
Natural Farming : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने "प्राकृतिक खेती के नाम एक चौपाल" कार्यक्रम को प्रेरणादायी बताते हुए कहा कि जिस प्रकार नमस्कार का असली महत्व कोविड के बाद समझ आया, ठीक इसी प्रकार प्राकृतिक खेती का विचार रासायनिक खेती के दुष्परिणामों के बाद आ रहा है. उन्होंने कहा कि मैंने स्वयं खेती की है, जिसमें रासायनिक खादों के उपयोग की आदत नहीं थी, पश्चिम आधारित सोच के कारण कृषि में रासायनिक खाद का उपयोग बढ़ा.
भारतीय ज्ञान के प्रति बढ़ते रुझान को देखते हुए गौ-पालन के लिए गौशाला बनाये जा रहे हैं, जिसके उत्पाद से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में प्राकृतिक खेती की बड़ी संभावना है. उन्होंने कृषि मंत्री से कहा कि प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन के लिए योजनाएं बनायें, वे निश्चित रूप से इसे लागू करेंगे. मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती और रासायनिक खेती से उत्पादित फसलों के उपार्जन के लिए मंडियों में दो तरह की व्यवस्था करने को कहा, जिससे उत्पादित फसलों के उपभोग में कठिनाई न आए. मुख्यमंत्री गुरुवार को जबलपुर के मानस भवन में चौपाल प्राकृतिक खेती के नाम कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में दुग्ध उत्पादन अभी 9 प्रतिशत है, इसे 25 प्रतिशत तक ले जायेंगे. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि फैट के आधार पर दूध खरीदने की व्यवस्था है. भैंस के दूध को अधिक लाभदायक बनाकर देशी गाय के दूध को महत्वहीन बताने का षड्यंत्र रचा गया. उन्होंने गाय के दूध के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्राकृतिक खेती के नाम एक चौपाल कार्यक्रम के मुख्य वक्ता गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का हार्दिक स्वागत व आभार व्यक्त किया और कहा कि आचार्य देवव्रत ने अत्यंत सरलता से प्राकृतिक खेती के विषय को समझाया है. प्राकृतिक खेती के लिए गाय के गोबर से बने जीवामृत का उपयोग कर कृषि उत्पाद को बढ़ाकर धरती के स्वास्थ्य को भी सुरक्षित किया जा सकता है.
'सबसे पहले 5 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती शुरू की थी'
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने "प्राकृतिक खेती के नाम एक चौपाल" में प्राकृतिक खेती के अनुभव साझा करते हुए कहा कि रासायनिक खेती के दुष्परिणामों को देखते हुए उन्होंने सबसे पहले 5 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती शुरू की थी. जिसमें प्रथम वर्ष की तुलना में गुणात्मक रूप से ज्यादा फसल की पैदावार प्राप्त हुई वे लगातार प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. बल्कि बेहतर उत्पादन भी प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने रासायनिक खेती के दुष्परिणामों के बारे में विस्तार से बताकर प्राकृतिक खेती अपनाने को प्रोत्साहित किया. उन्होंने प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती में अंतर भी बताया.
प्राकृतिक खेती जीवन के लिए वरदान
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि जिस प्रकार जंगल में बिना खाद पानी दिए जंगली पेड़ भरपूर फसल देते हैं, उसी प्रकार का नियम प्राकृतिक खेती में भी लागू होता है. प्रकृति अपने इकोसिस्टम से हर चीज को नियंत्रित कर अपने मूल स्वरूप में ला देती है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होते. प्राकृतिक खेती जीवन के लिए वरदान है. फसल के नाम पर रासायनिक खादों का उपयोग बंद करें, क्योंकि इससे कृषि मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं, जिससे धरती की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है. उन्होंने रासायनिक खादों के दुष्परिणाम के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने सभी किसानों से कहा कि रासायनिक खेती हानिकारक है और किसान प्राकृतिक खेती अपनाएं और प्रकृति से जुड़े.
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