Dhaan Milling Scam: जबलपुर में धान मिलिंग के नाम पर किए गए 43 करोड़ रुपए के घोटाले में खाद्य विभाग के अधिकारियों और मिलिंग करने वालों की मिलीभगत भी सामने आई है. कलेक्टर ने 16 मिलों के संचालकों और 11 अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए हैं. इस घोटाले में अधिकारियों ने न केवल आंख मूंदकर जिले के राइस मिलर्स को धान के उठाव के लिए टीपी जारी की, बल्कि फर्जीवाड़े को दबाने के लिए फर्जी जांच कर राइस मिलर्स को क्लीनचिट दे दी थी.
इसका खुलासा राजस्व विभाग और कलेक्टर की टीम की जांच में हुआ. दरअसल, यह फर्जीवाड़ा अप्रैल में उजागर हुआ था जब 46 करोड़ के अंतर जिला धान मिलिंग घोटोले की तरह ही किया गया. नागरिक आपूर्ति निगम ने मनमानी टीपी जारी की और राइस मिलर्स ने धान के परिवहन के नाम पर वाहनों के फर्जी नम्बर देकर एंट्री करा दी. अंतर जिला धान मिलिंग के घपले का खुलासा होने के बाद सरकार ने पूरे प्रदेश में जिला स्तरीय धान मिलिंग की जांच के आदेश दिए थे.
खाद्य नियंत्रक की भूमिका संदिग्ध
बता दें कि भोपाल से मिले निर्देश पर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जिला आपूर्ति नियंत्रक को राइस मिलर्स की जांच का जिम्मा सौंपा था, लेकिन जिला आपूर्ति नियंत्रक ने सभी 43 राइस मिलर्स से सांठगांठ कर उन्हें क्लीन चिट दे दी थी. इसके बाद जांच पर कई सवाल खड़े हुए और दोबारा जांच की मांग की गई. इतना ही नहीं आपूर्ति नियंत्रक ने बिना कलेक्टर की अनुमति के जांच रिपोर्ट भोपाल भेज दी.
74 लोगों पर हो चुकी है FIR
अभी कुछ दिन पहले ही जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने 4.85 करोड़ रुपये के धान के ऐसे ही फर्जी आरओ परिवहन मामले में जिले के बाहर के राइस मिलर्स और जबलपुर नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों कर्मचारियों समेत कुल 74 लोगों पर एफआईआर दर्ज की थी.
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