ग्वालियर में कांग्रेस को तगड़ा झटका, वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने सिंधिया से मुलाकात के बाद दिया इस्तीफा 

शर्मा का कहना है कि उन्होंने जिला अध्यक्ष को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से अपना इस्तीफा सौंप दिया है क्योंकि वह काम करना चाहते हैं और पार्टी के नेता खाली बैठकर केवल तालियां बजाने और बजवाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हाराव की रीति नीतियों से भटक गई है.

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ग्वालियर में कांग्रेस को तगड़ा झटका, वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने सिंधिया से मुलाकात के बाद दिया इस्तीफा

लोकसभा चुनावों से पहले ग्वालियर में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. कई बार पार्षद रहे वरिष्ठ नेता कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष आनंद शर्मा ने आज कांग्रेस को अलविदा कह दिया. आज सोमवार को दिल्ली में उन्होंने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात करने के बाद सोशल मीडिया पर कांग्रेस छोड़ने का एलान किया. माना जा रहा है कि वे सिंधिया के ग्वालियर आगमन पर भाजपा की सदस्यता लेंगे. शर्मा बीते पांच साल से कांग्रेस में नेतृत्व की मनमानी, उपेक्षा और हाल ही में विधानसभा चुनाव हारे क्षेत्रीय विधायक के व्यवहार से आहत थे. यही वजह है शर्मा ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.

तीन बार रह चुके हैं पार्षद 

आनंद शर्मा कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते हैं. ग्वालियर जिले में कांग्रेस के एक मजबूत और समर्पित नेता की इमेज वाले आनंद शर्मा 3 बार पार्षद का चुनाव जीते लेकिन पिछली बार विधायक प्रवीण पाठक ने उन्हें टिकट नही मिलने दिया था. वे लंबे समय से कांग्रेस के जिला महामंत्री रह चुके हैं. अभी वह कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष हैं. कांग्रेस सरकार के समय वह जिला सरकार के नगरीय विकास समिति के चेयरमैन और योजना मंडल के सदस्य थे.

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पार्टी की इस बात से थे आहत 

शर्मा और विधायक के बीच शुरू से ही शीतयुद्ध चल रहा है. शर्मा भी ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट से कांग्रेस टिकट के दावेदार थे लेकिन टिकट प्रवीण पाठक को मिलने से दोनों के बीच दूरियां बन गई, मूलतः सिंधिया के समर्थक रहे शर्मा विद्रोह के समय सिंधिया के साथ न जाकर कांग्रेस में ही रुके लेकिन पार्टी में उन्हें काफी अपमानजनक परिस्थितियों का सामना करना पड़ा. एक बार उन्हें कांग्रेस का प्रदेश पदाधिकारी बनाया गया. दोपहर में कांग्रेस दफ्तर में उनका स्वागत और सम्मान किया गया और चार घंटे बाद उन्हें हटा दिया गया लेकिन वे खून का घूंट पीकर भी काम करते रहे.

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शर्मा ने NDTV से मोबाइल पर बातचीत में अपने इस्तीफे की पुष्टि की. उन्होंने कांग्रेस से अपना इस्तीफा जिलाध्यक्ष डा देवेन्द्र शर्मा को भेज दिया है. शर्मा ने कहा कि वह 45 सालों से कांग्रेस में थे और निष्ठावान कार्यकर्ता थे. इस दौरान उन्होंने पार्टी के लिए अपने व्यक्तिगत अपमान भी सहे. साथ ही जिला कांग्रेस की तरफ से भी परेशान किया गया लेकिन कभी भी वह कांग्रेस से विमुख नहीं हुए.

"पार्टी में कोई काम ही नहीं बचा"

शर्मा का कहना है कि उन्होंने जिला अध्यक्ष को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से अपना इस्तीफा सौंप दिया है क्योंकि वह काम करना चाहते हैं और पार्टी के नेता खाली बैठकर केवल तालियां बजाने और बजवाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हाराव की रीति नीतियों से भटक गई है. अब राम मंदिर पर भी चुप बैठना समझ में नहीं आता, जबकि राम मंदिर के लिए इंदिरा, राजीव गांधी और नरसिम्हाराव ने खुद प्रयास भी किए थे. कांग्रेसियों को यह सब बताने के लिये जनता के बीच जाना चाहिए था. आनंद शर्मा ने कहा कि अब वह भाजपा में जा रहे हैं. 

अलबेल घुरैया भी छोड़ चुके हैं पार्टी

यह कांग्रेस को दो महीनों में दूसरा बड़ा झटका है, इससे पहले ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से अनेक बार पार्षद रहे अलबेल घुरैया ने विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस छोड़कर सिंधिया के आमने भाजपा जॉइन कर ली थी. ऐसे में अब शर्मा का कांग्रेस छोड़ना पार्टी के लिए दूसरा बड़ा झटका है. 

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