मंत्रीजी कृपया ध्यान दें ! मध्यप्रदेश में रिश्वत का 'एफिडेविट' तैयार कर रहे हैं किसान

मध्यप्रदेश के 'अन्नदाता' इन दिनों न सिर्फ रिश्वत दे रहे हैं बल्कि उसका एफिडेविट भी करवा रहे हैं. चौंकिए नहीं, NDTV की Exclusive रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. दरअसल मध्यप्रदेश में राजस्व महाअभियान का दूसरा चरण चल रहा है. पहले चरण में 56 दिनों में 30 लाख राजस्व के मामलों को निपटाया गया. लेकिन दूसरे चरण में किसान अपनी खेत के सीमांकन और बटान के काम को लेकर पटवारियों और राजस्व अधिकारियों के भ्रष्टाचार से परेशान हो गए हैं.

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Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश के 'अन्नदाता' इन दिनों न सिर्फ रिश्वत दे रहे हैं बल्कि उसका एफिडेविट भी तैयार करवा रहे हैं. चौंकिए नहीं, NDTV की Exclusive रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. दरअसल मध्यप्रदेश में राजस्व महाअभियान का दूसरा चरण चल रहा है. पहले चरण में 56 दिनों में 30 लाख राजस्व के मामलों को निपटाया गया. लेकिन दूसरे चरण में किसान अपनी खेत के सीमांकन और बटान के काम को लेकर पटवारियों और राजस्व अधिकारियों के भ्रष्टाचार से परेशान हो गए हैं. आलम ये है कि उन लोगों ने रिश्वत वाला एफिडेविट बनवाना शुरू कर दिया है. क्या है पूरा मामला पढ़िए इस रिपोर्ट में. 

बता दें कि मध्यप्रदेश में डॉ मोहन यादव की सरकार ने जमीन से जुड़े विवाद, राजस्व न्यायालय में समय सीमा पर लंबित प्रकरणों के निराकरण,खसरे, नक्शे के लिये इन दिनों राजस्व महाअभियान चलाया है. सरकार की मंशा तो अच्छी है लेकिन अधिकारियों की कारस्तानी से किसान परेशान हो गए हैं.

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रिश्वत देने के बाद किसान उसका एफिडेविट बना कर नेताओं के पास घूम रहे हैं.

NDTV की टीम ने राजस्व मंत्री करण वर्मा से मिलने आए 82 साल के किसान अजब सिंह से बात की तो उनकी परेशानी सामने आई. अजब सिंह ने आरोप लगाया कि पटवारी ने खेत की नपाई करने की जगह नाले को ही जमीन में शामिल कर लिया. जब उन्होंने शिकायत की तो पटवारी ने सीमांकन के लिये 35,000 मांगे. अजब सिंह ने 25,000 रुपये दे भी दिये लेकिन काम नहीं हुआ. परेशान होकर उन्होंने बकायदा एफिडेविट बनाकर पूरी कहानी मंत्री जी को दे दी है. कुछ ऐसी ही कहानी मथुरा प्रसाद की भी है. उनका कहना है कि पटवारी उनसे 50 हजार रिश्वत की मांग कर रहा है. 

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ऐसी ही कहानी मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के देवालखेड़ी गांव के गब्बर सिंह की भी है. उनकी जमीन हाईवे से लगी है. बंटवारे के बाद गब्बर सिंह ने पटवारी से सीमांकन की गुहार लगाई थी. आरोप है पटवारी ने डेढ़ लाख रुपए की रिश्वत की मांग की.

गब्बर सिंह ने पटवारी को रिश्वत की रकम नहीं दी तो उसने जमीन का हिस्सा दूसरे व्यक्ति के नाम पर दर्ज कर दिया . इसी तरह मेहरबान सिंह ने राजस्व का रिकॉर्ड दुरुस्त करने के लिए आवेदन किया. इस पर आदेश भी जारी हो गया लेकिन आरोप है कि इस पर तामील के लिये पटवारी पर 5 लाख रुपये रिश्वत के तौर पर मांग रहा है.दिलचस्प ये है कि इन सभी किसानों ने इसके लिये बकायदा शपथपत्र तैयार कर रखा है. 

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जब इस मामले में हमने राजस्व मंत्री करण वर्मा से सवाल किया तो उन्होंने भी माना कि भ्रष्टाचार तो हर जगह है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि करप्शन के राक्षस हर जगह मुंह बाए खड़े हैं. इन्हें ठीक करना होगा. जाहिर है मंत्री जी को अपने विभाग में इंतजाम दुरुस्त करने ही होंगे. क्योंकि ये एक ऐसा विभाग है जिसकी जरूरत सभी को पड़ती है. चाहे उस किसान के पास 100 वर्गफुट जमीन हो या 1000 एकड़. 

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