MP: बसंत पंचमी पर भोजशाला में श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना, राजा भोज से जुड़ा है इतिहास

Saraswati Puja in Bhojshala: भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

Saraswati Puja in Bhojshala: मध्य प्रदेश के धार में स्थित मध्यकालीन स्मारक भोजशाला में बसंत पंचमी के अवसर पर सोमवार को श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की गई. इस स्मारक पर हिंदू और मुसलमान दोनों ही अपना दावा करते हैं. कुछ हिंदू संगठन भोजशाला में सोमवार से चार दिवसीय बसंत उत्सव मना रहे हैं. इस मौके पर इसके परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई.

भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है. यह परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित है.

1034 में राजा भोज ने मां वाग्देवी की मूर्ति स्थापित की थी

भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा ने बताया कि सुबह से ही भोजशाला में पूजा-अर्चना शुरू हो गई जहां ‘आहुति' भी दी गई. उन्होंने बताया कि उदाजीराव चौक से शोभा यात्रा निकाली जाएगी, जिसके बाद दिन में मां वाग्देवी (सरस्वती) की महाआरती की जाएगी. राजा भोज ने साल 1034 में इसी दिन मंदिर के गर्भगृह में मां वाग्देवी की मूर्ति स्थापित कर सरस्वती जन्मोत्सव मनाना शुरू किया था. उन्होंने कहा कि पूरा हिंदू समाज इसी परंपरा को बड़े उत्साह के साथ मनाता आ रहा है. यह 991वां उत्सव है.

भोजशाला में तीन माह तक किया गया सर्वे

‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' नामक संगठन की अर्जी पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने पिछले साल 11 मार्च को एएसआई को भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. इसके बाद एएसआई ने 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो पूरा हो चुका है. लगभग तीन माह तक चले सर्वेक्षण के बाद एएसआई ने पिछले साल जुलाई में 2,000 से अधिक पन्नों की रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंपी.

Advertisement

भोजशाला में इस दिन होता है पूजा, जानें कब मुस्लिम करते हैं नमाज अदा 

भोजशाला को लेकर विवाद शुरू होने के बाद एएसआई ने सात अप्रैल 2003 को एक आदेश जारी किया था. इस आदेश के अनुसार पिछले 21 साल से अधिक से जारी व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है. बता दें कि ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' ने अपनी याचिका में इस व्यवस्था को चुनौती दी है.

ये भी पढ़े: शबाना या साधना...कौन हैं दोनों बच्चों के असली माता-पिता? DNA टेस्ट से होगा खुलासा

Topics mentioned in this article