Child Labour: मध्य प्रदेश के नीमच शहर में लगातार नाबालिगों से बाल श्रम करवाने की शिकायतें मिल रहीं थीं. जिसके बाद नीमच कलेक्टर के निर्देश पर श्रम विभाग ने एक विशेष अभियान के तहत शहर की खुर्शीद टॉकीज के सामने स्थित पंडित पूड़ी भोजनालय में एक किशोर श्रमिक को मुक्त करवाया है. साथ ही इस मामले में बाल श्रम कानून के तहत प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी. श्रम अधिकारी सज्जन सिंह चौहान ने बताया कि यह किशोर पिछले एक महीने से उक्त भोजनालय में काम कर रहा था, जिसकी पुष्टि जांच में हुई है.
इस टीम ने लिया एक्शन
इस पूरी कार्रवाई के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे. श्रम विभाग की टीम में श्रम निरीक्षक शिवकरण, महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रतिनिधि और पुलिस विभाग से राहुल सोलंकी शामिल थे. जिन्होंने मिलकर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया.
उन्होंने अधिनियम के प्रावधानों को दोहराते हुए बताया कि बाल श्रम के दोषी पाए जाने पर ₹50,000 तक का भारी जुर्माना और एक साल तक की कैद का प्रावधान है. विभाग ने यह भी साफ कर दिया है कि जिले में बाल श्रम के खिलाफ जांच-पड़ताल और प्रभावी कार्रवाई लगातार जारी रहेगी ताकि कोई भी बच्चा अपने बचपन को खोकर मजदूरी करने पर मजबूर न हो.
क्या कहता है कानून?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 के अनुसार, किसी भी प्रकार का बलात् श्रम निषिद्ध है. अनुच्छेद 24 के अनुसार, 14 साल से कम उम्र के बच्चे को कोई खतरनाक काम करने के लिये नियुक्त नहीं किया जा सकता है. अनुच्छेद 39 के अनुसार "पुरुष एवं महिला श्रमिकों के स्वास्थ्य और ताकत एवं बच्चों की नाजुक उम्र का दुरुपयोग नहीं किया जाता है". इसी तरह बाल श्रम अधिनियम (निषेध और विनियमन), 1986 के अनुसार, 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खतरनाक उद्योगों और प्रक्रियाओं में काम करने से रोकता है.
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