Kamalnath on BJP : निर्वाचन आयोग ने सोमवार को मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया. प्रदेश में 17 नवंबर को वोटिंग होगी और 3 दिसंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे. इसके कुछ देर बाद ही भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की चौथी सूची जारी कर दी. इसमें 57 नाम हैं जिनमें कई बड़े चेहरे भी शामिल हैं. इस सूची के साथ साफ हो गया कि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान बुधनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. अभी तक कांग्रेस की तरफ से किसी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई है लेकिन कांग्रेस के नेता लगातार बीजेपी पर हमला बोल रहे हैं. सोमवार के घटनाक्रम के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने एक्स पर पोस्ट लिख बीजेपी पर निशाना साधा.
कमलनाथ ने लिखा, 'कमल को अपने नाथ के पास जाना है, दिवाली का दीया कांग्रेस के हाथ से जलाना है.' उन्होंने लिखा, 'विधानसभा चुनावों की तारीख की घोषणा होते ही बीजेपी में खलबली मच गई है. 'पन्ना प्रमुखों' को अपनी चुनावी रणनीति का आधार मानने वाली भाजपा में इस बार 'पन्ना प्रमुखों' के बीच अजब बेचैनी है.' कमलनाथ ने लिखा, 'जिस प्रकार मध्य प्रदेश में प्रत्याशी ऊपर से थोपे जा रहे हैं, उससे बूथ स्तर पर पन्ना प्रमुखों में ये चर्चा है कि जब भाजपा के बड़े-बड़े नामची नेताओं की नहीं चल रही है तो फिर पार्टी में हमारे भविष्य का क्या होगा? जिस भाजपा के लिए हमने मेहनत की वह जब उच्च स्तर पर बैठे नेताओं को सिर्फ आदेशों का पालन करने वाले मोहरे बनाकर चल रही है तो फिर हमारी सलाह या राजनीतिक हैसियत का तो कोई सवाल ही नहीं उठता.'
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'बीजेपी में निराशा और हताशा का माहौल'
उन्होंने लिखा, 'यही वजह है कि बूथ स्तर पर भाजपा में निराशा और हताशा का माहौल है. सब धीरे-धीरे पार्टी से बाहर जाने का बहाना ढूंढ़ रहे हैं. सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा, सबसे बड़े आंतरिक पलायन का कीर्तिमान बनाने जा रही है. इस हिसाब से तो चुनाव की तारीख आने तक भाजपा अपने कार्यालय तक ही सिमट कर रह जाएगी.' कमलनाथ ने सोमवार को कहा कि लोग अगले महीने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में 'लोकतंत्र के अपहरणकर्ताओं' को सबक सिखाएंगे.
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'कई साल से था चुनाव की तारीखों का इंतजार'
कांग्रेस नेता 2018 में सत्ता में आने के 15 महीने बाद मार्च 2020 में उनके नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के पतन का परोक्ष तौर पर जिक्र कर रहे थे, जब पार्टी के कई विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में पार्टी छोड़ दी थी.