Bhopal 5 Year Old Girl Murder: ऐसी दरिंदगी की कोई सजा संभव है ? डॉक्टर और जवान तक की रूह कांप उठी

Bhopal Girl Found Dead in Water Tank: भोपाल की वाजपेई नगर की मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के फ्लैट में 5 साल की मासूम की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई. मासूम शव प्लास्टिक की पानी की टंकी में अपने पड़ोस के ही रहने वाले अतुल नहाल के यहां मिला. अतुल ही इस वीभत्स वारदात का आरोपी है. बच्ची के साथ कैसी हैवानियत हुई थी इसका दर्द पोस्टमार्टम करने वाली डॉक्टर और उसका शव अस्पताल पहुंचाने वाले पुलिस के जवान के बयान में खुल कर सामने आया.

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Bhopal Missing Girl Found Dead: भोपाल में वाजपेई नगर की मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के फ्लैट में 5 साल की मासूम की दुष्कर्म के बाद बेरहमी से हत्या कर दी गई. इस वारदात की खबर जिसने भी सुनी उसका कलेजा मुंह को आ गया. बच्ची के साथ बेरहमी का आलम ये था कि उसके पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम करने वाली डॉक्टर भी परेशान हो गई और कुछ देर के लिए पोस्टमार्टम छोड़ दिया. बच्ची के शव को टंकी से निकालने वाला पुलिस का जवान भी काफी देर तक सन्न रहा...इन दोनों ने NDTV से अपनी आपबीती साझा की...आप भी जानिए इसे. 

डॉक्टर अनुराधा- मेरा काम है पोस्टमार्टम करना है पर मेरे हाथ कांप रहे थे

हर बार जब मैं पोस्टमार्टम रूम में कदम रखती हूं, तो मेरे हाथों में एक जिम्मेदारी होती है—न्याय की पहली कड़ी. लेकिन आज, जब उस बच्ची का शव मेरे सामने लाया गया, कुछ टूट सा गया. भोपाल के वाजपेई नगर की उस मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में जो हुआ होगा, उसकी कल्पना से ही मेरा दिल बैठ गया था. बच्ची की हालत देख, पहले तो मेरे हाथ ही कांप गए. एक मां होने के नाते, मेरी आंखों के सामने मेरी अपनी 6 साल की बेटी का चेहरा आ गया.शरीर पर जगह-जगह गहरे घाव थे, जो बताते थे कि उसके साथ कितना वीभत्स अत्याचार किया गया था. उसका मासूम चेहरा, जो किसी खिलखिलाते बच्चे का होना चाहिए था, उसे ऐसे देखना मेरे लिए असहनीय था. टंकी से निकालने के बाद उसका पूरा शरीर खून से सना हुआ था—वो पानी, जो जीवन का प्रतीक होता है, आज खून से लथपथ था.

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मैं सिसकी, और मेरी आंखें भी नम हो गईं. आखिरकार, 20 मिनट के बाद मैंने अपने आप को संभाला, क्योंकि ये हमारा काम था, हमारा फर्ज था—न्याय की शुरुआत यहीं से होती है.पोस्टमार्टम के हर कट और जांच के साथ, मेरा गुस्सा और दर्द बढ़ता जा रहा था. उस बच्ची के शरीर पर जो जख्म थे, वो सिर्फ उसकी मासूमियत पर नहीं, बल्कि इस समाज पर एक करारा तमाचा था.हर कट के साथ, मैं सोचती रही, क्या कभी इस दुनिया में ऐसी दरिंदगी की कोई सजा भी हो सकती है?

इस मामले पर बात करना मेरे लिए मुश्किल है, क्योंकि मैं सिर्फ एक डॉक्टर नहीं हूं, मैं भी एक इंसान हूं, एक मां हूं.

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आरक्षक अरविंद कुमार -जब बच्ची को देखा तो मेरी रूह कांप उठी

उस दिन जब हमें भोपाल के वाजपेई नगर की मल्टी स्टोरी बिल्डिंग से फोन आया, तो मैंने सोचा नहीं था कि ये मेरे करियर का सबसे दर्दनाक दिन होने वाला है. फ्लैट में घुसते ही अजीब सा सन्नाटा महसूस हुआ. पड़ोसियों की नजरें डरी हुई थीं, और हर तरफ एक गहरा सन्नाटा पसरा हुआ था.जब मुझे बताया गया कि पांच साल की बच्ची का शव फ्लैट के अंदर प्लास्टिक की पानी की टंकी में है, मेरा दिल धक से रह गया.
मैंने कई क्राइम सीन देखे हैं, लेकिन जब टंकी के पास पहुंचा और जैसे ही अंदर झांका, मेरी रूह कांप उठी. टंकी में थोड़ा बहुत पानी था, लेकिन वो पानी खून से लथपथ हो चुका था—एकदम लाल.

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मुझे लगा जैसे मेरे पैर जमीन से चिपक गए हों.टंकी के अंदर जो दृश्य था, उसे देखकर कोई भी इंसान सन्न रह जाए. बच्ची का मासूम शरीर, जो अभी खेलने-कूदने की उम्र में था, इस तरह से टंकी में पड़ा हुआ था जैसे किसी ने उसकी ज़िंदगी को क्रूरता से छीन लिया हो.

उसकी नन्ही-नन्ही आंखें बंद थीं, और उसका शरीर खून से सना हुआ था.

मैंने टंकी से बच्ची को निकालने की कोशिश की, पर उस हालत में उसे छूने की हिम्मत नहीं हो रही थी. शायद पहली बार मेरे हाथ कांप रहे थे. हालात इतने बुरे थे कि हमने तय किया कि टंकी समेत शव को ही एम्स ले जाया जाए. किसी तरह, हमने टंकी को उठाया और एम्बुलेंस में रखा.एम्स पहुंचकर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू हुई. पोस्टमार्टम टीम और हमारे आला अधिकारी वहां मौजूद थे. मैंने देखा, वो सब भी उतने ही दुखी और सन्न थे जितना मैं.पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी हो रही थी, लेकिन मेरे मन में सिर्फ एक ही सवाल गूंज रहा था—क्या इंसान इस हद तक गिर सकता है? उस मासूम बच्ची का चेहरा, उसकी खामोशी, उसकी नन्हीं-नन्हीं उंगलियां, सब मेरे दिल पर गहरा असर छोड़ गए हैं.इस घटना को भूल पाना शायद कभी मुमकिन नहीं होगा.

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