MP में निमाड़ के जंगलों से एक साल में हुई 150 करोड़ की आय, 50 हजार लोगों को मिला रोजगार

MP Forest: मध्यप्रदेश 12 राष्ट्रीय उद्यानों का घर है जो प्राकृतिक लुभावने परिदृश्य और विविध वन्यजीव के लिए जाने जाते है. इसके अलावा मध्‍यप्रदेश में 50 से अधिक अभ्‍यारण्‍य और प्राकृतिक दृष्टि से रमणीय स्‍थल विद्यमान हैं. इतना ही नहीं मध्य प्रदेश के वनों से कमाई भी हो रही है. आइए जानते हैं कैसे निमाड़ क्षेत्र के वनों से रोजगार और आय का सृजन हुआ है.

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Madhya Pradesh Forest: मध्य प्रदेश के पश्चिमी-पूर्वी निमाड़ (Nimar) के खंडवा (Khandwa), बुरहानपुर (Burhanpur), खरगौन, बड़वाह, सेंधवा और बड़वानी वनमंडलों के वनों की वनोपज औषधि (Medicinal Plants), सागौन की इमारती लकड़ी (Teak Wood), तेंदूपत्ता, महुआ, बांस जैसी उपजों से एक साल में सरकार को 150 करोड़ रुपये से अधिक की आय हुई है. इसमें वन विकास निगम से होने वाली आय भी शामिल हैं. वन विभाग द्वारा बताया गया कि निमाड़ वन क्षेत्र में तेंदूपत्ता संग्रहण के लिये ग्राम स्तर पर 33 प्राथमिक लघु वनोपज समितियां बनाई गई हैं. इनसे आदिवासी महिला-पुरुष संग्राहकों को 21 करोड़ रुपये का लाभ दिया गया है. खंडवा जिले में आने वाले वन क्षेत्र में 38 हजार 902 पुरुष एवं 33 हजार 685 अनुसूचित जनजाति के संग्राहकों को रोजगार मिला है. इन वर्गों के लोगों का जीवन वन और वन से होने वाली आय पर निर्भर है.

क्या कहते हैं अधिकारी?

खंडवा के सीसीएफ रमेश गणावा ने बताया कि निमाड़ के खंडवा वन सर्कल के खंडवा, बुरहानपुर, खरगौन, बड़वाह, सेंधवा और बड़वानी वनमंडलों के वनों से शासन को 150 करोड़ का राजस्व देकर अपनी अहम भूमिका निभा रही है. निमाड़ के वनों से स्थानीय 50 हजार पुरुष और महिलाओं को रोज़गार प्राप्त होता है. यहां के वनों से मिलने वाले तेंदूपत्ता, महुआ, सागौन, बांस, धावड़ा और सलई गोंद देशभर में प्रसिद्ध है.

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देशभर में बढ़ रही है निमाड़ के वनोपज और जड़ी-बूटियों की मांग

वनों में मौजूद औषधियां, पौधे मनुष्य की बीमारियों को दुरुस्त करने में मदद करते हैं. इनमें नीम की निम्बोली और तेल, कालमेघ, गिलोय, अर्जुन, हड़जोड़, निर्गुण्डी, आँवला, बहेड़ा, चिरायता, अश्वगंधा, सर्पगंधा, अपामार्ग, धावड़ा, गोंद, शहद सहित अन्य पेड़-पौधे औषधि के काम आते हैं. इन औषधियों से कई बीमारियों को ठीक करने में मदद मिलती है.

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निमाड़ के वनों के औषधीय पौधों से 10 लाख रुपये प्रतिवर्ष आय वन समितियों के संग्राहको को होती है. इसके अलावा सागौन की बिक्री से लकड़ी लाभांश, वन विभाग द्वारा पूर्व में वितरित बांस पौधों से प्राप्त बांस, रोपण क्षेत्रों से घास, तेंदूपत्ता, महुआ फूल एवं महुआ गुल्ली, सिराडी से चटाई और ईको पर्यटन केन्द्र धारीकोटला, बोरियामाल, गूंज़ारी और बावनगजा से होने वाली आय 50 करोड़ के लगभग है.

सीसीएफ ने बताया कि निमाड़ के बड़े तेंदूपत्ता की मांग देशभर में है. तेंदूपत्ता के लिये वन विभाग द्वारा लघु वनोपज संघ मुख्यालय भोपाल स्तर से टेंडर जारी किये जाते हैं. इसमें मध्यप्रदेश के अलावा पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों के बिजनेसमैन टेंडर में शामिल होते हैं. खंडवा के आशापुर डिपो के सागौन को प्रीमियर सागौन माना गया है.

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