MP बीजेपी में सब ठीक है ? मंत्री, सांसद और विधायक आमने-सामने आए तो कांग्रेस ने ली चुटकी

मध्यप्रदेश बीजेपी में मंत्री, सांसद और विधायकों की आपसी बयानबाजी ने पार्टी में अंतर्कलह की चर्चा को बढ़ावा दिया है. कांग्रेस इस पर चुटकी ले रही है तो खुद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि ये बड़ी बात नहीं है, विवाद सुलझा लिया गया है.

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Madhya Pradesh BJP News: मध्यप्रदेश में बीजेपी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. ये हम नहीं बल्कि हाल में घटी घटनाएं और विपक्षी दल कांग्रेस कह रही है. दरअसल हाल ही में बीजेपी के तीन बड़े नेताओं मतलब मंत्री, सांसद और विधायक ने एक-दूसरे के खिलाफ सार्वजनिक रूप से तीखे आरोप लगा हैं. जिसमें प्रोटोकॉल उल्लंघन से लेकर अपराधियों को संरक्षण देने तक के गंभीर आरोप लगाए गए हैं. अहम ये है कि ये सब तब हो रहा है जब संगठन पर्व के तहत पूरे प्रदेश में बीजेपी आम जनता को पार्टी कार्यकर्ता बनाने में जुटी है. कांग्रेस इन्हीं घटनाओं को लेकर सवाल उठा रही है और दावा कर रही है कि बीजेपी में अंतर्कलह लगातार बढ़ रहा है. पहले इन घटनाओं को जान लेते हैं फिर ये भी जानेंगे कि खुद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का इस पर क्या कहना है? 

छतरपुर एपिसोड-

कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे और अब बीजेपी में शामिल हुए मानवेंद्र सिंह (Manvendra Singh)ने बीते 14 सितंबर को आरोप लगाया था कि केन्द्रीय मंत्री डॉ. वीरेन्द्र खटीक (Dr. Virendra Khatik) ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को विभिन्न विभागों में अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है. दो दिन बाद छतरपुर विधायक ललिता यादव (Lalita Yadav)ने भी मानवेन्द्र का समर्थन किया और कहा कि  केंद्रीय मंत्री डॉ. खटीक हमारे क्षेत्र से हैं और उन्हें अपने प्रतिनिधियों की नियुक्ति सोच-समझकर करनी चाहिए. इससे विधानसभा में हर कोई परेशान है. ये लोग बीजेपी का काम नहीं करके कांग्रेस का काम करेंगे. 

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इसके जवाब में केन्द्रीय मंत्री डॉ वीरेन्द्र खटीक ने भी तुरंत ही पलटवार किया. डॉ खटीक ने कहा- कथरी ओढकर घी पीने वालों को शब्दों का नापतोल कर प्रयोग करना चाहिए.

आयातित लोग कार्यकर्ताओं को सर्टिफिकेट देने लगेंगे तो कैसे चलेगा. हमें किसी के सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं है. बात बढ़ेगी तो और भी बातें सामने आएंगी. केन्द्रीय मंत्री ने आगे ये भी कहा कि वे आरोप लगाने वाले दोनों नेताओं का सार्वजनिक बहस में सामना करने को तैयार हैं. मुझ पर आरोप लगाने वाले इसलिए हताश हैं, क्योंकि मैंने जिला प्रशासन से सभी अवैध कारोबार बंद करने को कहा था. 

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 रीवा एपीसोड

रीवा में सांसद जनार्दन मिश्रा और विधायक सिद्धार्थ तिवारी के बीच भी सार्वजनिक तौर पर विवाद हुआ. दरअसल सांसद मिश्रा ने एक मंच से दिवंगत दिग्गज कांग्रेसी नेता श्रीनिवास तिवारी पर तीखी टिप्पणी की थी. ये टिप्पणी तब की गई जब श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ तिवारी वहीं मंच पर मौजूद थे. दोनों नेताओं ने कैसे वार-पलटवार किए ये पढ़िए. 

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जनार्दन मिश्रा- श्रीनिवास तिवारी ने आतंक, गुंडागर्दी और लूट की राजनीति की. हम ये पहले भी बोलते थे अब भी बोलेंगे. पोता बीजेपी में मर्ज हुए हैं, बीजेपी पोते में मर्ज नहीं हुई है. वे अब परिवार का हिस्सा हैं तो सुनें उनके बाबा ने क्या किया था. 

सिद्धार्थ तिवारी-  किसी भी दिवंगत व्यक्ति के बारे में इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए.जिन्होंने सारा जीवन सर्वहारा वर्ग के लिये समर्पित किया उन पर ऐसी टिप्पणी सही नहीं है. बीजेपी मूल्यों पर चलने वाली पार्टी है लिहाजा टिप्पणी करने से पहले ध्यान रखना चाहिए. 

रायसेन एपीसोड

रायसेन में तो और कमाल हुआ.यहां बीते 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के दिन एक स्कूल में बड़ा कार्यक्रम हुआ था. जिसमें नर्मदापुरम से बीजेपी सांसद दर्शन सिंह चौधरी और प्रदेश सरकार में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया. इसके निमंत्रण कार्ड पर सांसद का नाम पहले और मंत्री का नाम दूसरी लाइन में लिखा गया था. ऐसे आरोप हैं कि मंत्री जी को ये नागवार गुजरा. संभवत: इसी के बाद  जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल प्रबंधन को नोटिस थमा दिया. इस नोटिस में स्कूल की मान्यता निरस्त करने तक की चेतावनी दी गई. 

हालांकि अब पार्टी कह रही है कि ये सब सामान्य सी घर की बात है. खुद प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से जब NDTV ने सवाल किए तो उन्होंने कहा-  भारतीय जनता पार्टी दुनिया का सबसे बड़ा दल है. पंच-सरपंच से ले के प्रधानमंत्री तक के पदों पर भारतीय जनता पार्टी के लोग बैठे हैं. लेकिन सच ये है कि हम भी इंसान हैं. जहां इतनी बड़ी संख्या में लोग होंगे वहां छोटी-मोटी बातें तो होंगी ही. सबसे बातचीत हो गई है. भारतीय जनता पार्टी में एक वर्किंग सिस्टम पर काम करने वाली पार्टी है. मैं ये नहीं कह रहा कि हम 100 प्रतिशत आइडियल हैं, ऊपर-नीचे होता रहता है. ये सब सामान्य बात है. मेरी बात हो गई है, अब कोई विवाद नहीं है. 

दूसरी तरफ मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी मुकेश नायक इन घटनाओं पर चुटकी ले रहे हैं. वे कहते हैं- ये पॉलिटिकल लड़ाई नहीं है ये सुविधाएँ और साधनों की लड़ाई है. कहीं शराब के कारोबार को लेकर अंतर्कलह मचा हुआ है तो कहीं पर रेत के व्यापार में किसको कितना फ़ायदा पहुंचाना है, इसकी लड़ाई है. दरअसल जब कोई राजनैतिक दल लंबे समय तक सत्ता में रहता है तो नेताओं के बीच में अक्सर ये कलह शुरू हो ही जाते हैं. सभी अपना फायदा देख रहे हैं. 
लेकिन हम तो यही कहेंगे कि जो बीजेपी 'संगठन पर्व' में करोड़ कार्यकर्ताओं को जोड़ने निकली है वहां ऐसी तस्वीरें जोड़ने वाली कम, तोड़ने वाली ज्यादा लगती हैं. बीजेपी इन मतभेदों को सुलझा पाएगी या विवाद और गहरे होंगे इसका जवाब तो आने वाले वक्त में ही मिलेगा. 
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