सराहनीय पहल: युवा कांग्रेस नेता की मौत के बाद पिता ने किया बेटे का अंगदान, 7 लोगों को मिला नया 'जीवन'

MP News: मृतक के पिता आलोक मिश्रा ने बताया कि दुख की कठिन घड़ी में यह निर्णय लेना अपने आप में एक चुनौती का काम था, क्योंकि ब्रेन डेड होने के बाद ऑर्गन रिसीवर का मैच होना आवश्यक होता है. इसके लिए समय लगाता है, बहुत सी अनुमति आवश्यक होती है. ऐसे में रिसीवर मिलने तक हमने अंकित को वेंटिलेटर पर रखकर उसकी सांसों को बचाए रखा.

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Organ Donation in Jabalpur: मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस (Madhya Pradesh Youth Congress) के प्रदेश सचिव और समाजसेवी अंकित मिश्रा का दिल्ली के मेदांता हॉस्पिटल (Medanta Hospital Delhi) में इलाज के चलते निधन हो गया. ऐसी कठिन घड़ी में भी पिता आलोक मिश्रा ने अपने 35 वर्षीय पुत्र की मानवीय भावनाओं के अनुरूप मानवता के लिए अपने दिवंगत पुत्र अंकित के सभी उपयोगी अंगों का दान (Organ Donation) कर एक सराहनीय एवं अनुकरणीय मिसाल प्रस्तुत की, अंकित मिश्रा की दोनों आंखें, फेफड़े (Lung Donation), किडनी (Kidney Donation) और लीवर दान (Liver Donation) किया गया. इस मानवीय पहल से 7 लोगों के जीवन को बचाया जा सकेगा. वहीं लीवर के दान से और भी कई लोगों के लिवर ट्रांसप्लांट (Liver Transplant) हो सकेंगे.

कैसे हुई थी अंकित की मौत?

होली के अगले दिन अंकित मिश्र अपने कटंगा स्थित निवास में खड़े थे, तभी बालकनी से अनबैलेंस होकर जमीन पर गिर गए थे. गंभीर हालत में पहले उन्हें जबलपुर हॉस्पिटल (Jabalpur Hospital) में एडमिट कराया गया था, लेकिन नाजुक हालत को देखते हुए अंकित को इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया, जहां उनके जीवन का संघर्ष सफल नहीं रहा.

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अंकित के पिता आलोक मिश्रा ने NDTV को बताया जब अंकित का ब्रेन डेड (Brain Death) हो चुका था और डॉक्टर ने यह बता दिया था कि अब बचने की कोई संभावना नहीं है, तब परिवारजनों से तत्काल विचार विमर्श कर हमने यह निर्णय लिया कि अंकित की सभी उपयोगी अंगों को दान कर दिया जाए. मेरा बेटा तो चला गया लेकिन कई बेटों की जान उसके ऑर्गन से बच जाएगी और अपने अंगों के रूप में मेरा बेटा भी हमेशा जीवित रहेगा.

आलोक मिश्रा ने बताया कि दुख की कठिन घड़ी में यह निर्णय लेना अपने आप में एक चुनौती का काम था, क्योंकि ब्रेन डेड होने के बाद ऑर्गन रिसीवर का मैच होना आवश्यक होता है. इसके लिए समय लगाता है, बहुत सी अनुमति आवश्यक होती है. ऐसे में रिसीवर मिलने तक हमने अंकित को वेंटिलेटर पर रखकर उसकी सांसों को बचाए रखा. यह बहुत कठिन समय था. जब सभी अंग सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किए गए, तब उसके बाद हम अंकित का शव लेकर सड़क मार्ग से जबलपुर की ओर निकले ताकि अंतिम संस्कार नर्मदा नदी (Narmada River) के तट ग्वारीघाट में किया जा सके.

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अंगदान क्या है?

किसी व्यक्ति के शरीर का कोई अंग दान करना ही अंगदान कहलाता है. यह अंग किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है. इसके लिए डोनर के शरीर से दान किए गए अंग को ऑपरेशन के द्वारा निकाला जाता है. अंग दान तभी संभव है जब मरीज की आईसीयू में मृत्यु हो जाए और उसे ब्रेन स्टेम डेड घोषित कर दिया जाए. यदि मृत्यु घर पर होती है तो कोई भी महत्वपूर्ण अंग उपयोग नहीं किए जा सकते हैं. घर पर मौत के बाद आंखों का दान किया जा सकता है. कॉर्निया (आँखें) और त्वचा जैसे ऊतकों को एक निर्धारित समय सीमा के अंदर दान किया सकता है, भले ही व्यक्ति की घर पर मृत्यु हो जाए.

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कौन से अंग दान किये जा सकते है?

जिन अंगों और ऊतकों को दान किया जा सकता है उनमें हृदय, गुर्दे, फेफड़े, अग्न्याशय, यकृत, आंतें, कॉर्निया, त्वचा, टेंडन, हड्डी, तंत्रिका और हृदय वाल्व आते है, लेकिन ये अंग किसी रोग या संक्रमण से मुक्त होने चाहिए.

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