भोपाल से 20 किमी दूर है 'नरक' ! हैंडपंप से जहरीला पानी, हवा बांट रहा कैंसर, मवेशी भी मर रहे बेमौत

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के कचरे को खत्म करने के लिए बनाई गई आदमपुर कचरा खंती में अब कचरे का पहाड़ खड़ा हो गया है.यहां वैज्ञानिक तरीके से कचरे को खत्म करने के लिए लैंडफिल साइट बनाना था लेकिन लापरवाही के चलते यह कचरा डंपिंग साइट बन गई है. आलम ये है कि यहां भोपाल शहर का करीब 12 लाख टन कचरा इकट्ठा हो गया है.इसका खामियाजा यहां आस पास के रहने वाले हज़ारों लोगों को भुगतना पड़ रहा है.साफ पानी और हवा के लिए लोग तरस रहे हैं और कैंसर जैसी बीमारी भी फैल रही है

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Bhopal Garbage Waste: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 20 किलोमीटर दूर आदमपुर गांव में 'कचरे का पहाड़'  खड़ा हो चुका है. यहां करीब 12 लाख टन कचरा इकट्ठा हो गया है. जिसकी वजह से यहां  के आसपास के 7 गावों का जीवन नारकीय हो चुका है. यहां तक की इससे सटे शहरी इलाकों के लोग भी तमाम परेशानियों से दो-चार हो रहे हैं. वैसे इस लैंडफिल साइट को बनाया गया था वैज्ञानिक तरीके से कचरे के निपटान के नेक उद्देश्य से लेकिन अब हालत ये है कि ये डंपिंग साइट से ज्यादा कुछ नहीं है. इसका खामियाजा हजारों लोगों को भुगतना पड़ रहा है. ये लोग साफ हवा और पानी और स्वास्थ्य के लिए तरस रहे हैं...इसी मसले पर NDTV के रिपोर्टर आकाश द्विवेदी  ने मौके पर जाकर पड़ताल की...आप भी पढ़िए इस खास रिपोर्ट में अपने सारे सवालों के जवाब

साल 2018 में भोपाल शहर का कचरा वैज्ञानिक ढंग तरीके से निष्पादित करने के लिए आदमपुर गांव के कचरा खंती में लैंडफिल साइट बनाया गया. सरकार का इरादा नेक था. लेकिन छह सालों बाद हालात बदतर हो चुके हैं. 

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आदमपुर कचरा खंती में इकट्ठा हुये लाखों टन कचरे और इस कचरे से निकलने वाले जहरीले रसायन से यहां का भूजल प्रदूषित हो चुका है. यहां लगे हैंडपंप से प्रदूषित,जहरीला और गंदा पानी निकल रहा है जो पीने लायक नहीं है. रोजमर्रा के काम में भी इसका उपयोग मुश्किल से ही किया जा सकता है.यहां बोरिंग से आने वाले पानी से झाग निकलता है. ऐसा लगता है कि जैसे पानी में डिटर्जेंट पाउडर घोल दिया गया हो. इस पानी की वजह से तमाम परेशानियां खड़ी हो गई हैं. आदमपुर कचरा खंती से सटे पड़रिया काछी गांव की रहने वाली 60 साल की विमला देवी के पूरे शरीर में इंफेक्शन हो चुका है. अजीब से निशान,चक्कते से पूरा शरीर ज़ख्मी सा लगता है,पथरी भी हो गई. लाखों रुपये खर्च कर आयुर्वेद,एलोपैथी, होम्योपैथी हर तरीके से इलाज करवा चुकी हैं.लेकिन फिर भी पूरी तरह ठीक नहीं हो पाई है.

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पानी जहरीला होने की वजह से लोग कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. त्वचा रोग से पीड़ित विमला देवी इसकी एक बानगी भर हैं

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ये हालात सिर्फ विमला देवी की ही नहीं है. इलाके में ऐसे कई लोग हैं कैंसर से भी पीड़ित हो चुके हैं. इलाके के निवाली भगवंत सिंह बतते हैं कि इस जहरीले पानी की वजह से मवेशी भी मर रहे हैं. जो बचे हैं उनका दूध भी खराब हो चुका है.इसी तरह से रामबाबू बताते हैं कि बदबू की वजह से कई लोग इलाके को छोड़ कर जा चुके हैं.  

