Satna: परिवहन के अभाव में उपार्जन केंद्रों में धान का लगा स्टॉक, खरीदी हुई ठप, हजारों किसान परेशान

खरीदी केंद्रों ने जिन किसानों की धान समर्थन मूल्य पर खरीद कर स्टॉक में रख लिया है, उसे वेयर हाउस में शिफ्ट नहीं किया गया. जिसके चलते केंद्रों में अब नया लॉट खरीदने के लिए जगह नहीं बची है. ऐसे में जिले के तमाम किसानों के बुक स्लॉट ब्लैंक होने का खतरा मंडराने लगा है.

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खरीदी केंद्रों में जगह नहीं होने के चलते सतना जिले के किसानों को धान की बिक्री में समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

Procurement of Paddy in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में वर्तमान में समर्थन मूल्य (MSP) पर धान खरीदी (Paddy Procurement) का काम चल रहा है, लेकिन धान की बिक्री के लिए हजारों किसानों (Paddy Farmers) को हर समय समस्या का सामना करना पड़ रहा है. प्रदेश के सतना (Satna) जिले में खरीदी केंद्रों (Procurement Centers in Satna) की कमी और स्लॉट बुकिंग की समस्या के चलते पहले ही हजारों किसान परेशान हैं, लेकिन अब उनके सामने एक और समस्या आ गई है. खरीदी केंद्र से धान का उठाव (Transportation of Paddy) न होना किसानों के लिए चिंता का सबब बन गया है.

बता दें कि समितियों ने जिन किसानों की धान समर्थन मूल्य पर खरीद कर स्टॉक में रख लिया है, उसे वेयर हाउस में शिफ्ट नहीं किया गया. जिसके चलते केंद्रों में अब नया लॉट खरीदने के लिए जगह नहीं बची है. ऐसे में जिले के तमाम किसानों के बुक स्लॉट ब्लैंक होने का खतरा मंडराने लगा है. यह स्थिति सतना जिले के लगभग सभी खरीदी केंद्रों में बनी हुई है.

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राइस मिलर को मिला था परिवहन का काम

जिले के 74 खरीदी केन्द्रों में लाखों क्लिंटल धान की खरीदी की जा चुकी है. नागौद क्षेत्र के तमाम समितियों ने बेयर हाउस के समीप ही खरीदी शुरू की है. वहीं मौसम के डर से क्षेत्र के तमाम किसान एक साथ अपनी उपज लेकर केन्द्रों में पहुंच गए हैं, जिसके चलते समितियों ने उपलब्ध बोरों के अनुसार खरीदी कर धान को परिसर में ही रख लिया, लेकिन उसका परिवहन अभी तक नहीं हुआ है. आपको बता दें कि इस बार परिवहन का जिम्मा राइस मिलर को दिया गया था, लेकिन ऐन वक्त में मिलर काम नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में केन्द्रों पर भारी मात्रा में धान का स्टॉक रखा हुआ है, जिसके चलते नई खरीदी नहीं हो पा रही है.

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धान को वेयर हाउस में शिफ्ट नहीं करने से खरीदी केंद्रों में धान का स्टॉक पड़ा हुआ है.

मिलरों ने क्यों खड़े किए हाथ

जानकारों की मानें तो पूर्व में जिले के मिलरों को धान के परिवहन का जिम्मा दिया गया था. इसके साथ ही उन्हें धान की मिलिंग करने के बाद सीएमआर जमा कराने को भी कहा गया था, लेकिन इस काम के लिए कोई भी मिलर तैयार नहीं हुआ. इसका कारण प्राइवेट लोगों के धान की भी मिलिंग बताई जा रही है. खरीदी केंद्र की धान और प्राइवेट धान को एक साथ स्टॉक कर रख पाना मिलरों के लिए मुश्किल का काम है. जिसके चलते मिलरों ने अभी तक खरीदी केंद्र की धान नहीं उठाई.

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जल्द धान स्टॉक कराने का मिला आश्वासन

वेयर हाउस में धान जमा नहीं किए जाने के के सवाल पर नागौद वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के प्रबंधक सीताराम कुशवाहा ने बताया कि पहले मिलरों को धान का उठाव करना था, लेकिन बीते बुधवार को हुई मीटिंग के बाद अब कुछ परिवर्तन किया गया है. उन्होंने बताया कि समितियों से मैपिंग कराकर जल्द से जल्द धान को स्टॉक में जमा कराया जाएगा.

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