मोहन यादव ही होंगे MP में सबसे ताकतवर, कोई नहीं है नंबर-2! क्या कहता है मंत्रियों के विभागों का बंटवारा?

कांग्रेस प्रवक्ता आनंद जाट ने कहा, 'पहले मुख्यमंत्री का चयन, फिर मंत्रियों की सूची और अब विभागों का बंटवारा यह बताता है कि बीजेपी ने मध्य प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश मान लिया है. राज्य के ज्यादातर विभाग मुख्यमंत्री कार्यालय के अधीन आएंगे. जनता के बीचे से चुनकर आए बड़े नेताओं को सिर्फ नाममात्र के विभाग दिए गए हैं.'

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मध्य प्रदेश में मंत्रियों के विभागों का बंटवारा क्या कहता है

Mohan Yadav Cabinet : मध्य प्रदेश में नई सरकार के गठन की सभी औपचारिकताएं अब पूरी हो चुकी हैं. नई मंत्रिपरिषद के गठन के पांच दिन बाद शनिवार शाम को आखिरकार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, दोनों डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा के अलावा शपथ लेने वाले 28 नए मंत्रियों को विभाग आवंटित कर दिए गए. केंद्रीय नेतृत्व ने विभागों के बंटवारे में वरिष्ठ नेताओं के अनुभव को ध्यान में रखा है लेकिन 9 विभागों के साथ साफ कर दिया है कि डॉ मोहन यादव ही प्रदेश में सबसे ताकतवर रहेंगे.

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पुलिस महकमे सहित 9 और विभागों का जिम्मा संभालेंगे, जिनमें सामान्य प्रशासन, जेल, औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन जैसे प्रमुख विभाग शामिल हैं. साथ ही जनसंपर्क, विमानन, खनिज संसाधन जैसे विभाग भी उनके ही पास होंगे. हालांकि मुख्यमंत्री मोहन यादव समेत इन 7 चेहरों के पास 70 फीसद से ज्यादा का बजट भी होगा. ये 7 चेहरे मोहन कैबिनेट के सबसे प्रमुख चेहरे हैं. 

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मोहन यादव कैबिनेट के 7 बड़े चेहरे

दो डिप्टी सीएम, जगदीश देवड़ा वित्त, वाणिज्यिक कर, आर्थिक और सांख्यिकीय योजना संभालेंगे. वहीं राजेंद्र शुक्ल के पास लोक स्वास्थ्य-परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग रहेगा. भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को शहरी विकास और संसदीय कार्य विभाग की जिम्मेदारी दी गई है. प्रदेश में पहली बार मंत्री बने पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को श्रम मंत्रालय के अलावा पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय भी मिला है. जबलपुर के पूर्व सांसद राकेश सिंह को पीडब्ल्यूडी मंत्रालय का प्रभार मिला जबकि होशंगाबाद सीट से पूर्व सांसद उदय प्रताप सिंह को परिवहन और स्कूल शिक्षा विभाग सौंपा गया है.

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7 मंत्रियों के पास 1.93 लाख करोड़ का बजट

मोहन यादव कैबिनेट के इन 7 चेहरों के पास राज्य के 3.14 लाख करोड़ के बजट में लगभग 1.93 लाख करोड़ का बजट है. मंत्रियों के विभागों के बंटवारे के बाद सीएम मोहन यादव ने कहा कि नया मंत्रिमंडल जनता की सेवा का नया संकल्प लेगा. 28 मंत्रियों को अलग-अलग विभागों की जवाबदारी दी गई है. सबके काम का वितरण कर दिया गया है. उम्मीद करते हैं कि आने वाले पांच साल डटकर काम करेंगे और प्रदेश को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे.

कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा, 'ग्रामीण विकास को लेकर केंद्र और राज्य सरकार की नीतियां स्पष्ट हैं. क्रियान्वयन को लेकर हो सकता है कुछ बदलाव करना पड़े. श्रमिकों के लिए केंद्र सरकार की तरफ से कई बेहतरीन निर्णय लिए गए हैं. वे एमपी में भी प्रभावी तरीके से क्रियान्वित हों इस तरफ ध्यान रहेगा. भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ग्रामीण स्तर पर भी डिजिटाइजेशन होना बहुत आवश्यक है.' वहीं कांग्रेस ने विभागों के बंटवारे पर तंज कसा है. 

