जल्द लगेगा बिजली का बड़ा झटका! सिर्फ 100 यूनिट का होगा स्लैब, टैरिफ बढ़ाने की तैयारी में कंपनियां

विद्युत उपभोक्ताओं की सबसे बड़ी शिकायत यही है कि मीटर रीडिंग टाइम पर नहीं होती है. दो महीने, तीन महीने में मीटर रीडिंग करने वाले आते हैं इसलिए अक्सर उनके बिल बड़े स्लैब में आते हैं.

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सांकेतिक फोटो

Jabalpur News: बिजली कंपनियों ने व्यापारिक संस्थानों और उद्योगों के टैरिफ में करीब 4 फीसदी बढ़ोतरी करने की याचिका नियामक आयोग में दाखिल की है, जिस पर 22 जनवरी को आयोग आम उपभोक्ताओं से दावे और आपत्तियां लेगा. इस संबंध में जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने अपनी आपत्ति दर्ज कराने की तैयारी कर ली है. मंच का कहना है कि केंद्र सरकार ने 14 जून 2023 को दिन में कोयले से उत्पन्न बिजली की जगह पर सस्ती और सौर ऊर्जा का उपयोग ज्यादा होने से दिन के बिजली के दाम 20 फीसदी घटाने संबंधी निर्देश संशोधित बिजली नियम के तहत लागू कर दिए थे. लेकिन बिजली कंपनियों ने इन्हें केवल औद्योगिक और गैर-घरेलू उपभोक्ताओं पर लागू करने के लिए प्रस्तावित किया है, जो कि भेदभावपूर्ण है.

विद्युत मंडल उपभोक्ताओं को एक और करंट लगाने की तैयारी कर रहा है. अभी तक 100 यूनिट, 200 यूनिट और 300 यूनिट तक बिजली का घरेलू इस्तेमाल करने वालों के पे स्लैब अलग-अलग होते हैं. प्राय: घरेलू छोटे उपभोक्ता 100 यूनिट बिजली का इस्तेमाल करते हैं लेकिन अब ऐसी जानकारी मिली है कि 100 यूनिट के बाद कोई स्लैब नहीं होगा. अगर 101 यूनिट बिजली का उपयोग किया गया तो हायर स्लैब में चला जाएगा जिससे उपभोक्ताओं को अब बड़े-बड़े बिल मिलेंगे. 

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टाइम पर नहीं होती मीटिंग रीडिंग 

विद्युत उपभोक्ताओं की सबसे बड़ी शिकायत यही है कि मीटर रीडिंग टाइम पर नहीं होती है. दो महीने, तीन महीने में मीटर रीडिंग करने वाले आते हैं इसलिए अक्सर उनके बिल बड़े स्लैब में आते हैं. अब जब 100 यूनिट के बाद स्लैब ही नहीं होगा और मीटर रीडिंग 2 महीने में होगी तो बिना कोई शक सभी उपभोक्ता अपर स्लैब में ही बिल का भुगतान करेंगे, जो काफी ज्यादा होगा. मंच ने कहा है कि हमने टाइम ऑफ डे टैरिफ संबंधी सभी श्रेणियों के उपभोक्ताओं को इसी वर्ष से लागू करने की मांग वाली आपत्ति मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग को भेजी है. 

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15 फीसदी तक टैरिफ बढ़ाने की तैयारी में कंपनियां

मंच के पीजी नाजपांडे ने बताया कि टाइम ऑफ डे के संशोधित नियम 7 महीने पहले लागू होने के बावजूद भी इन्हें लागू करने की अनुमति नियामक आयोग से नहीं ली गई है. साथ ही 12 दिसंबर को बिजली कंपनियों ने टाइम ऑफ डे टैरिफ को प्रस्तावित किया है, जिसके चलते नियामक आयोग इन्हें अनुमोदित करता है तो बिजली कंपनियों को संशोधित याचिका पुनः दायर करनी पड़ेगी. इधर विद्युत मामलों के जानकार वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र अग्रवाल ने कंपनियों की याचिका का अवलोकन करने के बाद दावा किया है कि बिजली कंपनियां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से व्यापारिक संस्थाओं और उद्योगों से 15 फीसदी तक टैरिफ बढ़ाने की तैयारी कर चुकी हैं.