Dussehra 2023: उज्जैन में बना है रावण का मंदिर, मन्नत मांगने आते हैं लोग... दशहरे पर नहीं होता पुतला दहन 

Dussehra 2023: मंगलवार को दशहरे के अवसर पर भी आसपास के करीब 25 गांव के लोग यहां पर आए. सभी ने रावण की पूजा कर अपनी मन्नत पूरी होने की कामना की. इस मौके पर यहां शाम को मेला लगाकर पर्व भी मनाया जाएगा. हालांकि गांव में कुछ लोग रावण दहन भी करते है. यहां पर दूर-दूर के कई लोग भी अपनी मुराद लेकर भी रावण की पूजा के लिए आते है. रावण का मंदिर कई सालों पुराना है.

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उज्जैन में बना है रावण का मंदिर, मन्नत मांगने आते हैं लोग..

Dussehra 2023 : देश भर में इस वक़्त दशहरे (Dussehra) की धूम है. जगह-जगह रावण दहन की तैयारी की जा रही है. ज़्यादातर जगहों पर रावण के पुतले को जलाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कुछ जगहें ऐसी भी है जहां रावण की पूजा की जाती है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उज्जैन (Ujjain) में एक गांव ऐसा है जहां पर दशहरे में रावण दहन नहीं किया जाता. यहां के लोग रावण से अपनी मनोकामना पूरी करने की कामना करते हैं. साथ ही यहां मेला लगाकर उत्सव भी मनाया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं इस गांव की खासियत 

उज्जैन में रावण की पूजा कर मांगते है मन्नत

उज्जैन से करीब 20 किलोमीटर दूर बड़नगर रोड पर चिकली गांव बना है. यहां पर लंकेश नरेश का मंदिर है. इस मंदिर में चैत्र की नवमी और दशहरा पर रावण की ख़ास पूजा की जाती है. मंगलवार को दशहरे के अवसर पर भी आसपास के करीब 25 गांव के लोग यहां पर आए. सभी ने रावण की पूजा कर अपनी मन्नत पूरी होने की कामना की. इस मौके पर यहां शाम को मेला लगाकर पर्व भी मनाया जाएगा. हालांकि गांव में कुछ लोग रावण दहन भी करते है. 

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दूर-दूर के राज्यों से मुराद लेकर आते हैं लोग 

इसी गांव में रहने वाले वीरेंद्र बताते है कि हमारे पूर्वज भी रावण की पूजा करते थे. हमने अपने पूर्वजों को रावण की पूजा करते देखा है और आज भी यह परंपरा बदस्तूर जारी है. गांव के ही केसर सिंह ने बताया कि एक बार लोग रावण की पूजा करना भूल गए थे इसके बाद गांव में भीषण आग लग गई थी जिससे काफी नुकसान भी हुआ था. जिसके बाद हमेशा से दशहरा पर रावण की पूजा का विधान है. यहां पर दूर-दूर के कई लोग भी अपनी मुराद लेकर भी रावण की पूजा के लिए आते है. रावण का मंदिर कई सालों पुराना है. इसके चलते गांव वालों ने करीब दो साल पहले 5 लाख रूपए जोड़ कर मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया. इस मंदिर में गुजरात, राजस्थान के लोग भी दर्शन के लिए पंहुचते है. इसमें आसपास रहने वाले मुस्लिम समाज भी भागीदारी करता है. 

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