Jabalpur Government Hospital: मध्यप्रदेश अजब है...गजब है..ये तो आपने अक्सर सुना होगा लेकिन इस बार तो वाकई गजब हो गया. यहां जबलपुर के सरकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने एक जीवित शख्स को मृत बताकर उसका डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया. ये तो परिजनों ने ऐन वक्त में पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया वरना पीड़ित शख्स की सांसें शायद वाकई बंद हो जाती. हद ये भी है कि खुद अस्पताल के CMO मान रहे हैं कि लापरवाही हुई है लेकिन उन्होंने भी जिम्मेदारों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया.
बिना पोस्टमार्टम के दिया डेथ सर्टिफिकेट!
दरअसल नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में 66 साल के इंद्रजीत को बीमारी की हालत में भर्ती कराया गया. वे वार्ड नंबर 32 में भर्ती थे. मंगलवार को अचानक उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई. इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया और परिजनों पर पोस्टमार्टम का दबाव बनाया. लेकिन परिजनों को कुछ शक हुआ और उन्होंने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया. जिसके बाद भी डॉक्टरों की लापरवाही यही नहीं रूकी. उन्होंने बिना पोस्टमार्टम किए इंद्रजीत का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया. इसमें विद्वान डॉक्टरों ने इंद्रजीत की मौत का कारण हृदय गति रुकना और सांस रुकना बताया.
6 घंटे तक बिना वेंटिलेटर के रहे इंद्रजीत
दूसरी तरफ मामले का खुलासा तब हुआ जब परिजन इंद्रजीत को लेकर घर वापस जाने लगे. इसी दौरान इंद्रजीत की सांसे फिर से चलने लगी और शरीर में हलचल दिखाई दी. जिसके बाद उन्हें आनन-फानन में फिर ICU में भर्ती कराया गया जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है. परिजनों के कहना है कि मौत के विवाद में इंद्रजीत करीब 6 घंटे से अधिक समय तक बिना ऑक्सीजन और वेंटिलेटर के रहे. इसी वजह से उनकी स्थिति अभी और खराब हो गई है. फिलहाल डॉक्टर उनकी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. दूसरी तरफ इंद्रजीत की मौत की सूचना और मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने के बाद दिल्ली में रहने वाले उनके 35 परिजन जबलपुर पहुंच गए. अंतिम संस्कार की तैयारी में आए इन परिजनों ने जब इंद्रजीत को जीवित देखा, तो उनकी भावनाओं का ठिकाना नहीं रहा.
जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन
फिलहाल मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय शर्मा ने इसे गंभीर लापरवाही करार दिया। उनका कहना है कि मृत्यु घोषित करने से पहले आवश्यक पैरामीटर की सही जांच नहीं की गई, जिसके कारण यह घटना हुई. डॉ संजय ने कहा पूरी जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. लेकिन डॉक्टरों की इस गंभीर लापरवाही ने जिले के सरकारी डॉक्टरों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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