PM Awas Scheme Home: प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाले आवास की स्वीकृति मिलने के बावजूद एक बुजुर्ग विधवा महिला अपने परिवार के साथ बारिश के मौसम में पेड़ के नीचे जीवन गुजारने को मजबूर है. इसे सरकारी अधिकारियों की लापरवाही ही कहेंगे कि 80 वर्षीय विधवा को अब दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है.
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प्रशासनिक लापरवाही से विधवा का जीवन बना नर्क
मामला जिले की कुक्षी तहसील के ग्राम लोहारी का है, जहां सरकारी व्यवस्था की लापरवाही और तंत्र की संवेदनहीनता गरीब परिवार के जीवन को नरक बना रही है. लोहारी गांव की बुजुर्ग विधवा को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक घर की छत इसलिए अभी तक नसीब हो सका, क्योंकि अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह नहीं निभाई.
बारिश में पेड़ के नीचे होता है पूरे परिवार का बसेरा
80 वर्षीय विधवा गौरा बाई, विधवा बहू बहू राधा बाई और उसके तीन मासूम बच्चे सिर के ऊपर छत नहीं होने के कारण इन दिनों आसमान के नीचे भोजन पकाने को मजबूर हैं. यही नहीं, पूरा परिवार को रात में सोने के लिए एक पेड़ का शरण लेना पड़ता है, जिससे पूरे परिवार का दिन असुरक्षा और अनिद्रा में गुजरता है.
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'मेरी झोपड़ी तुड़वा दी गई, पर नया घर नहीं मिला'
गौरतलब है करीब 10 महीने पहले गौराबाई की झोपड़ी की दीवार गिर गई थी. इस पर पटवारी और पंचायत सचिव ने पीएम आवास स्वीकृत कराने का वादा कर उसकी झोपड़ी तुड़वा दी, लेकिन आज तक परिवार को आवास नहीं मिला. पीड़िता का कहना है कि उसने सभी जरूरी दस्तावेज पंचायत को दे दिए थे, लेकिन अभी तक कोई सूचना नहीं हैं.
परिवार के साथ सड़क पर दिन गुजारने को मजबूर विधवा गौरा बाई
जॉब कार्ड में त्रुटि का हवाला दे घर देने से किया मना
बुजुर्ग गौराबाई ने बताया कि उसकी बहू का नाम पीएम आवास योजना की स्वीकृत सूची में शामिल भी हो गया था, लेकिन अब पंचायत के अधिकारी जॉब कार्ड में त्रुटि का हवाला देकर आवास का लाभ देने से इनकार कर रहे हैं. गौराबाई कहती हैं कि जिन्होंने हमें तुड़वा दिया, वो ही अब कह रहे हैं कि आपका जॉब कार्ड गलत है, क्या ये हमारी गलती है?
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बुजुर्ग महिला का दर्द भरा सवाल, अब कहां जाएं?
बहू राधा बाई ने बताया कि सिर पर छत नहीं होने के चलते छोटे बच्चों को लेकर बारिश में खाना बनाना और रहना बेहद मुश्किल हो गया है. बिजली की गड़गड़ाहट से बच्चे डर जाते हैं. बहू ने बताया कि पीएम योजना के तहत घर मिलने की संभावना के चलते टपकती झोपड़ी में भी गुजारा नहीं हो सकता है, जिसे आवास बनाने के लिए तोड़ दिया गया.
झोपड़ी टूटने से पेड़ के नीचे दिन परिवार के साथ गुजारती बुजुर्ग महिला
बड़ा सवाल, स्वीकृति के बाद भी क्यों नहीं मिला घऱ?
उल्लेखनीय है मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार द्वारा डबल इंजन विकास की बात की जाती है, बड़े-बड़े कैंप लगाकर योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन ऐसी जमीनी हकीकत सामने आने से यह साफ हो जाता है कि सिस्टम की जड़ें कितनी कमजोर हैं.
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जिम्मेदार अफसरों ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा
यह मामला सिर्फ एक परिवार का नहीं है, बल्कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में गंभीर खामियों और निष्क्रिय प्रशासन की एक झलक है. ज़रूरत है कि जिम्मेदार अधिकारी तत्काल संज्ञान लेकर इस गरीब परिवार को आवास योजना का लाभ दिलाएं, वरना यह पूरा सिस्टम एक मज़ाक बनकर रह जाएगा.
बेटे को 2018 -19 में एलॉट हुआ पीएम आवास
सीईओ जिला पंचायत धार अभिषेक चौधरी ने बताया कि 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला गोराबाई के बेटे भागीरथ को सन 2018 -19 में पीएम आवास एलॉट कर दिया गया था.फिलहाल प्रभावित परिवार को किसी सुरक्षित रिक्त शासकीय भवन में आश्रय देने के आदेश ग्राम पंचायत लोहारी को दे दिए गए हैं.
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