Dog Bite Cases: भोपाल-जबलपुर में बढ़ रहे हैं मामले, एडवाइजरी जारी, नगर निगम ने की पेट लवर्स से यह अपील

Dog Bite Cases in Jabalpur: जबलपुर में टेंडर न होने से नगर निगम ने एक साल से आवारा डॉग्स को पकड़ने का काम ही बंद कर दिया है. इससे  हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. लोग भयभीत हैं और सुनने वाला कोई नहीं है. शहर का कोई भी इलाका ऐसा नहीं है, जहां पर स्ट्रीट डॉग्स का आतंक न हो. यहां हर महीने डॉग बाइट के 2 हजार से ज्यादा मामले पहुंचते हैं. यह संख्या कई महीनों में तो बढ़कर 2500 से 3000 तक भी हो जाती है.

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Dog Bite Case in Bhopal: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल में स्ट्रीट डॉग्स (Street Dogs) का आंतक दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. भोपाल के अस्पतालों (Bhopal Hospitals) में रोज़ाना 40-45 लोग डॉग बाइट (Dog Bite) की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं. डॉग बाइट के मामलों को लेकर अब भोपाल नगर निगम (Nagar Nigam Bhopal) और प्रशासन जागा है. संभागायुक्त ने बढ़ते मामलों को लेकर समीक्षा बैठक बुलायी थी. इस बैठक में कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह (Collector Kaushalendra Vikram Singh), नगर निगम आयुक्त फ़्रैंक नोबल (Municipal Corporation Commissioner Frank Noble) भी मौजूद थे. इस मीटिंग में संभागायुक्त (Commissioner) ने डॉग बाइट की घटनाओं को रोकने के निर्देश दिए हैं.

क्यों बढ़ रहे हैं ऐसे मामले?

इस बैठक से जानकारी निकल कर सामने आयी है कि दिसंबर से लेकर जनवरी के बीच कुत्ते आक्रामक हो जाते हैं. इसलिए इन दिनों घटनाएं और भी ज़्यादा बढ़ जाती है. संभागायुक्त ने तीन सालों में स्ट्रीट डाग के खूंखार होने और लोगों को काटने के आकड़ों की समीक्षा की. यहां पर यह भी बताया गया कि तापमान में गिरावट ब्रीडिंग सीज़न और खाने पीने की कमी से डॉग बाइट की घटनाएं बढ़ती जा रही है.

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वहीं बढ़ती घटनाओं को देखते हुए एक हजार नए एंटी रैबीज इंजेक्शन खरीदने के ऑर्डर दिए गए हैं. इसके साथ ही बैठक में नगर निगम को निर्देश दिए कि खराब केज को सुधरवाने का काम करें, सभी टीमों सक्रिय कर डाॅग्स के वैक्सीनेशन और नसबंदी के काम में तेजी लाएं. संभागायुक्त ने हमीदिया अस्पताल में भी पर्यापत मात्रा में एंटी रेबीज इंजेक्शन (Anti Rabies Injection) उपलब्ध रहने के निर्देश दिए हैं.

एडवाइजरी भी जारी की गई

इसके साथ ही डॉग बाइट की घटनाओं को देखते हुए नगर निगम और पशुपालन विभाग ने आम जनता के लिए एडवाइजरी भी जारी की है. इसमें कहा गया है कि किसी भी क्षेत्र में डॉग बाइट या कुत्तों के आतंक की सूचना हो तो नगर निगम के कॉल सेंटर 155304 पर जानकारी दी जा सकती है.

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एडवाइजरी में क्या कहा गया है?

एडवाइजरी में कहा गया है कि बच्चों को समझाइश दें कि आवारा कुत्तों से दूरी बनाकर चलें. ऐसी फीमेल डॉग जिसके पास बच्चें हों, उनसे भी दूरी बनाकर रखें. वह अपने बच्चों को बचाने के लिए काट सकती है. कुत्तों से अनावश्यक छेड़-छाड़ न करें, उनके ऊपर पत्थर न फेंके ना ही उन्हें परेशान करें. तेज आवाज वाले पटाखों का इस्तेमाल न करें. यदि आवारा कुत्ता आपके शेड या कार के नीचे बैठा है तो हो सकता है वह अपने आपको ठंड से बचाने के लिये वहां बैठा हो. उसे अनावश्यक भगाना नहीं चाहिए.

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पेट लवर्स से नगर निगम की अपील

नगर निगम ने पेट लवर्स से अपील करते हुए कहा है कि पेट एडॉप्शन मुहिम चलायें ताकि वह पेट्स का सही ख्याल रखा जा सके. आवारा कुत्तों को यहां-वहां खाना न देकर कालोनी के सबसे कम भीड़-भाड़ वाली एक जगह निश्चित करके वहीं पर फीडिंग करायें ताकि आने-जाने वालों को परेशानी न हो और डॉग बाइट की दुर्घटना को रोका जा सके. 

जबलपुर में हर महीने डॉग बाइट के 2200 मामले 

जबलपुर शहर के मुख्य मार्गों में इस समय आवारा कुत्तों की दहशत है, अभी तक गलियों में रहने वाले डॉग्स अब बाजार और मुख्य मार्ग पर बेख़ौफ घूमते हैं. प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक ये स्ट्रीट डॉग्स हर महीने 2200 लोगों को घायल कर रहे हैं.  शहर में इन स्ट्रीट डॉग्स की संख्या 40 हजार से ज्यादा होने का अनुमान है. इनके डर से मोहल्लों में बच्चों और बुजुर्गों ने अकेले घर से बाहर निकलना बंद कर दिया है. इसके बावजूद भी जबलपुर नगर निगम (Jabalpur Nagar Nigam) के जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं.

जबलपुर में टेंडर न होने से नगर निगम ने एक साल से आवारा डॉग्स को पकड़ने का काम ही बंद कर दिया है. इससे  हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. लोग भयभीत हैं और सुनने वाला कोई नहीं है. शहर का कोई भी इलाका ऐसा नहीं है, जहां पर स्ट्रीट डॉग्स का आतंक न हो.

शहर के सिविल लाइन्स, पचपेढ़ी, विजय नगर और नया गांव जैसे पॉश इलाकों में तो स्ट्रीट डॉग्स की वजह से लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. मुख्य बाजार रद्दी चौकी, रांझी, हनुमानताल, बड़ा फुहारा, कोतवाली, रिछाई और महाराजपुर क्षेत्रों में आवारा कुत्तों का आतंक है.

डॉग बाइट के 170 मामले जिला अस्पताल पहुंचे

जिला अस्पताल विक्टोरिया में हर महीने डॉग बाइट के 2 हजार से ज्यादा मामले पहुंचते हैं. यह संख्या कई महीनों में तो बढ़कर 2500 से 3000 तक भी हो जाती है. यह आंकड़ें तो वह हैं जो जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में पहुंचते हैं. इसके अलावा बड़ी मात्रा में लोग निजी अस्पतालों (Private Hospitals) में जाकर भी इलाज करते हैं, जिनकी संख्या कहीं भी दर्ज नहीं की जाती है.

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