आदमपुर कचरा खंती से न सिर्फ भूजल दूषित हुआ है बल्कि खंती से निकलने वाला जहरीला पानी नाले के जरिये सीधे गंगा बेसिन की सहायक नदी अजनाल नदी में मिल रहा है.यहां आस पास के खेतो में भी यही जहरीला पानी पहुँच रहा है. इन खेतों में चावल, गेहूं, गन्ना और सब्जियों की अच्छी खेती होती है और ये अनाज सब्जी भोपाल तक सप्लाई हो रही है जो खतरनाक है. जनपद पंचायत के सदस्य संतोष प्रजापति ने NDTV से बातचीत में इसकी तस्दीक भी की. 

आलम ये है कि इलाके में भूजल भी जहरीला हो चुका है. इसी वजह से यहां के हैंडपंप से भी गंदा बदबूदार पानी आता है

जुलाई 2023 से ही बंद है प्रोसेसिंग यूनिट

दअरसल इन सब वजहों के पीछे नगर निगम की बड़ी लापरवाही है.खंती में जुलाई 2023 से प्रोसेसिंग यूनिट बन्द है.इसी प्रोसेसिंग यूनिट से कचरे का निष्पादन किया जाना था. इस कचरे से खाद के साथ बिजली बनाई जानी थी. हालंकि जब ये यूनिट चालू थी तब 600 टन कचरा ही प्रतिदिन कंज्यूम कर पाता था जबकि भोपाल शहर से प्रतिदिन लगभग 900 टन कचरा निकलता है जिसे यहां डंप किया जाता है. हालांकि इसे लेकर भोपाल नगर निगम के अपने तर्क हैं. निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी का कहना है कि कचरा निष्पादित करने के लिए जो एजेंसी काम कर रही थी उसकी कुछ शिकायतें थीं.  लापरवाही के कारण उसका टेंडर निरस्त किया गया है. उनके मुताबिक अभी नगर निगम स्वयं प्रोसेसिंग यूनिट को ऑपरेट कर रही है. जल्द ही अच्छे रिजल्ट आने की पूरी संभावना है.  वैसे ये बात भी गौरतलब है कि कचरे निष्पादन के लिए पूरे नियमों का पालन नहीं किया गया. 

साजिश के तहत लगती है आग?

पर्यावरणविद सुभाष पांडे के मुताबिक यहां सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स का उल्लंघन किया जा रहा है. ये नियम पूरे देश में एक समान हैं. एक परेशानी ये भी है कि साल 2018 से 8 बार से अधिक कचरे के पहाड़ में आग लगने की घटना सामने आ चुकी है. लोगों को शक है कचरे को जलाकर ख़त्म करने के लिए ये जिम्मेदारों की साज़िश है.  सुभाष पाण्डेय बताते हैं कि लीगेसी वेस्ट में मीथेन गैस बनती है.इसकी वजह से अपने आग लग जाती है ,लेकिन वहां आग बुझाने के कोई साधन नहीं है. उनका आरोप है कि आग बुझाने की मंशा भी नहीं है.आग लगने से जलकर कचरा कम हो यह कोशिश की जाती रही है.

NEERI की जांच से निकलेगा हल

 बता दें कि जुलाई 2024 में वैज्ञानिक तरीके से कचरा निष्पादन के लिए सुप्रीम कोर्ट  की विशेष बेंच ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए खंती की वास्तविकता जांचने के लिए नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट नीरी को स्वतंत्र जांच के आदेश दिये थे. अब तीन महीने में NEERI को आदमपुर खंती की स्थितियों की विस्तृत जांच करनी होगी, इस आदेश से उन उम्मीद है कि आदमपुर और उसके आस-पास का भूजल जहरीला होने से बचेगा और अजनाल नदी के पानी की गुणवत्ता में भी सुधार होगा. 
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