धार : इन दिनों जहां युवा वर्ग आधुनिकता और सोशल मीडिया की बयार में बहकर अपने धर्म और संस्कृति से दूर होता जा रहा है, वहीं, जिले के नालछा नगर में एक अनोखा दृश्य देखने को मिल रहा है. यहां की युवा पीढ़ी ने अपनी प्राचीन परंपराओं को जीवित रखते हुए संस्कृति को संजोने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली है. इन दिनों नालछा नगर की फिजाओं में होली के फाग गीत गूंज रहे हैं और यहां होली का पर्व एक अनोखे अंदाज में मनाया जा रहा है.
होली के पर्व की अनोखी शुरुआत
भारत में फाग गायन की एक बहुत पुरानी परंपरा है, जो हर साल फागुन के महीने में शुरू होती है. नालछा नगर में राधा कृष्ण फाग मंडली ने इस परंपरा को जीवित रखते हुए इसे एक नए अंदाज में प्रस्तुत किया है. स्थानीय युवा वर्ग ने इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है, और धर्म तथा संस्कृति के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त किया है. यहां होली का पर्व शिवरात्रि से लेकर पूर्णिमा तक पूरे धूमधाम से मनाया जाता है.
फाग-गायन की परंपरा में युवाओं का योगदान
नालछा नगर में करीब 20 युवा प्रतिदिन फाग गायन का आयोजन करते हैं. यह गायन शिवरात्रि के दिन से शुरू होकर पूर्णिमा तक चलता है. गायन की यह परंपरा रात 8 बजे से 12 बजे तक चलती है, और मुख्य रूप से नगर के धार्मिक स्थानों पर आयोजित होती है. इसमें फाग गीतों की विशेषता होती है, जो श्रद्धालुओं को भावनात्मक रूप से जोड़ते हैं और वे इनमें गाकर झूमते हैं.
शिव, राम और कृष्ण के फाग गीतों की धूम
फाग गायन के दौरान शिव, राम और कृष्ण के धार्मिक गीतों की धूम मचती है. ये गीत रात भर गाए जाते हैं, और इन गीतों की धुन पर श्रद्धालु रागमय होकर झूमते रहते हैं. इस दौरान पूरे नगर में धार्मिक उल्लास का माहौल बना रहता है, और हर उम्र के लोग इस आनंद में शामिल होते हैं.
युवाओं द्वारा सकारात्मक संदेश..
आज के डिजिटल युग में जब अधिकांश युवा सोशल मीडिया और आधुनिकता में व्यस्त रहते हैं, नालछा के युवा वर्ग ने फाग गायन के माध्यम से समाज को एक सकारात्मक संदेश दिया. यह परंपरा अब सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चित हो रही है और लोग इसकी सराहना कर रहे हैं. राधा कृष्ण फाग मंडली से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह परंपरा यहां दशकों से चली आ रही थी, लेकिन बुजुर्गों की बढ़ती उम्र के कारण अब यह जिम्मेदारी हमें संभालनी पड़ी है. इस परंपरा को संजोने में हमें पूरी तरह से समाज का समर्थन मिला है.
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पर्व बन रहा प्रेम का प्रतीक
कुल मिलाकर, नालछा नगर का यह फाग गायन का आयोजन आजकल एक चर्चा का विषय बन चुका है और युवा वर्ग के द्वारा इस प्राचीन परंपरा को संरक्षित करना आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक बन गया. यहां होली का पर्व सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि संस्कृति के प्रति सम्मान और प्रेम का प्रतीक बन चुका है.
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