Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दमोह जिले में ओबीसी समुदाय के एक व्यक्ति को पैर धोकर पानी पीने के लिए मजबूर करने की घटना पर स्वत: संज्ञान लिया है और इस मामले में गंभीर टिप्पणी की है. जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल की बेंच ने कहा कि मध्यप्रदेश में जातीय हिंसा और भेदभाव की घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं. यदि यह प्रवृत्ति इसी तरह जारी रही, तो आने वाले डेढ़ सौ वर्षों में ‘हिन्दू' नाम की कोई एकता नहीं बचेगी. इस मामले की अगली सुनवाई आज 15 अक्टूबर को होगी.
हिन्दू समाज का आपसी ताना-बाना कमजोर हो रहा है
मंगलवार को जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल की बेंच ने मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जातीय हिंसा और भेदभाव की घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं. यही वह राज्य है, जहां एक सामान्य वर्ग के व्यक्ति ने एक आदिवासी पर मूत्र त्याग किया था और तब मुख्यमंत्री ने उस पीड़ित के पैर धोकर माफी मांगी थी.
समाज में हर जाति अपनी पहचान को अति उत्साह से प्रदर्शित कर रही है, जिससे हिन्दू समाज का आपसी ताना-बाना कमजोर हो रहा है. यदि यह प्रवृत्ति इसी तरह जारी रही, तो आने वाले डेढ़ सौ वर्षों में ‘हिन्दू' नाम की कोई एकता नहीं बचेगी.
दिए निर्देश
न्यायालय ने कहा कि सामान्यतः वह पुलिस को NSA के अंतर्गत कार्यवाही करने का निर्देश नहीं देता, लेकिन यदि इस मामले में शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो सामाजिक अशांति और हिंसा फैल सकती है. इसलिए दमोह पुलिस एवं प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि जो भी व्यक्ति वीडियो में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं और जिनकी पहचान की जा सकती है, उनके विरुद्ध FIR के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत भी कार्यवाही करें.