कांग्रेस ने विभागों के बंटवारे पर कसा तंज

कांग्रेस प्रवक्ता आनंद जाट ने कहा, 'पहले मुख्यमंत्री का चयन, फिर मंत्रियों की सूची और अब विभागों का बंटवारा यह बताता है कि बीजेपी ने मध्य प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश मान लिया है. राज्य के ज्यादातर विभाग मुख्यमंत्री कार्यालय के अधीन आएंगे. जनता के बीचे से चुनकर आए बड़े नेताओं को सिर्फ नाममात्र के विभाग दिए गए हैं.'

क्षेत्रीय समीकरण को साधने की कोशिश

वैसे मंत्रिमंडल के गठन और अब विभागों के बंटवारे में जातिगत समीकरण के अलावा क्षेत्रीय समीकरणों को भी साधा गया है. मालवा-निमाड़ क्षेत्र जहां से खुद मुख्यमंत्री आते हैं जहां 66 विधानसभा सीटें हैं वहां से 7 मंत्री बनाए गए हैं, जिनमें मुख्यमंत्री सहित 3 के पास अहम विभाग हैं. यहां बीजेपी ने 66 में 47 सीटें जीती थीं यानी 71 प्रतिशत का स्ट्राइक रेट. इसके बाद केंद्रीय मध्य प्रदेश से छह मंत्री बनाए गए हैं, जहां भाजपा ने 86 प्रतिशत स्ट्राइक रेट के साथ 36 में से 31 सीटें जीतीं.

आदिवासी बहुल महाकौशल से 5 मंत्री बने हैं, जहां हाल के चुनावों में बीजेपी का स्ट्राइक रेट 55 प्रतिशत था यानी 38 में से 21 सीटें. ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड क्षेत्रों से चार-चार मंत्री बनाए गए हैं जहां हाल के चुनावों में बीजेपी का स्ट्राइक रेट 53 प्रतिशत और 85 प्रतिशत था. विंध्य में बीजेपी ने 30 में से 25 सीटें जीतीं 83 प्रतिशत स्ट्राइक रेट लेकिन 2 मंत्री ही बनाए हालांकि डिप्टी सीएम के पास अहम मंत्रालय है. 

मंत्रालय में 52 फीसदी ओबीसी आबादी

राज्य में 28 में 12 मंत्री यानी 43 प्रतिशत ओबीसी हैं. खुद मुख्यमंत्री भी यानी 52 फीसदी ओबीसी आबादी को सबसे अहम मंत्रालय मिले हैं. इसके बाद 21 प्रतिशत आदिवासी और 16 प्रतिशत अनुसूचित जाति की आबादी है. सात सवर्ण यानी 25 फीसदी मंत्री इस समुदाय से हैं. पांच आदिवासी (18 प्रतिशत) मंत्री हैं. विजय शाह को जनजाति कल्याण विभाग मिला है. वह खुद इसी समुदाय से हैं और चार अनुसूचित जाति के विधायक यानी 14 फीसदी मंत्री बने हैं

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MP में UP का फॉर्मूला

विभागों के बंटवारे से ये साफ है कि मोहन यादव के मंत्रिमंडल में ऐसा कोई नहीं है जिसे स्पष्ट रूप से नंबर दो कहा जा सके. उन्होंने वरिष्ठ और अनुभवी सदस्यों को कुछ महत्वपूर्ण विभाग देकर एक संतुलन बनाने का काम भी किया है. विभागों के बंटवारे में जाति और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखा गया है. कुल मिलाकर पड़ोसी उत्तर प्रदेश के फॉर्मूले पर काम हुआ है. शिवराज सरकार के दो पावरफुल मंत्रियों के भी पर कतरे गए हैं.