देश के सबसे लंबे नेशनल हाईवे (NH-44) में बने अंडरपास में दरार आ गई है. यह अंडरपास सिवनी-नागपुर के बीच NH-44 पर 29 किमी लंबा देश का पहला साउंड व लाइट प्रूफ फोरलेन हाईवे है. इस हाईवे का निर्माण 950 करोड़ रुपये की लागत से हुआ था. जिसके नीचे से टाइगर सहित अन्य वन्य प्राणी गुजरते हैं. इस अंडरपास का निर्माण दिलीप बिल्डकॉन कंपनी द्वारा 2 साल पहले ही किया गया था. अंडरपास में आई दरार के चलते आवागमन बाधित हुआ है.
गडकरी ने कहा था - तीन पीढ़ी तक चलेगी ये सड़क
केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को यह साउंड व लाइट प्रूफ हाईवे खूब पसंद आया था. जुलाई 2021 में हाईवे के अंतिम चरणों के काम के दौरान नितिन गडकरी ने कुरई घाट सेक्शन आकर निरीक्षण किया था. इस दौरान वे रूखड़ में बनाए गए सबसे लंबे एनिमल अंडरपास के नीचे भी गए थे, तब भी उन्होंने इस प्रोजेक्ट के काम की काफी सराहना की थी और कहा था कि यह सड़क तीन पीढ़ी तक चलेगी.
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सड़क के दोनों ओर लगे हैं नॉइस बैरियर
यह देश की पहली ऐसी सड़क है, जिसमें सड़क के दोनों ओर नॉइस बैरियर का इस्तेमाल किया गया है. मोहगांव-खवासा के बीच 29 किमी लंबी सड़क के 21 किमी लंबे हिस्से में सड़क के दोनों ओर नॉइस बैरियर लगाए गए हैं. दोनों ओर मिलाकर 42 किमी हिस्से में लगे नॉइस बैरियर के कारण भारी वाहनों की लाइट और तेज आवाज वन्य प्राणियों तक नहीं पहुंच पाती है. इसी कारण इस सड़क को देश की पहली साउंड व लाइट प्रूफ सड़क का नाम भी मिला है.
14 एनिमल अंडरपास बने हैं हाईवे में
घने जंगल व पेंच नेशनल पार्क के बफर एरिया से गुजरने वाले हाईवे में 14 एनिमल अंडरपास बनाए गए हैं. ये एनिमल अंडरपास इस सड़क की बड़ी खासियत हैं. मोहगांव-कुरई के बीच 11 एनिमल अंडरपास बनाए गए हैं. रूखड़ में बना एनिमल अंडरपास 1400 मीटर लंबा है. फ्लाईओवर की तर्ज पर बने सभी एनिमल अंडरपास के नीचे से जंगली जानवर बिना किसी अवरोध के आवाजाही करते हैं. नीचे से गुजरते समय उन्हें जंगल सा ही अहसास हो, इसके लिए सभी एनिमल अंडरपास में नीचे की ओर विशेष पेंटिंग कराई गई है.
सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद बनी थी सड़क
सालों तक केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में मंजूरी के लिए अटकी रही इस महत्वाकांक्षी सड़क परियोजना का काम अंतत: सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइड-लाइन के आधार पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा 10 अगस्त 2018 को शुरू कराया था. इस सड़क बनाने वाली दिलीप बिल्डिकॉन कंपनी को मार्च 2021 तक काम पूरा करने का टारगेट दिया गया था, लेकिन करीब डेढ़ महीने पहले ही प्रोजेक्ट का काम पूरा हो गया था.
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