MP के सहारे दक्षिण में मजबूत होगी BJP ? जॉर्ज कुरियन की उम्मीदवारी के ये हैं मायने

दक्षिण भारत के नेताओं को संसद के ऊपरी सदन में भेजने के लिए बीजेपी ने फिर एक बार मध्य प्रदेश का रास्ता चुना है। मंगलवार को बीजेपी ने केरल के जॉर्ज कुरियन ( George Kurien,) को मध्य प्रदेश से राज्यसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित किया, जो यह संकेत देता है कि मध्य प्रदेश दक्षिण भारतीय राज्यों, खासकर केरल और तमिलनाडु, के नेताओं के लिए राज्यसभा में प्रवेश का सुरक्षित मार्ग बनता जा रहा है.

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Madhya Pradesh Political News: दक्षिण भारत के नेताओं को संसद के ऊपरी सदन में भेजने के लिए बीजेपी ने फिर एक बार मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh News) का रास्ता चुना है। मंगलवार को बीजेपी ने केरल के जॉर्ज कुरियन ( George Kurien,) को मध्य प्रदेश से राज्यसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवार (Rajya Sabha Candidate) घोषित किया, जो यह संकेत देता है कि मध्य प्रदेश दक्षिण भारतीय राज्यों, खासकर केरल और तमिलनाडु, के नेताओं के लिए राज्यसभा में प्रवेश का सुरक्षित मार्ग बनता जा रहा है.

64 वर्षीय जॉर्ज कुरियन, जो 1980 से केरल में भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं,अब राज्यसभा में अपनी पारी के लिये आश्वस्त होंगे क्योंकि मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा का भारी बहुमत है। कुरियन केरल या तमिलनाडु से चुने जाने वाले पाँचवें भाजपा नेता होंगे जो मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए जाएंगे. कुरियन वर्तमान में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं और उनके पास अल्पसंख्यक मामलों, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी के मंत्रालयों का प्रभार है. इसके अलावा, वह सुप्रीम कोर्ट में वकील भी हैं और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में भी सेवा दे चुके है.

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मध्यप्रदेश से राज्यसभा उम्मीदवार बनने के बाद दजॉर्ज कुरियन ने बात की राज्य बीजेपी के नेताओं से

कुरियन के राजनैतिक करियर की शुरुआत 1980 में हुई जब वो बीजेपी में शामिल हुए,  तब से लेकर अब तक उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है. उन्होंने भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्य के रूप में कार्य किया, भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे, और बाद में बीजेपी की केरल इकाई के उपाध्यक्ष भी बने. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुवादक के रूप में भी सेवाएं दी हैं जब प्रधानमंत्री केरल की यात्राओं पर थे। कुरियन ने 2016 के केरल विधानसभा चुनावों में पुथुपल्ली सीट से चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें तीसरा स्थान प्राप्त हुआ था.

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मध्य प्रदेश से दक्षिण भारतीय नेताओं को राज्यसभा में भेजने की बीजेपी की यह रणनीति नई नहीं है. 1992 में केरल के ओ राजगोपाल मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए थे और 1998 में उन्होंने फिर से यही सीट हासिल की थी. इसके बाद तमिलनाडु के एस थिरुनावुक्कारासर 2005 में चुने गए,

लेकिन बाद में उन्होंने बीजेपी छोड़ दी.ला गणेशन 2016-2018 तक राज्यसभा सदस्य रहे और 2021 में एल मुरुगन ने इस मार्ग से राज्यसभा में प्रवेश किया। अब जॉर्ज कुरियन इस सिलसिले को आगे बढ़ा रहे हैं. 

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हालांकि, जॉर्ज कुरियन की उम्मीदवारी ने मध्य प्रदेश के कई स्थानीय भाजपा नेताओं की संभावनाओं को झटका दिया है.इनमें पूर्व सांसद डॉ केपी सिंह यादव, जो 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुना सीट से हराकर चर्चा में आए थे, और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, जयभान सिंह पवैया सहित अन्य नेता शामिल हैं. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व का यह निर्णय दर्शाता है कि पार्टी की प्राथमिकता अब राष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा व्यापक और रणनीतिक हो गई है, जहां वह अपने संगठनात्मक ढांचे को अधिक मजबूत और व्यापक बनाने की कोशिश कर रही है.

बीजेपी ने पिछले दो राज्यसभा चुनावों में मध्य प्रदेश से केवल ओबीसी, एससी और एसटी नेताओं को ही राज्यसभा भेजा है, विपक्षी कांग्रेस ने इस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा ने डॉ केपी सिंह यादव और अन्य नेताओं को फिर से नजरअंदाज कर दिया है, जिससे उनका राजनीतिक वनवास कब खत्म होगा, यह अब भी सवाल बना हुआ है.इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि भाजपा अपनी राजनीतिक चालों में बहुत ही सूझबूझ से काम कर रही है, जहां वह दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए मध्य प्रदेश का इस्तेमाल कर रही है. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी के भीतर की इन रणनीतियों का मध्य प्रदेश की राजनीति और वहां के नेताओं पर क्या प्रभाव पड़ता है.

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