Book Launch: 'मेरे आकाश मेरे धूमकेतु' का हुआ विमोचन, यह है यादों का पुंज

Book Launch: इस पुस्तक का मूलाधार है यादें- सिर्फ और सिर्फ यादें. वे यादें, जो जीवन के हर मोड़ पर एक जरूरी सवाल की तरह उभरती हैं. वे यादें, जिनमें दर्ज है वह अतीत, जो उस रास्ते का गवाह है, जहां मैं पैदल चला नंगे पांव बगैर किसी पग-बाधा के. इन्हीं रास्तों पर चलकर उन शिखर-पुरुषों से मिला, जो कविता, कहानी, उपन्यास, गजल, नवगीत, फिल्म, पत्रकारिता, रंगमंच, कवि सम्मेलन, संपादन, राजनीति और समाज के नायक थे और रहेंगे.

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Gwalior News: जाने-माने लेखक और पत्रकार हरीश पाठक द्वारा देश के कुछ पत्रकार और साहित्यकारों के जीवन पर लिखी किताब "मेरेआकाश मेरे धूमकेतु" (Mera Akash, Mere Dhoomketu) का विमोचन (Book Launch) ग्वालियर (Gwalior) में किया गया. इस आयोजन के मुख्य अतिथि एनडीटीवी (NDTV) के रेजिडेंट एडिटर अनुराग द्वारी थे. ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान द्वारा आयोजित इस भव्य और गरिमापूर्ण कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार और प्रेमचंद सृजन पीठ के पूर्व अध्यक्ष जगदीश तोमर ने की. विशिष्ठ अतिथि और वक्ता के रूप में वरिष्ठ लेखक प्रमोद भार्गव, वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली और गीतकार घनश्याम भारती ने उद्बोधन दिया. इस मौके पर जनसंपर्क विभाग के उप संचालक मधु शोलपुरकर और पीआरओ हितेंद्र भदौरिया भी उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन जानी मानी उद्घोषिका तूलिका शर्मा ने किया.

सामान्य पुस्तकों से बहुत ही ज्यादा कीमती है ये पुस्तक : अनुराग द्वारी

कार्यक्रम की शुरुआत में ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान के अध्यक्ष देव श्रीमाली ने स्वागत भाषण देते हुए विषय प्रवर्तन किया। इसके बाद रंगमंच की जानी मानी अभिनेत्री वसुंधरा व्यास और शिल्पी माथुर ने किया. मुख्य अतिथि अनुराग द्वारी ने कहा कि संस्मरण की पुस्तकें सामान्य पुस्तकों से बहुत ही ज्यादा कीमती और महत्वपूर्ण होती हैं. इनसे हर पीढ़ी को आगे बढ़ने, सीखने, संघर्ष करने की क्षमता विकसित करने का अवसर मिलता है. महान लोगों के व्यक्तित्व का हर पक्ष उजागर होने से अनेक सीख मिलती है. प्रेरणा भी मिलती है और नसीहत भी. हरीश पाठक की यह पुस्तक इसी वजह से महत्वपूर्ण है और इसको कालजयी बनाती है. इससे लोगों के बारे में बहुत ही शिद्दत से झांकने का अवसर मिला.

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वरिष्ठ लेखक और पत्रकार प्रमोद भार्गव ने कहा कि यह पुस्तक तटस्थता से लिखी गयी है. यह एक तरफ हरीश जी के लेखक और लेखन का अनुशासन बताती है. गीतकार घनश्याम भारती ने भी अपने विचार व्यक्त किये. अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि साहित्य में घृणा नहीं करती बल्कि वह जोड़ने का काम करती है. यह अपने संपर्क के लोगों की न जीवनी है न आलोचना बल्कि यह उनका समग्र विहंगावलोकन है. यही उनके लेखन को विलक्षण और सबसे अलग उत्कृष्ट बनाती है.

कार्यक्रम के प्रारम्भ मे रवि उपाध्याय, बिनी वर्मा, पंकज श्रीमाली, विकास शर्मा, अनूप श्रीवास्तव, विवेक अवस्थी, रविशेखर आदि ने अतिथियों का स्वागत किया. आयोजन में शहर के वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार उपस्थित थे.

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