फाटक का नाटक! रेलवे गेट बंद होने से 10 कदम में तय होने वाले सफर के लिए काटना पड़ रहा 5 किमी का चक्कर

MP News: सतना में एक रेलवे फाटक बंद होने से स्थानीय लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं. ग्रामीणों को दस कदम की दूरी तय करने के लिए पांच किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है.

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Railway Gate Problem in Satna: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना (Satna) में एक रेलवे फाटक के बंद हो जाने से दो दर्जन से अधिक गांव को लोगों को परेशान होना पड़ रहा है. सतना-मैहर रेल खंड (Satna-Maihar Rail Section) के बीच स्थित उचेहरा रेलवे फाटक को बंद (Unchehara Railway Gate Closed) किए जाने से आवागमन प्रभावित हो रहा है. रेलवे फाटक के जरिए जो सफर दस कदम में तय हो जाता था, अब उसके लिए वाहन चालकों को पांच किमी का अतिरिक्त चक्कर काटना पड़ रहा है. सोमवार को रेलवे फाटक बंद किए जाने को लेकर ग्रामीण विरोध पर उतर आए. इस दौरान ग्रामीणों ने रेल प्रशासन (Railway Administration) से मांग रखी कि जब तक अंडर ब्रिज का निर्माण नहीं हो जाता, तब तक इस फाटक को चालू रखा जाए. इसके बंद होने से लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है.

इन गांवों के लोग हो रहे प्रभावित

ग्रामीणों के मुताबिक, यदि फाटक बंद हो जाता है तो रगला, नरहठी, मझकपा, कठार, कुलपुरा, चौथार, पपरेंगा, उरदनी, पोंडी, करहीकला, करही खुर्द, उर्दना, पोंडी, बरा, गडौली, पिपरी सहित कई गांवों के लोग परेशान होंगे. इन गावों के लोग फाटक क्रॉस कर अपने छोटे-मोटे काम के लिए उचेहरा कस्बा पहुंचते हैं. तमाम लोग पैदल या मोटरसाइकिल से आते-जाते हैं. ऐसे में अब उन्हें यहां से निकलने के लिए या तो पटरी पार करने का जोखिम लेना पड़ रहा है, या फिर पांच किमी का चक्कर लगाना पड़ रहा है. यही वजह है कि ग्रामीण रेलवे के इस फैसले के विरोध में खड़े हो गए हैं.

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क्यों बंद हुआ फाटक?

सतना-मैहर फोरलेन में ब्रिज का निर्माण होने के बाद रेलवे फाटक को बंद करके आवागमन को ब्रिज के ऊपर से डायवर्ट किया गया है. लेकिन, इस रास्ते को स्थानीय लोग अव्यवहारिक मानते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ब्रिज वाले मार्ग पर बड़े-बड़े वाहन तेज गति से चलते हैं, जिससे छोटे-छोटे स्कूली बच्चों के लिए बेहद खतरनाक माना जा रहा है. आम जनता ने इस समस्या से तमाम अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया है. हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई निर्णय लिया जाना बाकी है.

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ग्रामीणों ने दिया तीन दिन का अल्टीमेटम

रेलवे फाटक बंद होने का विरोध किए जाने पर एईएन राजेश तिवारी, राजेश पटेल, आरपीएफ के लोकेश पटेल और सीआईडी टीम मौके पर पहुंची. इस दौरान अधिकारियों के सामने आम लोगों ने मांग रखी कि जब तक अंडर ब्रिज नहीं बन जाता तब तक फाटक को बहाल किया जाए. निर्णय लेने के लिए रेलवे को तीन दिन का समय दिया गया है. इसके बाद आमरण अनशन करने की चेतावनी दी गई है. उचेहरा व्यापारी संघ के अध्यक्ष डॉ पवन ताम्रकार ने बताया कि सभी वर्ग के लोगों ने अधिकारियों से मिलकर अपनी बात रखी है.

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