MP में इंसानों के साथ बेजुबान भी परेशान, कौन सुनेगा इनकी गुहार?

Bhopal News: एमपी को वैसे तो कैटल फ्री कैपिटल कहा जाता है. लेकिन, यहां आज भी मवेशियों की जान पर हमेशा बनी रहती है. आखिर उनकी गुहार सुनने वाला कब कोई आएगा...

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प्रदेश की सड़कों पर सेफ नहीं हैं मवेशी

Cattel in MP: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) को सालों पहले कैटल फ्री कैपिटल (Cattel Free Capital) घोषित किया गया था. लेकिन, आलम ये है कि जो खुले में घूम रहे पशु और मवेशी है, उनके कारण हर रोज लोग हादसों के शिकार हो रहे हैं. इससे बेजुबान मवेशियों (Silent Cattles) के साथ इंसानों को भी बहुत तकलीफ हो रही है. इतना ही नहीं, पिछले एक महीने में राजधानी भोपाल में सड़क पर घूम रही गाय से टकराकर दो लोगों की मौत तक हो गयी... पहले मामले में पिछले महीने ही बिलखिरिया क्षेत्र में एक व्यक्ति की देर रात गाय से टकराकर मौत हो गयी. शनिवार देर रात राजधानी भोपाल के कोलार इलाके में दर्दनाक तरीके से मवेशी से टकराकर 32 वर्षीय प्रत्युष त्रिपाठी की अपने दोस्त के घर से लौटते वक्त मौत हो गयी.

गाय से टकराकर हुई दर्दनाक मौत

अंधेरे में प्रत्यूष की मवेशी से टक्कर हो गई. बाइक की टक्कर से गाय का सींग प्रत्यूष की जांघ में घुस गई. खून काफी देर तक बहता रहा. हालांकि जब राहगीरों की नजर पड़ी, तो उन्होंने पास के ही अस्पताल में घायल को भर्ती करवाया. खून ज्यादा बह जाने से प्रत्यूष की मौत हो गयी.

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एमपी की सड़कों पर मवेशियों का हाल

आए दिन जा रही बेजुबानों की जान

देखा जाए तो ऐसे मामले राजधानी में रोज अलग-अलग इलाकों में हो रहे है. कोलार जिस इलाके में ये हादसा हुआ है, 6 महीनों से भी ज्यादा का वक्त निकल चुका है जब से श्रीत लाइट बंद पड़ी हुई है... स्थानीय लोगों का कहना है कि महीनों से लाइट ना होने के कारण हादसों में तो बढ़ोतरी हुई ही है, लेकिन बारिश में ये हादसे दोगुने हो गए है. अंधेरे में चाहे वह दो पहिया वाहन चालक हो या चार पहिया, सभी को इस अधूरा काम हुई सड़क पर चलने में परेशानी बढ़ती जा रही है. कोलार मामले में हुई मौत और बिलखिरिया में हुए हादसे में एक बात सामान्य थी कि यहां स्ट्रीट लाइट बंद पड़ी हुई थी.

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सड़कों की हालत खस्ता

कोलार 6 लेन का काम अभी पूरा नहीं हुआ है. पिछले कई महीनों से खंबे और लाइट लग गयी है, लेकिन ये लाइट जलती नहीं है. इतना ही नहीं, शहर की ऐसी कई प्रमुख सड़कें है जहां की स्ट्रीट लाइट अकसर बंद पड़ी रहती है. जिसके कारण हादसों की लिस्ट लम्बी होती जा रही है... राजधानी के कांजी हाउस और आसरा भी फुल हो चुके हैं. इनमें जितने मवेशी रखने की क्षमता है उससे ज़्यादा ही पशुओं को रखा जा रहा है. ऐसे में एक्सीडेंट के कारण पशु जब घायल होते है, तो उन्हें कहीं रखने तक की जगह नहीं मिल पाती है.. फिलहाल, 10 हजार से ज्यादा मवेशी सड़कों पर घूम रहे हैं. या तो इनके मालिक इन्हें खुला घूमने के लिए छोड़ देते है या कोई और वजह से ये सड़कों पर रहते हैं...

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