शिप्रा नदी पर उमड़ा आस्था का सैलाब ! उज्जैन के कलेक्टर और SP ने भी लगाई डुबकी

Makar Sankranti 2025 : उज्जैन में हर त्योहार की शुरुआत महाकालेश्वर मंदिर से होती है. मकर संक्रांति के दिन सुबह सबसे पहले बाबा महाकाल को तिल के उबटन से स्नान कराया गया. इसके बाद तिल से बने पकवानों का भोग लगाया गया.

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शिप्रा नदी पर उमड़ा आस्था का सैलाब ! उज्जैन के कलेक्टर और SP ने भी लगाई डुबकी

Ujjain : मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी यानी कि उज्जैन में मकर संक्रांति के मौके पर काफी भीड़ जुटी. मंगलवार को सुबह से ही श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान करने पहुंचने लगे. इस खास पर्व पर शिप्रा में नहाने और दान करने की परंपरा है. श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी थी कि ठंड के बावजूद नदी के घाटों पर जगह-जगह आस्था की डुबकी लगाने वालों का तांता लगा रहा. श्रद्धालुओं के साथ उज्जैन के कलेक्टर नीरज सिंह और SP प्रदीप शर्मा ने भी शिप्रा नदी में स्नान किया. दोनों अधिकारियों ने आस्था के इस पर्व में भाग लेकर श्रद्धा व्यक्त की.

महाकाल मंदिर से हुई शुरुआत

उज्जैन में हर त्योहार की शुरुआत महाकालेश्वर मंदिर से होती है. मकर संक्रांति के दिन सुबह सबसे पहले बाबा महाकाल को तिल के उबटन से स्नान कराया गया. इसके बाद तिल से बने पकवानों का भोग लगाया गया. मकर संक्रांति पर शिप्रा नदी में स्नान करने और दान-पुण्य करने की परंपरा है. लोग स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं और दान करते हैं. ऐसा माना जाता है कि तांबे के कलश में काले तिल भरकर, ऊपर सोने का दाना रखकर दान करने से पितरों की कृपा मिलती है. इसके अलावा गाय को चारा खिलाने और जरूरतमंदों को भोजन देने से मानसिक शांति मिलती है.

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धार्मिक मान्यताओं की मानें तो, मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है. इस दिन चावल, मूंग की दाल, खिचड़ी, वस्त्र और भोजन का दान करने की परंपरा है. कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ. शिप्रा नदी के घाटों पर हर उम्र के लोग स्नान करते और पूजा-पाठ करते नजर आए. कई लोगों ने अपने पितरों के लिए तर्पण किया.

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