Madhya Pradesh Police: मानसिंह पटेल कहां हैं --- ये सवाल एनडीटीवी ने 7 जनवरी 2023 को पूछा था...अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस सवाल का जवाब एक विशेष जांच दल यानी SIT ढूंढेगी. सुप्रीम कोर्ट ने ये सख्त निर्देश तब जारी किया जब याचिकाकर्ताओं ने हैबियस कॉर्पस के तहत इस पर आदेश मांगा. हैबियस कॉर्पस एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके तहत मान सिंह पटेल (Mansingh Patel) को अदालत के सामने प्रस्तुत करने की मांग की गई थी. याचिका में ये आरोप भी लगाया गया कि मानसिंह को अवैध रूप से रखा गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने SIT गठन का आदेश दिया है.
फिलहाल सर्वोच्च अदालत के इस आदेश के बाद प्रदेश की सियासत गर्म हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh)ने कहा है कि ये मामला गंभीर है. इस मामले की जांच वे अधिकारी करेंगे जो मध्यप्रदेश के नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जो जांच के आदेश दिए हैं उसमें अदालत ने राज्य पुलिस को फटकार भी लगाई है. दूसरी तरफ इस मामले में प्रदेश सरकार में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत (Govind Singh Rajput) ने कहा है कि वे SIT जांच का स्वागत करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सही मायने में इंसाफ किया है.
आगे बढ़ने से पहले आपको एक बार पूरा मामला फिर से समझा देते हैं. सागर ज़िले में ज्ञानवीर सेवा समिति (Gyanveer Seva Samiti) कैंब्रिज स्कूल संचालित करती है, इस समिति की अध्यक्ष प्रदेश सरकार में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की पत्नी सविता सिंह राजपूत हैं. ज़िस ज़मीन पर ये स्कूल और मंत्रीजी की किला कोठी स्थित है उसको लेकर विवाद है. मामला कई सालों तक कोर्ट में चला. लेकिन पेंच ये है कि जिस शख्स ने इस मामले में शिकायत की थी वो 2016 से लापता हैं, उनके बेटे सीताराम पटेल (Sitaram Patel) ने 2023 में NDTV से एक्सक्लूसिव बातचीत में सनसनीखेज आरोप लगाए थे.
कहानी में ट्विस्ट ये है कि सीताराम अदालत भी गये लेकिन फिर पलट गये जिसके बाद से ये केस ओबीसी महासभा लड़ रही है. दरअसल विवाद ये था कि सागर ज़िले के तिली वार्ड में रहने वाले मानसिंह पटेल और उनके भाई उत्तम सिंह पटेल के पास लगभग 4 एकड़ ज़मीन थी, जमीन का एक हिस्सा कोर्ट के फैसले के बाद नारायण प्रसाद नाम के शख्स को मिला. नारायण प्रसाद ने ये जमीन कैलाश यादव को बेची. बाद में कैलाश यादव ने इसका सौदा गोविंद सिंह राजपूत के साथ कर दिया.
अब उसपर राजपूत अनाधिकृत निर्माण करा रहे हैं. मान सिंह ने कहा कि इसकी जानकारी उन्होंने 13 मई को पुलिस, कलेक्टर सबको लिखित में दी है. अपनी याचिका में उन्होंने ये भी कहा कि हल्का पटवारी की संलिप्तता से ये सब हुआ है. वो ग़रीब मज़दूर हैं, ऐसे में उन्हें जानमाल का ख़तरा है.
ये याचिका दायर करने के 2 महीने बाद 26 अगस्त 2016 को मानसिंह लापता हो गये और आजतक उनका पता नहीं लगा है. इस मामले में एक लिखित शिकायत सागर जिले के सिविल लाइन थाने में दर्ज भी हुई है. एनडीटीवी की खबर के बाद मंत्रीजी के भाई, मानसिंह के भाई और उनके वकील ने मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सारे आरोपों को गलत बताया. उन्होंने एक दस्तावेज दिखाया और बताया कि खुद मानसिंह के बेटे ने सितंबर 2016 में हलफनामा दिया था कि उनके पिता का अपहरण नहीं हुआ है. हालांकि इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में NDTV ने सवाल पूछा कि रिपोर्ट तो गुमशुदगी की दर्ज थी ऐसे में हलफनामा अपहरण का कैसे दिया गया तो चुप्पी छा गई. इसी कॉन्फ्रेंस में मानसिंह के भाई उत्तम सिंह ने तो यहां तक कह दिया उनके भाई साधु बन गये हैं, भतीजा बिला वजह आरोप लगा रहा है.
इसके अलावा गवाहों के बयान की वीडियोग्राफी भी होगी और जहां जरूरी लगे धारा 164 के तहत बयान दर्ज किए जाएं. अदालत ने कहा है कि विवादित जमीन से संबंधित राजस्व रिकॉर्ड की भी गहन जांच हो ताकि यह पता चल सके कि मानसिंह पटेल की गुमशुदगी के पीछे क्या कारण थे. SIT को चार महीनों के भीतर जांच पूरी करनी होगी.
मंत्री जी जांच का स्वागत कर रहे हैं, वहीं विपक्ष इस्तीफा मांग रहा है
उधर इस मामले में गोविंद सिंह राजपूत ने कहा उनके खिलाफ एक राजनीतिक षड्यंत्र किया गया था. उस षड्यंत्र पर सुप्रीम कोर्ट ने हमें न्याय दिया है. अदालत ने अपने आदेश में हमारे लिए ना नोटिस जारी किया ना कोई अपराध कायम किया है.जो भी SIT बनी है वह अज्ञात को ढूंढने के लिए बनी है और मैं उस SIT का सहयोग करूंगा. मंत्री जी ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश का में स्वागत करता हूं और यह भी कहना चाहता हूं कि जो भी लोग किसी भी माध्यम से भ्रमित विचार करने का प्रयास कर रहे हैं वो इस ऑर्डर को पूरा पढ़े. इस आर्डर में पूरी तरीके से हमें अलग रखा गया है,इसके बावजूद भी अगर कोई हमें लेकर प्रचार करेगा तो मैं उसपर मानहानि का दावा करूंगा.
वहीं मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा मध्य प्रदेश के गृह मंत्री और गृह मंत्रालय दोनों काम के नहीं बचे हैं. कोर्ट ने कहा है कि हम SIT बाहर के अधिकारियों की गठित कर रहे हैं क्योंकि आपकी पुलिस तो निकम्मी है. ऐसे में गृह मंत्री को अपना पद त्याग देना चाहिए ये सुप्रीम कोर्ट के वर्डिक्ट की नैतिकता का तक़ाज़ा है. दूसरी बात ये है कि मंत्री जिस ज़िले के हैं उस पर ही आरोप है कि उसके इलाके से मानसिंह नाम का व्यक्ति ग़ायब हो गया. पुलिस ने उसे ढूंढ ही नहीं रही है ,जिस व्यक्ति पर आरोप है वो पद पर कैसे रह सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि राज्य की बाहर की पुलिस इस मामले की जांच करे. इसका मतलब है कि अदालत ये मानती है कि स्थानीय पुलिस दबाव में आ सकती है. लिहाजा गृह मंत्री और संबंधित मंत्री को अपना पद त्याग देना चाहिए. जीतू पटवारी ने कहा कि हम NDTV को धन्यवाद देते हैं जो हमेशा से इस मुद्दे को उठाती है आग्रह करता हूं. बता दें गोविंद सिंह राजपूत, कमलनाथ सरकार में राजस्व और परिवहन महकमा संभालते थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ वो BJP में शामिल हुए. अब वे डॉ मोहन यादव सरकार में खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे हैं.