कब बरसोगे! देवास में बारिश के इंतजार में किसान, सोयाबीन की हुई फसल पीली, पानी गिरने के लिए मुस्लिम समुदायों ने पढ़ी नमाज

Dewas News: किसानों ने जब सोयाबीन की बोहनी की, तब पानी नहीं गिरा, जिसके चलते सोयाबीन की फसल खराब हो गई. वहीं दूसरी बार कर्ज लेकर सोयाबीन की बोहनी की तो तेज पानी बरस गया और कहीं-कहीं फसल गल गई. हालांकि कहीं कहीं ये फसल लगी तो फूल आने की कगार पर ये पीली पड़ने लगी.

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Soybean Crop Damaged in Dewas: कहते हैं कि का वर्षा जब कृषि सुखानी... मौसम की बेरुखी देवास जिले में इस कहावत को चरितार्थ करती दिख रही है. बारिश के अभाव में एक तरफ बढ़ रही गर्मी और उमस से लोगों का हाल बेहाल है तो दूसरी तरफ मालवा का 'पीला सोना' उगाने वाले किसान बारिश के लिए आसमान की ओर टकटकी लगाए हैं. जहां-तहां सोयाबीन की फसल बची तो अब पीली पड़ने से खराब हो रही है और फूल भी मूरझा रहे हैं.

बारिश की आस में किसान

मालवा का 'पीला सोना' कहा जाने वाला सोयाबीन की फसल बारिश नहीं होने से अब पीली पड़ने लगी है. ऐसे में अब किसानों के चेहरे पर भी चिंता की लकीरें साफ दिखने लगी हैं. इस बीच किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए हैं. वहीं बादल की ओर देखकर किसान बोल रहा है- कब बरसोगे. इस बीच मुस्लिम समाज के हजारों लोग एक साथ जुटे और अच्छी बारिश की दुआ की.

पीली हो गई सोयाबीन की फसल

दरअसल, किसानों ने जब सोयाबीन की बोहनी की थी, तब पानी नहीं गिरा, जिसके चलते सोयाबीन की फसल खराब हो गई. वहीं दूसरी बार कर्ज लेकर सोयाबीन की बोहनी की तो तेज पानी बरस गया और फसल गल गई. हालांकि कहीं कहीं ये फसल बची तो फूल आने की कगार पर ये पीली पड़ने लगी.

किसानों का कहना है कि बारिश नहीं होने से सोयाबीन की फसल पीली पड़ रही है. इसमें अब फूल भी नहीं आएंगे, फिर फसल कैसे आएंगी? अगर किसी खेत में फसल में फूल आ भी गई तो पानी नहीं गिरने से वो भी मुरझा रहे हैं.

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बारिश केलिए मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पढ़ी नमाज

इधर, देवास शहर में मुस्लिम समाज के हजारों लोग एक साथ अच्छी बारिश की दुआ करने के लिए जुटे. शहर के एक गार्डन में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में सुबह से ही बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों का उत्साह देखा गया. ठीक उसी तरह जैसे ईद-उल-फितर या ईद-उल-अजहा जैसे बड़े पर्वों पर सामूहिक नमाज अदा की जाती है. वैसे ही यहां सभी ने मिलकर विशेष नमाज पढ़ी और अल्लाह से समय पर भरपूर बारिश की दुआ की.

इस आयोजन का उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें किसानों की परेशानियों और समाज के हर वर्ग की भलाई की भावना भी झलक रही थी. दुआ में सभी ने मिलकर प्रार्थना की कि जल्द ही अच्छी बारिश हो, जिससे सूखे की स्थिति समाप्त हो, किसानों की फसलें सुरक्षित रहें और पानी की कमी से जूझ रहे लोगों को राहत मिले. साथ ही यह भी दुआ की गई कि बारिश के साथ बीमारियों का प्रकोप न बढ़े और मौसम सबके लिए अनुकूल रहे.

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