Election Boycott in MP: पहले चरण की वोटिंग हुई पूरी, कई लोगों ने किया बहिष्कार

Lok Sabha first Phase Voting: मध्य प्रदेश में कुछ ऐसे भी वोटिंग बूथ रहें जहां लोगों ने वोट करने से ही मना कर दिया. उनका कहना था कि जब हमारी मांगे पूरी ही नहीं होती है तो हम वोट क्यों दें!

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कई जगहों पर लोगों ने किया मतदान का बहिष्कार

Lok Sabha Elections 2024: पूरे देश में शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान पूरा हुआ. देश भर में जहां 64% वोटिंग  हुई, तो वहीं मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh First phase Voting Percentage) में कुल 67.07% और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh First phase Voting Percentage) के बस्तर (Bastar) में कुल 66.04 प्रतिशत मतदान रहा. मध्य प्रदेश के छह लोकसभा सीटों पर और छत्तीसगढ़ में एक लोकसभा सीट (MPCG Lok Sabha Seats) पर पहले चरण की वोटिंग हुई. इनमें से कुछ वोटिंग बूथ ऐसे रहे जहां समय से पहले ही 100% वोटिंग पूरी कर ली गई थी, लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसे रहे जहां लोगों ने अपना मत देने से ही मना (Voting Boycott in MPCG) कर दिया. इसकी मुख्य वजह उनके विकास से वंचित रहने की रही. आइए जानते हैं किन जगहों पर किन वजहों से लोगों ने वोटिंग का बहिष्कार कर दिया.

मंडला में पड़े महज 31 वोट

मंडला जिले की बिछिया विधानसभा के ग्राम इमलिया के ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं किया. 1263 मतदाताओं वाले  इस केंद्र में महज 31 मत ही डाले गए जो चुनाव बहिष्कार जैसा ही रहे. प्रशासन की बहुत समझाइश के बावजूद इस मतदान केंद्र में सुबह 7 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक सिर्फ 31 लोगों ने ही मतदान किया. ग्रामीणों ने मतदान न करने की वजह बताती कि गांव में पानी और खासतौर पर सड़क की समस्या विकराल है. आजादी के 7 दशक बीत जाने के बावजूद इस गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली सड़क नहीं बन सकी है. ग्रामीणों का कहना है कि सड़क न होने से जहां स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं इन ग्रामीणों को नहीं मिल पा रही, वहीं अब तो लोग इस ग्राम के रहने वाले लड़के - लड़कियों से शादी करने से भी कतराने लगे हैं.

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1600 में से 10 लोगों ने किया मतदान

बालाघाट में चुनाव का बहिष्कार देखने को मिला. यहां के ग्राम बहेला में दो मतदान केंद्र में, करीब 1600 मतदाताओं में से केवल 10 लोगों ने मतदान किया. यहां लोगों ने बहिष्कार का कारण ग्राम में मोबाइल नेटवर्क. नल जल योजना किसानों को बिजली की समस्या सहित अनेकों मूलभूत समस्याओं का बताया. प्रशासन की समझाइश के बाद भी ग्रामीण नहीं माने. उन्होंने कहा कि जब तक इन चीजों का निराकरण नहीं होता, वे वोट नहीं देंगे. बता दें कि कई वर्षों से यह ग्राम मोबाइल नेटवर्क और पीने के पानी की समस्या से जूझ रहा है.

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डिंडोरी में जल संकट से जूझ रहे लोग

डिंडोरी जिले के कई गांवों में मतदाताओं ने चुनाव का बहिष्कार किया. इसके लिए उन्होंने जल संकट का हवाला दिया. सुनपुरी व टिकरिया गांव के मतदाताओं ने चुनाव का बहिष्कार किया. वहीं, बांध निर्माण के विरोध में उमरिया गांव के लोगों ने बहिष्कार किया. सुनपुरी पोलिंग बूथ पर चार सरकारी कर्मचारियों ने वोट डाले. दुसरी तरफ, उमरिया जिले के मानपुर विकासखंड के ग्राम कसेरु में सड़क की मांग को लेकर ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया. यहां दोपहर दो बजे तक एक भी मतदान नहीं किया गया.

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रोड नहीं तो वोट नहीं-धरहर ग्राम के लोग

जबलपुर के पनागर विधानसभा के ग्राम धरहर में ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया. ग्रामीणों ने 'रोड नहीं तो वोट नहीं' के नारे लगाए. गांव में रोड न होने के चलते बहिष्कार किया. मौके पर प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे और मतदान करने की अपील की. लेकिन, ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे. जानकारी के अनुसार इस बूथ पर पांच से भी कम लोगों ने वोट डाला.

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बाघ की मूवमेंट के कारण किया चुनाव का बहिष्कार

सीधी लोकसभा के अंतर्गत आने वाले शहडोल सीधी जिले के सीमा से लगे दूरस्थ अंचल गांव बोचरो में ग्रामीणों द्वारा मतदान का बहिष्कार किया गया. गांव में बाघ का लगातार मूवमेंट बना रहता है. बाघ से आए दिन ग्रामीणों में डर का माहौल बना रहता है. बोचरो ग्राम संजय डुबरी टाइगर रिजर्व से लगा गांव है. इसी को लेकर यहां के ग्रामीणों ने अपना मत देने से इंकार कर दिया. खबर जैसे ही शहडोल पहुंची, तत्काल जिला प्रशासन हरकत में आया. शहडोल मुख्यालय से जिला पंचायत सीईओ राजेश जैन एसडीएम व्यवहारी सहित वन विभाग की टीम पहुंची और ग्रामीणों को समझाया, लेकिन ग्रामीण नहीं मानें और अपनी मांग पर अड़े रहे.

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