Chhatarpur: हाजी शहजाद अली के जिस 10 करोड़ के बंगले पर चला बुलडोजर, जानें- क्या थी उसकी  खासियत

Chhatarpur Bulldozer: इस हवेली में 100*100 के दो हाल बनाए गए थे, जिसमें लोगों के बैठने की व्यवस्थाएं की गई थी, जहां लगभग 100 से 200 लोग बैठ सकते थे. उसमें बैठक की सभी सुविधाएं मौजूद थी. इसमें हर कमरे में दो गेट थे. यानी इमरजेंसी की स्थिति में दूसरे गेट से निकलने का रास्ता भी बनाया गया था.

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Bulldozer Action in Chhatarpur: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर (Chhatarpur) जिले के कोतवाली में हुई पत्थरबाजी केस (Stone pelting Case) के कथित मुख्य आरोपी हाजी शहजाद अली (Haji Shahzad Ali) की 10 करोड़ रुपये की कोठी पर छतरपुर प्रशासन (Chhatarpur Administration) ने बुलडोजर चलवा दिया था. ऐसे में सवाल पैदा होता है कि आखिर उस बंगले में ऐसा क्या था, जो उसकी कीमत 10 करोड़ रुपये बताई जा रही है. दरअसल, हाजी शहजाद अली की ये कोठी तीन मंजिला थी, जिसमें 20 कमरे थे. बताया जाता है कि सर्वसुविधायुक्त इस बंगले में चारों भाइयों के एक साथ रहने का प्लान था. ये भी बताया जाता है कि इस हवेली को चारों भाई मिलकर बना रहे थे.

7 साल में बनकर तैयार हुई थी ये हवेली

हाजी शहजाद ने अपनी हवेली बनाने का सिलसिला 2017 में शुरू किया था. यानी इसे बनते हुए 7 साल से ज्यादा समय हो गया है.  इसे स्टाइलिश और सबसे अलग बनाने के लिए अच्छी क्वालिटी के झूमर मंगवाए गए थे, जो अभी लगाए भी नहीं गए थे. झूमर भी इसके अंदर रखे हुए थे. कमरों में लगाने के लिए अच्छी क्वालिटी के टाइल्स मंगवाए गए थे, जो इसमें रखे हुआ थे. इसके अलावा, अच्छी क्वालिटी की बहुत ही सुंदर कुर्सियां और कमरों में लगाने के लिए अच्छी क्वालिटी के पलंग भी मांगवाए गए थे.

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बंगले में थी ये सुवधाएं

इस हवेली में 100*100 फीट के दो हाल बनाए गए थे, जिसमें लोगों के बैठने की व्यवस्थाएं की गई थी, जहां लगभग 100 से 200 लोग बैठ सकते थे. उसमें बैठक की सभी सुविधाएं मौजूद थी. इसमें हर कमरे में दो गेट थे. यानी इमरजेंसी की स्थिति में दूसरे गेट से निकलने का रास्ता भी बनाया गया था. इसके अलावा, गाड़ियों की पार्किंग के लिए अंडरग्राउंड पार्किंग व्यवस्था की थी. बैठक की व्यवस्था के लिए अलग रूम बनाए गए थे, जो स्पेशल लोगों से मिलने के लिए बनाए गए थे. 10 कमरों में विशेष लोगों के रुकने की व्यवस्था की गई थी. इसमें लोगों से अलग-अलग बैठक करने की भी व्यवस्था थी. वहीं, खाना खाने के लिए अलग-अलग हॉल बनाए गए थे.

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सूफी संत परंपरा से जुड़े हैं हाजी शहजाद

कांग्रेस के उपाध्यक्ष हाजी शहजाद अली को आने वाले समय में छतरपुर जिले के बड़े मुस्लिम नेता के तौर पर देखा जा रहा था. माना जा रहा था कि आने वाले समय में इसी कोठी से हाजी शहजाद का साम्राज्य चलता. दरअसल, हाजी शहजाद खानकाह सूफी परंपरा से जुड़ा है. इसका अर्थ मठ या आश्रम जैसी एक संस्था से है. जहां सूफी संत रहा करते थे और धार्मिक-सामाजिक मुद्दों पर चर्चा किया करते थे. खानकाह दीन और तालीम पर चर्चा के लिए भी जाने जाते हैं. कई मौकों पर यहां पर अदालतें भी लगा करती थी और आपसी विवाद सुलझाए जाते थे, हालांकि, धीरे-धीरे यह प्रथा समाप्त हो गई. 

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ये हुई थी घटना

आपको बता दें कि पैगंबर मुहम्मद साहब के खिलाफ महाराष्ट्र के एक संत ने विवादित टिप्पणी की थी. इसके खिलाफ हजारों की संख्या में भीड़ छतरपुर के एक थाने में आरोपी की गिरफ्तारी के लिए 21 अगस्त को ज्ञापन देने गए थे.  इस दौरान भीड़ भड़क गई और पुलिस वालों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी. इसके अगले दिन पुलिस ने हाजी शहजाद को मुख्य आरोपी बताते हुए बिना किसी नोटिस, सुनवाई और फैसले के उसके 10 करोड़ के मकान पर बुलडोजर चलवा दिया. इतना ही नहीं बंगले पर खड़ी तीन लग्जरी कारों को भी कबाड़ में बदल दिया गया. पुलिस और प्रशासन की ओर से घर गिराने का कारण यह बताया गया कि बिल्डिंग अवैध थी. ऐसे में लोगों ने ये भी सवाल खड़े किए, क्या गाड़िया भी अवैध थी, जो उसे स्क्रैप में बदल दिया गया, जिसका पुलिस और प्रशासन के पास अज तक कोई जवाब नहीं है. 

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हाजी शहजाद हो चुके हैं गिरफ्तार

हाजी शहजाद का मकान गिराने के बाद छतरपुर पुलिस ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया था, ताकि देश छोड़ कर भाग नहीं सके. इसके साथ ही उनकी सूचना देने वालों के लिए 10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था. इस बीच मंगलवार को कोर्ट में सरेंडर करने जाते वक्त पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. 

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