Daughter fulfilled her sons duty: बुरहानपुर जिले की एक बेटी ने अपनी मां की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार में किसी भी तरह की बाधा नहीं आने दी. उसने बेटे का फर्ज निभाते हुए अपनी मां की चिता को कंधा देकर अंतिम संस्कार के सारे नियम पूरे किए. दरअसल, बुरहानपुर जिले के बहादुरपुर गांव की रहने वाली अश्विनी बडगूजर के भाई और पिता की पहले ही मौत हो चुकी थी. जब मां की मौत हुई और अंतिम संस्कार की बारी आई, तो बेटी अश्विनी बडगूजर आगे आईं. सारी परंपराओं और मिथकों को तोड़ अपनी मां की चिता को न केवल कंधा दिया, बल्कि मुख्याग्नि भी दी और मुंडन भी करवाया. इसके बाद ताप्ती नदी पहुंचकर पिंडदान भी किया.
ये है मामला
अश्विनी ने बताया कि मेरे पिता और भाई की पहले ही मौत हो चुकी है, अब मां का निधन हुआ, तो मेरा कोई भाई नहीं है. ऐसे में मैंने ही मां की अंतिम संस्कार की क्रियाएं पूरी करने का फैसला किया. अश्विनी बडगूजर ने कहा कि मुझे बेटी होने पर गर्व है. मां के निधन के बाद बेटे का फर्ज निभाने वाली ये बेटी पूरे जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है.
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बदल रही हैं मान्यताएं
दरअसल, हिंदू धर्म में किसी नारी को मुखाग्नि देने का अधिकार नहीं दिया गया है. लेकिन, अब मान्यताएं बदल रही हैं. वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता इसे सही मानते हैं. उनके मुताबिक हिंदू धर्म में बेटियों के द्वारा अपने परिजनों की मौत होने पर अर्थी को कंधा देने मुख अग्नि देने जैसे वे सारे संस्कार किए जा रहे हैं, जो अब तक पुरुष करते आ रहे हैं. यह नैतिक भी है और होना भी चाहिए. समाज में अब मुख्य अग्नि देना सामान्य होता जा रहा है. इस बदलते समय के साथ ही लोग भी इसे समझ गए हैं और अब इसे अपनाना भी शुरू कर दिया है.