी,द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज, द लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन आदि. पत्रिका के प्रधान संपादक रिचर्ड हॉर्टन है. ये मैगजीन चिकित्सा विज्ञान और चिकित्सा से जुड़े कई शोध,समाचार और समीक्षा आदि को अपनी पत्रिका में प्रकाशित करती है.इसके माध्यम से एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों और एक्सपर्ट्स को भी कई मामलों में बेहतर जानकारियां प्राप्त होती हैं.