Sagar News Today: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High court) ने राज्य में किसी क्राइम के बाद आरोपियों के घर ढहाए जाने के एक मामले तल्ख टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि राज्य में किसी अपराध के बाद आरोपियों का घर गिराना एक फैशन बन गया है. इसके साथ ही कोर्ट ने उज्जैन नगर निगम के दोषी अधिकारियों पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. कोर्ट के इस फैसले के बाद उम्मीद जगी थी कि अब शायद आरोपियों के मकान गिराने के सिलसिले पर विराम लग जाएगा, लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. यहां एक बार फिर सागर (Sagar) जिले में हत्या के आरोपी चालीसा बिल्डर्स (Chalisa Builders) के कथित अतिक्रमण को जमीदोज कर दिया गया.
जमीन के पैसों के कथित लेनदेन के विवाद में कनेरा देव निवासी निर्मल पटेल की हत्या कर उसकी अंत्येष्टि कराने के मामले के बाद कनेरा देव में चालीसा बिल्डर्स के अतिक्रमण को जमीदोज कर दिया गया. सागर एसडीएम, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और नगर निगम के अमले अतिक्रमण की संयुक्त कार्रवाई की. दरअसल, इस मामले में 15 आरोपियों के नाम पुलिस की अभी तक की विवेचना में सामने आए थे,इन में 12 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. इसके साथ ही मुख्य आरोपी मस्तराम के परिवार पर युवक की हत्या का आरोप है. अब पुलिस ने मुख्य आरोपी मस्तराम घोसी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसके कथित अवैध मैरिज गार्डन और व्यावसायिक बिल्डिंग पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करते हुए बुलडोजर चलाकर उसे ध्वस्त कर दिया है.
सीएम से मिले थे परिजन
दरअसल, मृतक की पत्नी ने मामले की निष्पक्ष जांच करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से हेलीपैड पर मुलाकात कर न्याय की गुहार लगाई थी. इसके बाद सीएम ने पीड़ित परिजनों को 50 हजार की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया था. इसके बाद पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी खुद इस हत्याकांड की जांच की मॉनिटरिंग कर रहे हैं.
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ये है पूरा मामला
पिछले दिनों सागर के कनेरा देव में जमीन के पैसों के कथित लेनदेन के विवाद के एक मामले में निर्मल पटेल की हत्या कर उसकी अंत्येष्टि करा दी गई थी. मामले में शिकायत के बाद पुलिस ने जांच शुरू की. इसके साथ ही परिजनों की शिकायत के आधार पर 15 लोगों पर मामला दर्ज कर 12 आरोपियों से पूछताछ कर पुलिस उससे पूछताछ कर वारदात की कड़ियां जोड़ने में जुटी है. पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी खुद इस हत्याकांड की जांच बारीकी से मॉनिटरिंग कर रहे हैं. हत्या के बाद शव की अंत्येष्टि करा देने की वजह से मृतक की पोस्टमार्टम व अन्य मेडिकल रिपोर्ट नहीं हैं, लेकिन पुलिस ने परिस्थितिजन्य व तकनीकी स्तर पर कई साक्ष्य व सबूत जुटा लिए हैं.
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