रोटी के लिए रस्सी पर झूलता बचपन... पेट पालने के लिए जान पर खेलने को मजबूर बच्चे

पढ़ाई-लिखाई से महरूम और अपने जीवन से खिलवाड़ करती हुई इस बेखबर बच्ची की मां और पिता से हमने बात की. वे भी अपनी बेबसी को छुपाते हुए यह कहते नजर आए कि अपना गुजारा करने के लिए करना पड़ता है. ऐसा करके वे हर रोज कुछ रुपए कमा लेते हैं जिससे उनका घर चलता है.

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रोटी के लिए रस्सी पर झूलता बचपन, पेट पालने के लिए जान पर खेलने को मजबूर बच्चे

सरकार भले ही मासूम बच्चों को शत-प्रतिशत स्कूल भेजने और उनकी निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था के दावे करती हो... लेकिन चांद पर दौड़ लगा रहे भारत में आज भी ऐसे मासूम बच्चे हैं जो दो वक्त की रोटी के लिए करतब दिखाने को मजबूर हैं. एक रस्सी में करतब दिखाती छोटी-सी बच्ची को देख लोग हैरत में पड़ जाते है. आस-पास से गुजरने वाले लोग थोड़ा रुक कर देखने के बाद जेब से कुछ पैसे निकाल कर बच्ची को दे देते हैं. लेकिन अब यही उसका जीवन बन गया है क्योंकि उन्हें भी दो जून की रोटी के लिए पैसे कमाना है. ऐसा भी नहीं है कि शहर से हर गांव-गांव जाकर करतब दिखाने वाले इन बच्चों की खबर शासन-प्रशासन को नहीं है पर इन्हें ऐसा करने से रोकने वाला कोई नहीं है. 

पेट पालने के लिए जान जोखिम में डालकर करतब दिखाती बच्ची

ये तस्वीरें पन्ना शहर के गांधी चौक की है. जहां एक लड़की रस्सी पर नाचती हुई करतब दिखाती है. हाथों में  एक लंबा-सा डंडा और वह रस्सी पर पैदल चलती है. राहगीर देख कर रुकते हैं और खुश होकर कुछ पैसे दे देते है. करतब दिखाती बच्ची कहती है कि छत्तीसगढ़ से आई हूं, गिरने का डर नहीं है... क्योंकि पैसे कमाना है. आसपास के लोग इस नजारे को मनोरंजन समझ रहे थे..लेकिन शायद ही किसी को इसके पीछे की मजबूरियां और रोटी जुटाने की जद्दोजहद समझ आई हो. 

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"पेट की खातिर करना पड़ता है साहब !"

पढ़ाई-लिखाई से महरूम और अपने जीवन से खिलवाड़ करती हुई इस बेखबर बच्ची की मां और पिता से हमने बात की. वे भी अपनी बेबसी को छुपाते हुए यह कहते नजर आए कि क्या करें! सरकार केवल चावल देती है लेकिन पेट की खातिर ऐसा करना मजबूरी है. हर रोज कुछ रुपए कमा लेते हैं जिससे गुजारा चलता है. ऐसा करना परिवार की मजबूरियां है...दरअसल, इस पेशे के लोग एक जगह से दूसरे जगह घूम-घूम कर इसी तरीके से पैसे कमाते हैं. अपना घर चलाने के लिए इन्हें ऐसा करना पड़ता है. 

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