Dogs Bites: ग्वालियर में 1 दिन में 193 हुए आवारा कुत्तों के शिकार, नसबंदी पर खर्च हुआ 1.75 करोड़, नतीजा निकला जीरो

Gwalior Municipal Corporation: पिछले एक महीने में ग्वालियर में तीन केस ऐसे सामने आए, जिसमें स्ट्रीट डॉग्स किसी बच्चे का गाल, किसी के हाथ का मांस तक खींचकर ले गए. ये हालात तब हैं, जब नगर निगम सालों से एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम पर लाखों रुपए हर साल खर्च करता आ रहा है.

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Terror of Street Dogs In Gwalior

Dogs Bites: ग्वालियर में सड़कों पर घूम रहे आवारा कुत्तों का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा. दिनों-दिन बढ़ती स्ट्रीट डॉग्स की बढ़ती आबादी की वजह से कुत्तों के काटने के मामले तेजी से बढ़े हैं, जिसने लोगों के नाक में दम कर रखा है. इससे नगर निगम के एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम पर सवाल खड़े हो गए हैं.

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आवारा कुत्तों की नसबंदी को लेकर ग्वालियर नगर निगम का फीका पड़ता दिख रहा है, क्योंकि बढ़ते कुत्तों की तादाद ने पोल खोल दी है. निगम 3 सालों में कुत्तों की बर्थ कंट्रोल पर करोड़ों खर्च कर चुकी है, लेकिन न कुत्तों की संख्या कम हुई, न शिकार हुए लोगों की संख्या घटी है. 

शासकीय अस्पतालों में डॉग बांइट के 193 मरीज इलाज के लिए पहुंचे

रिपोर्ट के मुताबिक शहर के दो प्रमुख शासकीय अस्पतालों में डॉग बांइट के 193 मरीज इलाज के लिए पहुंचे हैं. अस्पताल पहुंचे मरीजों को एंटी रैबीज के इंजेक्शन लगाने पड़े हैं. वहीं, कमलाराजा चिकित्सालय और न्यू जेएएच परिसर में भी काफी संख्या में आवारा कुत्तों का आतंक देखा गया है, जहां रात में अक्सर आवारा कुत्ते हमला कर देते है.

जिला अस्पताल में सर्वाधिक 101 शिकार मरीज इलाज के लिए आए

गौरतलब है गत शनिवार को जिला अस्पताल मुरार में डॉग बाइट के सबसे ज्यादा 101 मरीज इलाज के लिए आए. इसी तरह न्यू जेएएच के पीएसएम विभाग में डॉग बाइट के 92 मरीज पहुंचे. इन मरीजों को एंटी रैबीज के इंजेक्शन लगाए गए. इनमें से किसी मरीज को पहला तो किसी को दूसरा या तीसरा इंजेक्शन लगाया गया.

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दिनों-दिन बढ़ती स्ट्रीट डॉग्स ने नगर निगम का एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम भी सवालों के घेरे में आ गया हैं. एक तरफ तो नगर निगम लगातार आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी करने का दावा कर रही है, लेकिन दूसरी ओर कुत्तों की संख्या कम नहीं हो रही है..

एक स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी पर कंपनी को आता है 836 रुपए का खर्चा

नगर निगम ग्वालियर ने मार्च 2024 में सिद्धांत सोसाइटी को एक साल की जिम्मेदारी दी है. अभी तक कंपनी ने चार हजार स्ट्रीट डॉग्स की नसंबदी की है. एक साल का ठेका 99 लाख रुपए का बताया जा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक एक स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी पर कंपनी को 836 रुपए का खर्चा आ रहा है.

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पिछले एक महीने में ग्वालियर में तीन केस ऐसे सामने आए, जिसमें स्ट्रीट डॉग्स किसी बच्चे का गाल, किसी के हाथ का मांस तक खींचकर ले गए. ये हालात तब हैं, जब नगर निगम सालों से एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम पर लाखों रुपए हर साल खर्च करता आ रहा है.

स्ट्रीट डॉग के आतंक से लोगों का सड़क पर निकलना मुश्किल

कुत्ते के आतंक से लोग भयभीत हैं लोगों का कहना हैं कि शहर की एक भी गली, सड़क या मुहल्ला और कॉलोनी ऐसी नहीं हैं, जो स्ट्रीट डॉग के आतंक से मुक्त हो, जिससे लोगों का सड़क पर निकलना मुश्किल है. मामले पर नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय का कहना हैं कि निगम बर्थडे कंट्रोल के लिए काम कर रही हैं और इसके सेंटर बढ़ाने के लिए विचार चल रहा हैं. 

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