MP के किसानों को तगड़ा झटका, सिंघाड़ा की खेती में 90 फीसदी तक नुकसान; हिस्से आया सिर्फ सर्वे का लॉलीपॉप

Loss in water chestnut cultivation: मध्य प्रदेश के सतना और मैहर में लाल खूजा कीट के प्रकोप से सिंघाड़ा की फसल नष्ट हो गई. वहीं फसल को नुकसान पहुंचने के बाद सर्वे किया गया, लेकिन महीने गुजर जाने के बाद भी पीड़ितों को कोई आर्थिक मदद नसीब नहीं हो सकी.

Advertisement
Read Time: 4 mins

Loss in water chestnut cultivation: सिंघाड़ा उत्पादक जिलों में से एक सतना-मैहर के किसानों को इस बार तगड़ा झटका लगा है. चालू सीजन की शुरूआत में ही फसल पर लाल खूझा नामक कीट ने धावा बोला दिया, जिसके चलते तमाम तलाबों की फसल सफाचट हो गई. हालांकि फसल को नुकसान होने के बाद जिला कलेक्टर के निर्देश पर सर्वे शुरू हुआ. इस जांच के बाद जांच अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में 70 से 90 फीसदी के नुकसान की रिपोर्ट सौंपी, लेकिन प्रभावित किसानों को मात्र सर्वे का लॉलीपॉप ही मिल पाया. सर्वे और प्रतिवेदन देने के क्रम में महीनों गुजर गए, लेकिन पीड़ितों को कोई आर्थिक मदद नसीब नहीं हो सकी.

जिले में 70 से 90 फीसदी तक फसल की हुई नुकसान

बता दें कि सतना और मैहर जिले को मिलाकर एक अनुमान के अनुसार अमरपाटन, सोहावल, उंचेहरा और मैहर रामनगर के तालाबों में सिंघाड़ा की खेती होती हैं. ये तालाब मछलियों के लिए हैं, लेकिन किसान सिंघाड़े भी लगाते हैं. सिंघाड़ा मछलियों के खुराक के काम आता है इसलिए किसान इन तालाबों में सिंघाड़ा लगा लेते हैं. जिले में तालाबों की संख्या 1738 है, जिसका जल विस्तार क्षेत्र 6957.992 हेक्टेयर है. जहां पर फसल बोई जाती है. हालांकि नुकसान का आंकलन करने में मैहर जिला प्रशासन ने गंभीरता दिखाई. सतना प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाए गए. वहीं सहायता के मामले में फिलहाल दोनों जिलों के हाल एक जैसे हैं.

Advertisement

सात सदस्यी कमेटी ने सौंपा था जांच प्रतिवेदन

मैहर जिले में रामनगर तहसील के अंर्तगत मैहर अपर कलेक्टर  शैलेन्द्र सिंह के निर्देश पर सात सदस्यी कमेटी ने सर्वे कर अपनी रिपोर्ट दी, जिसमें प्रत्येक किसान को ढाई से तीन लाख रुपये की नुकसान की बात कही गई. रामनगर तहसील के अन्तर्गत मडफ़हा तालाब नादो, धर्मसागर तालाब हर्रई, धनवाही तालाब,रजहा तालाब सुलखमा, रामचुआ तालाब मनकहरी का सर्वे कर जांच रिपोर्ट तैयार किया गया. कमेटी ने प्रभावित किसानों की सूची भी तैयार कर बीते 28 अगस्त को प्रस्तुत की, लेकिन अभी तक उसके संबंध में कोई भुगतान की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई.

Advertisement

मुआवजे के इंतजार में किसान

रामनगर ब्लॉक के किसानों को उम्मीद थी कि प्रशासन ने सर्वे कराया है तो मुआवजा देगी. हालांकि महीना गुजर जाने के बाद कोई आर्थिक सहायता नहीं दी गई. किसान विनय सिंगरहा, रोहिणी, अशोक, साधूलाल, हेतराम, पप्पू, भगवानदीन, राहुल, रामधनी, गया सिंगरहा, रामसजीवन, तीरथ, विरेश, सुरेन्द्र, शिवकुमार, ममता, मंगलदीन, श्यामलाल, शिव प्रताप, कलेश, कल्लू और पप्पू सिंगरहा मकहरी को आज भी मुआवजे का इंतजार है.

Advertisement

ये भी पढ़े: Diwali 2024: इस साल कब मनाई जाएगी दिवाली! कैसे करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा का सही समय से विधि तक

सिंघाड़ा प्रेमियों को चुकाने पड़ेगे महंगे दाम

आयोडीन और मैगनीज जैसे पोषक तत्व देने वाली सिंघाड़ा फसल का उत्पादन सतना-मैहर जिले में बेहद कम हो चुका है. कुछ ही गांव ऐसे हैं जहां पर सिंघाड़ा की फसल सकुशल है. अधिकांश गांव में लगी फसल को लाल खूझा नामक कीट ने सफाचट कर दिया, ऐेसे में इस बार सिंघाड़ा प्रेमियों को पिछले साल की तुलना में जेब ढीली करनी पड़ सकती है.

एनडीटीवी से बात करते हुए मैहर के अपर कलेक्टर शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि सिंघाड़ा फसल का सर्वे किया गया था. जिसका प्रतिवेदन प्राप्त हो चुका है. जल्द ही इस मामले में आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.

ये भी पढ़े: Eid-e-Milad-Un-Nabi 2024: आज है ईद ए मिलाद-उन नबी का पर्व, इन आकर्षक वॉलपेपर्स और शायरी भेजकर दें अपनों को मुबारकबाद