MP Gehu: इस बार अच्छे मौसम की वजह से बढ़ सकती है 'ड्यूरम' की पैदावार! जानिए क्यों खास है ये गेहूं

Durum Wheat MP: एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ड्यूरम गेहूं के दाने सामान्य गेहूं के मुकाबले कड़े होते हैं और इसमें आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्व प्राकृतिक रूप से समाए होते हैं. यही वजह है कि मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भी इस गेहूं को लेकर सरकारी एजेंसियों और किसानों का रुझान बढ़ा है.

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Durum Wheat MP: क्यों खास है ड्यूरम गेहूं, इस बार बंपर पैदावार का अनुमान

Durum Wheat in MP: मध्यप्रदेश में मौजूदा रबी सत्र के दौरान अनुकूल मौसमी हालात के चलते ‘ड्यूरम' गेहूं (Durum Gehu) की पैदावार बढ़कर 90 लाख टन पर पहुंच सकती है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के इंदौर (Indore) स्थित क्षेत्रीय केंद्र के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को यह अनुमान जाहिर किया. ‘ड्यूरम' गेहूं का इस्तेमाल सूजी, दलिया, सेमोलिना और पास्ता तैयार करने में होता है. मध्यप्रदेश, देश में गेहूं की इस किस्म का सबसे बड़ा उत्पादक है. आईएआरआई के क्षेत्रीय केंद्र के प्रमुख और प्रधान वैज्ञानिक डॉ जंग बहादुर सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि मौजूदा रबी सत्र के दौरान राज्य में करीब 16 लाख हेक्टेयर में ‘ड्यूरम' गेहूं बोया गया और इसकी पैदावार बढ़कर 90 लाख टन पर पहुंच सकती है.

बेहतर मौसम का मिला साथ, क्यों खास है ड्यूरम? What is Durum Wheat?

प्रधान वैज्ञानिक डॉ जंग बहादुर सिंह ने बताया, ‘‘इस रबी सत्र में खासकर रात का तापमान कम रहने से ड्यूरम गेहूं की फसल को खासा फायदा हुआ. सही समय पर बुआई और बारिश का दौर गत अक्टूबर तक जारी रहने से भी इसकी फसल की पैदावार को बल मिला.'' उन्होंने बताया कि पिछले रबी सत्र के दौरान राज्य में ‘ड्यूरम' गेहूं का रकबा 15 लाख हेक्टेयर के आस-पास दर्ज किया गया था और इसकी पैदावार लगभग 80 लाख टन रही थी.

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‘ड्यूरम' गेहूं को आम बोलचाल में ‘मालवी' या ‘कठिया' गेहूं कहा जाता है और इस प्रजाति के गेहूं के दाने सामान्य किस्मों के गेहूं से कड़े होते हैं. प्रधान वैज्ञानिक ने बताया, ‘‘पास्ता, सूजी, दलिया और सेमोलिना तैयार करने के लिए आदर्श माने जाने वाले ड्यूरम गेहूं की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बड़ी मांग है. इससे राज्य के किसान इसकी खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं.''

उन्होंने बताया कि इंदौर, उज्जैन और धार जिलों की गिनती ‘ड्यूरम' गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक इलाकों में होती है. सूबे का 50 प्रतिशत ‘ड्यूरम' गेहूं इन्हीं तीन जिलों में उगाया जाता है.

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